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एक ओर अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा, तो दूसरी तरफ शिमला के राम मंदिर में होगा उत्सव; 22 जनवरी एक ऐतीहासिक दिन

अयोध्या में बने राममंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। इस दिन को शिमला के राममंदिर में भी उत्सव की तरह मनाया जाएगा। शिमला के राममंदिर को दिवाली की तरह सजाया जाएगा। राममंदिर अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दिन 5100 मिट्टी के दीपकों से जगमगाएगा। इसी तरह शहर के सभी दुकानदारों को भी शिमला सूद सभा की ओर से 5-5 मिट्टी की दीपक प्रदान किए जाएंगे।

By Rohit Sharma Edited By: Nidhi Vinodiya Updated: Mon, 08 Jan 2024 09:20 PM (IST)
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22 जनवरी को शिमला के राम मंदिर में होगा उत्सव, फाइल फोटो

रोहित शर्मा, शिमला। अयोध्या में बने राममंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। इस दिन को शिमला के राममंदिर में भी उत्सव की तरह मनाया जाएगा। इसके लिए शिमला के राममंदिर को दिवाली की तरह सजाया जाएगा। राममंदिर अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दिन 5100 मिट्टी के दीपकों से जगमगाएगा। इसी तरह शहर के सभी दुकानदारों को भी शिमला सूद सभा की ओर से 5-5 मिट्टी की दीपक प्रदान किए जाएंगे। ऐसे में न सिर्फ राममंदिर बल्कि पूरा शहर भगवान के दीपों की ज्याेति से जगमगाएगा।

सूद सभा शिमला के अध्यक्ष राजीव सूद ने बताया कि भगवान राम के अयोध्या लाैटने पर शिमला के राममंदिर में अखंड रामायण पाठ होगा। 21 जनवरी को 8 ब्राहाम्ण बिठाए जाएंगे। 24 घंटो का अखंड रामायण पाठ होगा। अखंड रामायण पाठ ठीक उसी समय संपन्न होगा, जिस दिन अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा होगी। 22 जनवरी को राममंदिर में प्रीतिभोज का आयोजन भी किया जाएगा। इस दिन मंदिर में सुंदर कांड का पाठ भी किया जाएगा। इसके बाद मंदिर में शंखनाद और घंटानाद होगा। इस प्रक्रिया के बाद मंदिर में 21 बार हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा।

11 को बनेगी उत्सव की रणनीति

सूद सभा के अध्यक्ष राजीव सूद ने बताया कि 11 जनवरी को एक बैठक बुलाई गई है। इसमें शहर की सभी एसोसिएशन से आग्रह किया गया है कि वह बैठक में आए। अग्रवाल सभा और जैन सभा ने इस बैठक में भाग लेने के लिए हामी भर दी है। इसी प्रकार लोअर बाजार, मिडल बाजार, रामबाजार की सभी एसोसिएशन के साथ साथ सिंह सभा, वाल्मिकी सभी समेत सभी संगठनों से उन्होंने आग्रह किया है कि उनके प्रतिनिधि इस बैठक में भाग ले।

बैठक का मुख्य उदेश्श्य यह है कि शहर के सभी मंदिरों में एक ही नीति के तहत इसे दिन को उत्सव की तरह मनाया जाएगा। उनका कहना है कि यह दिन बहुत महत्वपूर्ण दिन है। वर्षो के संघर्ष के बाद भगवान राम अयोध्या लौटेंगे। ऐसे में सभी संगठन व सभाएं मिलकर इस दिन को उत्सव की तरह मनाए।

स्वामी के प्रण के बाद हुई था राम मंदिर का निमार्ण

आजादी से पहले एक पंडाल में चलता था मंदिर

सूद सभा के अध्यक्ष राजीव सूद बताते हैं कि शिमला के राममंदिर का इतिहास आजादी से भी पूर्व का है। उस समय एक पंडित एक छोटे से पंडाल के नीचे यहां पर भगवान राम की प्रतिमा की अराधना करते थे। इसके बाद करीब 1960-62 में स्वामी चिन्मयानंद यहां पर आए। उन्होंने प्रण लिया कि जब तक यहां पर राम मंदिर का निर्माण नहीं होगा, तब तक वह एक समय का ही भोजन ग्रहण करेंगे।

इसके बाद सूद कमेटी ने मंदिर के निर्माण के लिए सभी लोगों से 10-10 पैसे एकत्रित किए। इसके बाद शादी के कार्यक्रम व बर्तनों से आने वाला कमाई मंदिर निर्माण के लिए लगा दी गई। उन दिनों का आलू की व्यापार बहुत होता था। आलू की हर बोरी की कुल कीमत से कुछ पैसा मंदिर निर्माण के लिए रखा गया। लोगों ने मंदिर निर्माण के लिए कार सेवा भी की। 1988 में मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई।

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