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केंद्र के पत्र ने जल बंटवारे को लेकर छेड़ा नया विवाद, हिमाचल का पानी देने का सीएम भगवंत मान ने जताया विरोध

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को जल सप्लाई और सिंचाई योजनाओं के लिए हिमाचल प्रदेश की तरफ से पानी लेने के लिए ‘कोई एतराज नहीं का सर्टीफिकेट’ (एनओसी) लेने वाली शर्तों को हटाने के बारे में भारत सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया है।

By Jagran NewsEdited By: Preeti GuptaUpdated: Thu, 15 Jun 2023 09:40 AM (IST)
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हिमाचल का पानी देने का सीएम भगवंत मान ने जताया विरोध
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने जल सप्लाई और सिंचाई योजनाओं के लिए हिमाचल प्रदेश की तरफ से पानी लेने के लिए ‘कोई एतराज नहीं का सर्टीफिकेट’ (एनओसी) लेने वाली शर्तों को हटाने के बारे में भारत सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है और कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र सरकार ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के अध्यक्ष को इस संबंध में 15 मई, 2023 को निर्देश जारी किया है।

'ऊर्जा मंत्रालय को पानी के बंटवारे का हक नहीं'

उन्होंने कहा कि इन निर्देशों में भारत सरकार ने बीबीएमबी को दिया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को बिजली के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने 7.19 प्रतिशत हिस्सा दिया हुआ है। काबिले गौर है कि ऊर्जा मंत्रालय ने जिस प्रकार से पत्र लिखा है उसकी इबारत से यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि क्या यह नए सिरे से पानी का बंटवारा किया गया है क्योंकि यदि ऐसा है तो ऊर्जा मंत्रालय को पानी के बंटवारे का कोई हक नहीं है।

केंद्र के फैसले से राज्यों में छिड़ सकती है पानी पर बहस

दूसरा सवाल यह है कि अगर पहले भी हिमाचल प्रदेश को पेयजल योजनाओं और सिंचाई योजनाओं की आपूर्ति के लिए पानी दिया जाता है तो क्या सिर्फ प्रोसीजर बदला गया है। पत्र में यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि पानी को बिजली की तरह कैसे बांटा गया है। यदि दिया गया है तो क्या यह सुप्रीम कोर्ट के किन आदेशों के मद्देनजर किया गया है। साफ है कि केंद्र सरकार के इस फैसले से पंजाब और संबंधित राज्यों में पानी को लेकर एक नई बहस छिड़ जाएगी।

'पानी के बंटवारे में जारी नहीं हो सकता एकतरफा निर्देश'

सीएम मान ने कहा कि बीबीएम ने जलापूर्ति और सिंचाई प्रोजेक्ट के लिए हिमाचल की ओर से पानी लेने के लिए सिर्फ तकनीकी संभावनाओं का अध्ययन करेगा । उन्होंने कहा कि जल के बंटवारे का ममला अंतर्राज्यीय विवाद है और राज्यों को पानी के बंटवारे के बारे में एक तरफा निर्देश जारी नहीं किया जा सकते। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीबीएमबी का गठन पंजाब पुनर्गठन एक्ट 1966 की धारा 79(1) के तहत किया गया है जिसके मुताबिक बोर्ड सिर्फ बांध और नंगल हाइडल चैनल और रोपड़, हरिके व फिरोजपुर में हैडवर्क्स के प्रशासकीय कार्य, संचालन कर सकता है।

क्या बोले सीएम मान?

इस एक्ट के मुताबिक बीबीएम नदियों के पानी को भाईवाल राज्यों के अलावा किसी और को नहीं दे सकता। हिमाचल प्रदेश भाईवाल राज्य नहीं है। सीएम मान ने कहा कि सतलुज, रावी और ब्यास नदियों का पानी पंजाब, हरियाणा , जम्मू कश्मीर व राजस्थन को विभिन्न समझौतों द्वारा निर्धारित किया गया है। इन नदियों का पानी भाईवाल राज्यों के खास इलाकों के लिए निर्धारित है और यह निर्धारित पानी विशेष नहरी प्रणली के जरिए सप्लाई होता है। संविधान की प्रांतीय सूची -2 की मद 17 के मुताबिक पानी राज्यों का मामला है और नदियों के पानी को निर्धारित करने का हक संविधान की धारा 262 के अधीन बने नदी जल विवाद एक्ट 1956 के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार की शिकायत पर बनाए जाने वाले ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र में होगा।

'सरकार फैसले पर करे पुनर्विचार'

सीएम मान ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान उदार रूप से हिमाचल के लिए पीने के पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी देते रहे हैं। लेकिन अब भारत सरकार ने सिंचाई योजनाओं को भी इसमें शामिल कर लिया है। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले सालों में बीबीएमबी ने 16 बार हिमाचल प्रदेश को पानी छोड़ने की स्वीकृति दी है। उन्होंने कहा कि नदियों का पानी साल दर साल तेजी से कम हो रहा है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्य भी लगातार पानी को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं ऐसे हालात में भारत सरकार ने एकतरफा फैसला कैसे ले लिया इस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।

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