'इंदिरा गांधी ने PM पद के लिए की लोकतंत्र की हत्या, लगाया आपातकाल'; 1975 Emergency पर बोले BJP प्रदेश अध्यक्ष
Himachal Pradesh BJP State President on 1975 Emergency हिमाचल प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व विधान सभा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने कहा कि 25 जून 1975 अर्थात आजादी के बाद के लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे बड़ा काला अध्याय लेकर आया। उन्होंने कहा इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री बने रहने के लिए लोकतंत्र की हत्या की और देश में आपातकाल लगा दिया था।
By Jagran NewsEdited By: Preeti GuptaUpdated: Sun, 25 Jun 2023 12:09 PM (IST)
शिमला, जागरण संवाददाता।1975 Emergency: 25 जून, 1975 का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास की सबसे खौफजदा तारीख थी, क्योंकि इस दिन लोकतंत्र की हत्या की गई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 की रात को देश में आपातकाल लागू कर दिया था। वहीं, इसी मुद्दे पर हिमाचल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने टिप्पणी की है।
लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे बड़ा काला अध्याय
प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व विधान सभा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने कहा कि 25 जून, 1975 अर्थात आजादी के बाद के लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे बड़ा काला अध्याय लेकर आया। देश में कांग्रेस पार्टी का शासन था, कांग्रेस पार्टी का एक छत्र राज था, इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थी। उच्च न्यायालय का फैंसला इंदिरा गांधी को अपने पद से उतारता था, परन्तु अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए एवं प्रधानमंत्री बने रहने के लिए उन्होनें लोकतंत्र की हत्या कर दी।
50 हजार से अधिक नेताओं को जेल में डाला गया
बिंदल ने कहा कि आधी रात्रि समय जब पूरा देश गहरी नींद में सो रहा था, इंदिरा ने देश में आपातकाल लगा दिया। रातों-रात 50 हजार से अधिक छोटे-बड़े नेताओं को जेल की काल कोठरी के पीछे डाल दिया। अखबारों की, मीडिया की स्वतंत्रता छीन ली गई। सभी मीडिया हाऊसिज पर पहरा बिठा दिया गया और वही छपने लगा जो इंदिरा जी कहती थी और जिन्होनें विरोध किया उन्हें नेस्ते नाबूत कर दिया।'विरोध करने वाले लोगों से साथ हुई बर्बरता'
डॉ राजीव बिंदल ने कहा कि आपातकाल के खिलाफ देशभर में आंदोलन शुरू हुए जिसका नेतृत्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जनसंघ व अन्य संगठनों ने किया। सत्याग्रह करने वाले नेताओं/कार्यकर्ताओं पर बर्बरता की इंतहा हुई। उन पर झूठे मुकदमे दर्ज हुए और अंग्रेजों द्वार किए गए अत्याचारों को पीछे छोड़ दिया गया। ‘‘इंदिरा ईज इंडिया, इंडिया ईज इंदिरा’’ यह स्लोगन देश पर चस्पा किया गया।
डॉ बिंदल ने साझा किया अपना अनुभव
डॉ बिंदल ने कहा कि मुझे याद आता है वह समय जब मैं मैडिकल का छात्र था और अखबारों के उपर लगाई गई सेंसरशीप का विरोध मुखर होकर करना शुरू किया। जुनून इस कदर बढ़ा कि अपने कमरे में साईकलोस्टाईल मशीन रखकर एक पन्ने का हस्तलिखित अखबार छापना शुरू किया। प्रतिदिन प्रातः 4 बजे विश्वविद्यालय एवं शहर के प्रमुख स्थानों पर वह साइकलोस्टाईल पत्रक हम साइकलों पर जाकर डाल आते थे।'डेढ़ लाख लोग आपातकाला का हुए शिकार'
दो महीने तक पुलिस ने बहुत तलाश की, अंततोगत्वा हमारी चेन पुलिस के हत्थे चढ़ गई। पुलिस द्वारा थाने में 15 दिन लगातार जो यातनाएं दी गई उन्हें स्मरण कर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। तत्पश्चात हमारे उपर एक झूठा मुकदमा दर्ज किया और डीआईआर (डिफेंस इंडिया रूल) के अंतर्गत करनाल जेल में डाल दिया गया। पंजाब, हरियाणा हाईकोर्ट से साढ़े चार महीने बाद राहत मिली। मेरे जैसे डेढ़ लाख लोग इस आपातकाल के शिकार हुए।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।