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'चुनाव के लिए पूंजीपतियों से कितना धन मिला', हिमाचल के मंत्रियों ने भाजपा नेताओं के आरोपों पर किया पलटवार

भाजपा द्वारा हिमाचल सहित अन्य कांग्रेस शासित राज्यों से महाराष्ट्र चुनाव (Maharashtra Election) के लिए वसूली के आरोपों को हिमाचल के मंत्रियों ने बेबुनियाद करार दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता बताएं कि उन्हें चुनाव के लिए पूंजीपतियों से कितना धन मिला है। उन्होंने कहा कि वसूली का आरोप लगाने से पहले भाजपा नेताओं को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।

By Yadvinder Sharma Edited By: Rajiv Mishra Updated: Mon, 11 Nov 2024 11:39 AM (IST)
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भाजपा नेताओं के हिमाचल को लेकर लगाए जा रहे आरोपों पर हिमाचल के मंत्री ने किया पलटवार (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, शिमला। स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल और राजस्व, बागवानी एवं जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी ने जारी संयुक्त प्रेस बयान में केंद्रीय भाजपा नेताओं के हिमाचल को लेकर लगाए जा रहे आरोपों को पूरी तरह से बेबुनियाद करार दिया है।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र चुनाव के लिए हिमाचल सहित अन्य कांग्रेस शासित राज्यों से वसूली के आरोप लगाने वाले भाजपा नेता बताएं कि उन्हें चुनाव के लिए पूंजीपतियों से कितना धन मिला है।

मंत्रियों ने कहा कि चुनावी बॉन्ड के जरिए 6,060 करोड़ रुपये का सबसे ज्यादा चंदा भाजपा को मिला है। ऐसे में केंद्रीय भाजपा नेता वसूली के आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांकें। देश का सर्वोच्च न्यायालय भी चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दे चुका है।

'चुनावों में कांग्रेस की जीत तय'

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, झारखंड और उप-चुनावों में पार्टी की जीत तय है और भाजपा के शासन से लोगों में गुस्सा है और इसका परिणाम 23 नवम्बर को सबके सामने होगा।

उन्होंने कहा कि हर साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा कर सत्ता में आई भाजपा सरकार ने युवाओं को रोजगार देने की बजाय उपलब्ध रोजगार भी छीन लिए। न लोगों के खाते में 15-15 लाख रुपए आए और न ही युवाओं को नौकरी मिली।

मंत्रियों ने कहा कि 22 माह के कार्यकाल में प्रदेश सरकार पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं हैं। अगर ऐसा होता तो केंद्र सरकार अपनी सभी कठपुतली जांच एजेंसियों के जरिए कार्रवाई करने में कोई कसर नहीं छोड़ती।

भाजपा पर लोकतंत्र को कमजोर करने का लगाया आरोप

उन्होंने कहा कि जबसे भाजपा केंद्र में सत्ता में आई है तभी से ही राज्यों में एक-एक करके लोकतंत्र को कमजोर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। शुरुआत अरुणाचल प्रदेश से हुई थी जहां कांग्रेस की भारी बहुमत वाली सरकार को गिराया गया था।

मणिपुर और गोवा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन भाजपा ने अलोकतांत्रिक तरीके से सरकार का गठन किया। महाराष्ट्र में बहुमत नहीं होने के बाद भी भाजपा के मुख्यमंत्री को रातों-रात शपथ दिलाई गई। मध्य प्रदेश में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को अस्थिर किया गया।

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'ऑपरेशन लोटस के जरिए सरकार को अस्थिर करने का प्रयास'

उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के नेताओं को ईडी, सीबीआई और आयकर इत्यादि एजेंसियों के माध्यम से दबाव बनाया जाता है। मात्र 14 माह में हिमाचल प्रदेश में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को ऑपरेशन लोट्स के जरिए अस्थिर करने का प्रयास किया गया लेकिन प्रदेश की प्रबुद्ध जनता ने भाजपा के नापाक मंसूबों पर पानी फेरकर कांग्रेस सरकार पर भरोसा जताकर फिर से राज्य की सत्ता सौंपी।

सरकार के 20 माह के कामों को गिनाया

मंत्रियों ने कहा कि प्रदेश सरकार ने मात्र 20 माह के कार्यकाल में 10 में से पांच गांरटियों को पूरा किया है। पहली कैबिनेट बैठक में 1.36 लाख कर्मचारियों को पुरानी पेंशन बहाल की गई है।

इंदिरा गांधी प्यारी बहना महिला सुख सम्मान निधि के तहत 18 वर्ष से अधिक आयु की 2.85 लाख पात्र महिलाओं को हर माह 1500 रुपये दिए जा रहे हैं।

680 करोड़ की राजीव गांधी स्टार्ट-अप योजना के अंतर्गत ई-टैक्सी खरीदने, निजी भूमि पर सोलर पैनल लगाने के लिए 50 प्रतिशन अनुदान दिया जा रहा है।

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