Himachal मानसून सत्र में विपक्ष पर हावी रहे CM सुक्खू, बागी विधायकों को भी किया शांत
Himachal Pradesh विधानसभा मानसून सत्र में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की फ्लोर मेनेजमेंट पूरी तरह से कारगर साबित हुई। मुख्यमंत्री सुक्खू पहले दिन से ही विपक्ष पर पूरी तरह से हावी रहे। विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित करने की मांग उठा रहे थे। ऐसे में लग रहा था कि मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस के विधायक अपनी ही सरकार को निशाने पर रखेंगे।
By Parkash BhardwajEdited By: Prince SharmaUpdated: Tue, 26 Sep 2023 06:45 AM (IST)
शिमला, राज्य ब्यूरो। विधानसभा मानसून सत्र में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की फ्लोर मेनेजमेंट पूरी तरह से कारगर साबित हुई। मुख्यमंत्री सुक्खू पहले दिन से ही विपक्ष पर पूरी तरह से हावी रहे। विपक्ष के तीखे तेवरों का जवाब शालीन अंदाज में दिया। इस दौरान उनक शायराना अंदाज भी नजर आया था।
कांग्रेस विधायक दल ने सात दिन के सत्र के लिए पहले से रणनीति तैयार कर ली थी कि कौन विपक्ष के नेताओं पर किस तरह से निशाना साधेगा। कांग्रेस के कई विधायक पिछले कुछ समय से विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित करने की मांग उठा रहे थे। ऐसे में लग रहा था कि मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस के विधायक अपनी ही सरकार को निशाने पर रखेंगे।
सरकार के लिए कसौटी पर खरा उतरना संभव नहीं
सात दिवसीय सत्र के दौरान इन विधायकों के सुर बदले और विरोध के स्वर गुनगुना रहे ऐसे विधायकों ने मुख्यमंत्री की तारीफों के पुल बांधे। सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार का तीसरा सत्र था और ऐसा लग रहा था कि सरकार के लिए कसौटी पर खरा उतरना संभव नहीं होगा।
पहले ही दिन राज्य में आई आपदा पर विपक्षी भाजपा द्वारा लाया गया काम रोको प्रस्ताव राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के प्रस्ताव के आगे दम तोड़ गया। पूरा विपक्ष इस प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान खुलकर विरोध नहीं कर पाया। पहली बार सत्ता संचालन कर रहे मुख्यमंत्री सुक्खू की कार्यशैली परिपक्वता से गुजरती नजर आई। उन्होंने मंत्रियों को किसी भी मामले में उलझन में पड़ने नहीं दिया।
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हर बार तर्कसंगत तथ्य रखकर विपक्ष में मुख्य रुप से नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर को निरूत्तर किया। सर्दियों में लोकसभा चुनाव निकट आ रहे होंगे और शीतकालीन सत्र में विपक्ष को नई और मजबूत रणनीति के साथ आना पड़ेगा।मानसून सत्र के दौरान पारित किए गए आठ बिलों में से कई बिलों से राज्य को सीधे तौर पर आय आने का रास्ता निकाला गया। चाहे वह स्टांप की दरों में वृद्धि का विषय था या फिर आजादी से पहले से उपयोग नहीं हो रहे आठ कानूनों को समाप्त किया।
राज्य में कई वर्षों से रिक्त चल रहे लोकायुक्त पद के लिए उपयुक्त रास्ता निकाला। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू तीसरे सत्र में अनुभवी उभरकर सामने आए। पार्टी के पूरे कुनबे को सदन और सदन के बाहर छिटकने नहीं दिया।यह भी पढ़ें- BJP ने हिमाचल को कर्ज में दबाया, हम प्रदेश की आर्थिक स्थिति को बेहतर करेंगे- CM सुक्खू
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