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Himachal में बाढ़ ने मचाई तबाही, CM सुक्खू ने केंद्र से मांगी दो हजार करोड़ रुपये की मदद

Himachal News हिमाचल प्रदेश में बाढ़ ने व्यापक तबाही मचाई है। प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए राहत कार्य चलाने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र सरकार से 2000 करोड़ रुपये की अंतरिम राहत देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि राज्य बारिश के कहर से जूझ रहा है। वहीं सीएम सुक्खू ने बाढ़ से प्रभावित हर परिवार को 1 लाख रुपये देने की घोषणा की थी।

By Jagran NewsEdited By: Preeti GuptaUpdated: Sat, 15 Jul 2023 11:58 AM (IST)
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CM सुक्खू ने केंद्र से मांगी दो हजार करोड़ रुपये की अंतरिम राहत
शिमला, पीटीआई। हिमाचल प्रदेश में बाढ़ ने व्यापक तबाही मचाई है। वहीं, बाढ़ से हुए नुकसान से और भूस्खलन के चलते आई आपदा से निपटने के लिए राहत कार्य चलाने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र सरकार से 2,000 करोड़ रुपये की अंतरिम राहत देने की मांग की है और कहा कि राज्य बारिश के कहर से जूझ रहा है। ऐसे में बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा बढ़ाने के लिए राहत नियमावली में बदलाव किया जाएगा।

केंद्र से मांगी 2,000 करोड़ रुपये की अंतरिम राहत

पिछले सप्ताह भारी से अत्यधिक भारी बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन और अचानक बाढ़ आ गई। जिससे सड़कें अवरुद्ध हो गईं और बुनियादी ढांचे को काफी नुकसान पहुंचा। सीएम सुक्खू ने कहा कि मैंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात की और उनसे 2,000 करोड़ रुपये की अंतरिम राहत देने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि राज्य को 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है और अनुमान बढ़ने के साथ यह आंकड़ा बढ़ने की संभावना है।

सीएम ने की थी प्रत्येक परिवार को एक लाख रुपये देने की घोषणा

सीएम सुक्खू ने बाढ़ से प्रभावित हर परिवार को 1 लाख रुपये देने की घोषणा की थी। वहीं, उन्होंने कहा कि पीड़ितों को मुआवजा बढ़ाने के लिए राहत नियमावली में बदलाव किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि नियमावली के अनुसार वर्तमान में प्रत्येक आपदा पीड़ित को 5,000 रुपये की सहायता दी जाती है। पत्रकारों को संबोधित करते हुए सुक्खू ने कहा कि संकट में फंसे लोगों की मदद के लिए एक आपदा राहत कोष स्थापित किया गया है। उनकी सरकार के सभी मंत्रियों और कांग्रेस विधायकों ने पीड़ितों की मदद के लिए एक महीने का वेतन दान करने का फैसला किया है।

बीजेपी विधायकों से आपदा राहत कोष में दान देने का किया आग्रह

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा और हिमाचल प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों और अन्य संघों ने भी कोष में एक दिन का वेतन देने का फैसला किया है। सीएम सुक्खू ने कहा कि हम भाजपा विधायकों से भी ऐसा करने का अनुरोध करेंगे। उन्होंने आम जनता से भी योगदान देने की अपील की है। सरकार ने तीन सूत्रीय रणनीति तैयार की - बचाव, निकासी और बहाली।

पर्यटकों को बचाने के लिए युद्धस्तर पर चला रहा रेस्क्यू

मुख्यमंत्री ने कहा कि लाहौल और स्पीति में बर्फ से घिरे चंद्रताल में फंसे 250 पर्यटकों सहित 75,000 पर्यटकों में से लगभग 67,000 को बचाने और निकालने के बाद अब ध्यान बुनियादी ढांचे की बहाली पर है। कुछ पर्यटक अभी भी कसोल और तीर्थन घाटी में हैं। उन्होंने कहा कि वे सभी सुरक्षित हैं और उन्हें भोजन और अन्य आवश्यक सामान उपलब्ध कराया गया है।

हिमाचल को केंद्र से नहीं मिली वित्तीय सहायता- सीएम

सीएम ने कहा कि पिछले 15 दिनों में राज्य सरकार ने 1,100 करोड़ रुपये राहत-बचाव में खर्च किए हैं। जिसमें लोक निर्माण विभाग को 610 करोड़ रुपये, जल शक्ति विभाग को 218 करोड़ रुपये और राज्य आपदा राहत कोष को 180 करोड़ रुपये शामिल हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र से प्राप्त 180 करोड़ रुपये मानसून के दौरान राज्य को दी जाने वाली वार्षिक सहायता थी और दोहराया कि राज्य सरकार को अभी तक वित्तीय सहायता नहीं मिली है।

बाढ़ ने मचाया प्रदेश में कोहराम

सीएम ने केंद्र सरकार से पिछले साल से लंबित 315 करोड़ रुपये जारी करने का भी आग्रह किया। 26 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से मरने वालों की संख्या गुरुवार को 91 से बढ़कर 108 हो गई है, जबकि 12 लोग अभी भी लापता हैं।

राज्य आपातकालीन प्रतिक्रिया केंद्र के अनुसार, कम से कम 667 घर पूरी तरह से और 1,264 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। पिछले 24 घंटों में हुई 17 मौतों में से छह मौतें मंडी और शिमला जिलों में सड़क दुर्घटनाओं में हुई हैं। मरने वालों की संख्या में बारिश से संबंधित घटनाओं के अलावा सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए लोग भी शामिल हैं। राज्य में 860 से अधिक सड़कें अभी भी अवरुद्ध हैं।

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