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हिमाचल में BJP विधायक ने CM सुक्खू के लिए ऑनलाइन ऑर्डर किए 11 समोसे, सोशल मीडिया पर यूजर्स ने लिए जमकर मजे

Samosa Controversy हिमाचल प्रदेश में समोसे को लेकर हो रहे विवाद के बीच भाजपा विधायक आशीष शर्मा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए ऑनलाइन 11 समोसे ऑर्डर किए। यह ऑर्डर सरकार द्वारा समोसे की जांच के आदेश के विरोध में था। विधायक का कहना है कि सरकार को असली मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए न कि छोटे मामलों पर।

By Agency Edited By: Prince Sharma Updated: Sat, 09 Nov 2024 05:22 PM (IST)
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हमीरपुर से बीजेपी विधायक ने सीएम सुक्खू के लिए ऑर्डर किए समोसे
शिमला, पीटीआई। हिमाचल प्रदेश में समोसा राजनीति अपने चरम पर है। समोसे पर चल रहे विवाद के बीच भाजपा विधायक ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए ऑनलाइन 11 समोसे ऑर्डर किए। हमीरपुर से विधायक आशीष शर्मा ने शनिवार को सोशल मीडिया पर यह जानकारी साझा की।

शर्मा ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए कहा कि प्रदेश पहले ही बेरोजगारी, वित्तीय संकट, कर्मचारियों की पेंशन में देरी और डीए बकाया जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। ऐसे समय में मुख्यमंत्री सुक्खू जी के लिए लाए गए समोसों पर सीआईडी जांच का आदेश देना बेहद निराशाजनक है।

विधायक ने आगे लिखा, जब हिमाचल के लोग अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो सरकार को असली मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि ऐसे छोटे मामलों पर। इसी विरोध स्वरूप, मैंने मुख्यमंत्री महोदय को 11 समोसे भेजे हैं, ताकि उन्हें याद दिला सकूं कि जनता की असली समस्याओं का समाधान करना अधिक महत्वपूर्ण है। हमें उन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए जो वाकई मायने रखते हैं

CM सुक्खू की बजाय कर्मचारियों को परोसे समोसे

21 अक्टूबर को मुख्यमंत्री सुक्खू शिमला में मौजूद सीआईडी ​​मुख्यालय में एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। यहां पर मुख्यमंत्री के लिए लाए गए समोसे और केक उनके कर्मचारियों को परोसे गए। इसके बाद सीआईडी ​​अधिकारियों ने इस प्रकरण की जांच के आदेश दिए। जांच रिपोर्ट पर एक वरिष्ठ अधिकारी की टिप्पणी में कहा गया कि यह कृत्य सरकार और सीआईडी ​​विरोधी है।

धर्मशाला से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक सुधीर शर्मा ने एक बयान में कहा कि कांग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश को देश में हंसी का पात्र बना दिया है।

बता दें कि दोनों विधायक सुक्खू के आलोचक हैं। वे कांग्रेस के बागी और निर्दलीय विधायकों सहित नौ विधायकों में शामिल थे, जिन्होंने इस साल की शुरुआत में राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ मतदान किया था। इसके बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए और उपचुनाव जीते।

'ऐसा क्या था की जांच के आदेश दे दिए'

प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष और कांगड़ा के सांसद राजीव भारद्वाज ने पूछा कि समोसे के साथ डिब्बे में ऐसा क्या था, जिसके कारण सरकार को जांच के आदेश देने पड़े। भाजपा की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) की प्रदेश इकाई ने शनिवार को शिमला में समोसे बांटे और गंभीर मुद्दों की अनदेखी करने और छोटे-मोटे मामलों की जांच करने के लिए सरकार के खिलाफ नारे लगाए।

फोटो कैप्शन: बीजेपी विधायक की पोस्ट के बाद यूजर्स के कमेंट
प्रदेश भाजयुमो अध्यक्ष तिलक राज ने कहा कि लोग सरकार से नाखुश हैं, शिक्षित और बेरोजगार युवाओं के पास नौकरी नहीं है, लेकिन सीआईडी ​​समोसे न परोसने की जांच कर रही है। उन्होंने दावा किया कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो गई है।

स्कूली बच्चों सहित युवाओं में नशे की लत बढ़ रही है। पुनर्वास केंद्रों में भर्ती 15-30 वर्ष आयु वर्ग के 1,170 युवाओं में से 35 प्रतिशत 'चिट्टा' के आदी हैं, लेकिन सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं है।

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प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी करण नंदा ने कहा कि सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश, जिसे "देवभूमि" के रूप में जाना जाता है, शौचालय कर, माल ढुलाई कर और समोसे की जांच जैसे सभी गलत कारणों से चर्चा में है।

मुख्यमंत्री की ओर से दिया गया स्पष्टीकरण

उधर, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा कि राज्य सरकार ने ऐसी किसी जांच का आदेश नहीं दिया है और यह सीआईडी ​​का आंतरिक मामला हो सकता है, एजेंसी ने भी यही रुख अपनाया है।

सीएम सुक्खू ने शुक्रवार को कहा था कि जांच अधिकारियों के दुर्व्यवहार की है, लेकिन मीडिया ने इसे समोसे गायब होने की जांच के रूप में पेश किया और दावा किया कि भाजपा विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी के बहुमत हासिल करने के बाद से कांग्रेस सरकार के खिलाफ बदनामी का अभियान चला रही है।

सीआईडी डायरेक्टर ने भी दी सफाई

सीआईडी ​​महानिदेशक रंजन ओझा ने शुक्रवार को शिमला में कहा कि यह एक आंतरिक मामला है। उन्होंने दोहराया कि मुख्यमंत्री साइबर अपराध शाखा के लिए एक डेटा सेंटर के शुभारंभ पर मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम के बाद अधिकारी कार्यालय में चाय पी रहे थे। जब किसी ने पूछा कि समारोह के लिए खाने-पीने की चीजें कहां से लाई गई हैं और हमने कहा- 'पता करो क्या हुआ'।

इस बाबत न तो हमने कोई नोटिस जारी किया है और न ही कोई स्पष्टीकरण मांगा है। मामले का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। हमने केवल स्पष्टीकरण मांगा है कि क्या हुआ और एक लिखित रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। हमारा किसी के खिलाफ कार्रवाई करने का कोई इरादा नहीं है।

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