अभी शांत नहीं हुई हिमाचल कांग्रेस की कलह, विक्रमादित्य सिंह आज फिर जाएंगे दिल्ली; सीएम का कार्यक्रम भी प्रस्तावित
भाजपा अपने 25 कांग्रेस के छह और तीन निर्दलीय विधायकों के साथ अविश्वास मत की मांग करेगी। इनकी सदस्यता बहाल होती तो सदन में 34-34 का आंकड़ा हो सकता है। बचने के लिए कांग्रेस विधायकों की विशेषाधिकार समिति भाजपा के सात विधायकों पर कोई सख्त कार्रवाई करने का फैसला ले सकती है। बागियों के पक्ष में कोई फैसला नहीं आता तो भाजपा के पास इंतजार के अलावा कोई चारा नहीं।
जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल सरकार पर छाया संकट बेशक फिलहाल टला है किंतु कांग्रेस में कलह बरकरार है। बुधवार को कांग्रेस ने अयोग्य घोषित हो चुके विधायक सुधीर शर्मा को राष्ट्रीय सचिव के पद से भारमुक्त कर दिया जबकि एक अन्य बागी नेता राजेंद्र राणा ने कार्यकारी अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देकर बताया है कि बागी अब मानने को तैयार नहीं हैं।
राजेंद्र राणा कांग्रेस के तीसरे कार्यकारी अध्यक्ष हैं, जिन्होंने पदत्याग किया है। इनसे पहले हर्ष महाजन व पवन काजल दोनों ही कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर रहते हुए कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। दिल्ली जाते हुए और वहां से लौटते हुए चंडीगढ़ में अयोग्य घोषित विधायकों से मिलने वाले विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि आलाकमान तक बागियों की बात और आलाकमान की बात बागियों तक पहुंचा दी है। अब गेंद आलाकमान के पाले में है।
विक्रमादित्य सिंह ने मंगलवार को हमीरपुर में नितिन गड़करी के कार्यक्रम में भारत माता की जय के नारे भी लगाए थे और कहा था कि हम उनका समर्थन करेंगे जो हिमाचल के हितों को देखेंगे। बागियों और कांग्रेस में किसी सुलह के आसार नहीं लग रहे। कांग्रेस ने बागी विधायक सुधीर शर्मा को राष्ट्रीय सचिव के पद से हटाया तो उन्होंने यह कह कर सनसनी फैला दी, उन्हें रास्ते से हटाने के लिए पार्टी के ही एक नेता ने सुपारी दी थी। सुधीर के निकलते ही विधायक राजेंद्र राणा ने अपने पद से त्यागपत्र दिया।
अगले 10 दिन महत्वपूर्ण
अयोग्य घोषित विधायकों का मामला अब सर्वोच्च न्यायालय जबकि कांग्रेस सरकार के मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) का मामला हिमाचल के उच्च न्यायालय पर निर्भर करता है। वहीं, विधानसभा की विशेषाधिकार समिति का निर्णय भी भाजपा और सरकार पर प्रभाव छोड़ेगा। क्योंकि बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश व्यस्त थे इसलिए यह केस लिस्ट नहीं हो सका। आगे अवकाश हैं। यदि बागियों के पक्ष में फैसला आता है तो भाजपा व विधानसभा की विशेषाधिकार समिति की सक्रियता बढ़ना तय है।
भाजपा अपने 25, कांग्रेस के छह और तीन निर्दलीय विधायकों के साथ अविश्वास मत की मांग करेगी। यदि इनकी सदस्यता बहाल होती है तो सदन में 34-34 का आंकड़ा हो सकता है। इससे बचने के लिए कांग्रेस विधायकों की विशेषाधिकार समिति भाजपा के सात विधायकों पर कोई सख्त कार्रवाई करने का फैसला ले सकती है। यदि बागियों के पक्ष में कोई फैसला नहीं आता है तो भाजपा के पास इसका इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा।
उधर, 13 मार्च को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में छह मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई होनी है। भाजपा इन्हें लाभ का पद बताते हुए इनकी नियुक्तियों के विरुद्ध हाई कोर्ट गई है। इसके अगले दिन यानी 14 मार्च को भाजपा के विधायकों की ओर से जवाब देने का अंतिम दिन है, इस दिन यदि समिति, विधायकों के जवाब से संतुष्ट नहीं हुई तो इस मसले पर भी बड़ा फैसला आने की उम्मीद है।
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