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Sukhvinder Singh Sukhu: सुखविंदर सिंह सुक्खू के अध्यक्ष बनने से शुरू हुआ था वीरभद्र परिवार से विवाद

पार्टी में एक गुट चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहा था जबकि दूसरा गुट पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की पत्नी लोकसभा सदस्य और पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाने पर अड़ा रहा।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Sat, 10 Dec 2022 10:56 PM (IST)
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सुक्खू ने अध्यक्ष बनते ही संगठन में किया था बड़ा फेरबदल

जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल विधानसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत मिलने के बावजूद हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को मुख्यमंत्री चेहरा चुनने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। यहां तक कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व बंद कमरों में बैठकें कर रहा था तो बाहर नेताओं के समर्थक नारेबाजी करते रहे। पार्टी में एक गुट चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहा था, जबकि दूसरा गुट पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की पत्नी लोकसभा सदस्य और पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाने पर अड़ा रहा। पार्टी ने बीच का रास्ता निकाल कर सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष रहे मुकेश अग्निहोत्री को उपमुख्यमंत्री बनाने की निर्णय लिया।

वीरभद्र परिवार व सुक्खू में विवाद करीब नौ साल पहले शुरू हुआ था जब सुक्खू को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था। अध्यक्ष बनते ही सुक्खू ने संगठन में फेरबदल कर वीरभद्र समर्थकों को हटाकर अपने लोगों को जिम्मेदारी दी थी। इससे वीरभद्र सिंह नाराज हो गए। लंबे समय तक वीरभद्र व सुक्खू में विवाद चलता रहा। 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान वीरभद्र सिंह ने अपना प्रभाव दिखाया और असर यह हुआ कि उनके नेतृत्व में ही चुनाव हुए। यह अलग बात है कि पार्टी इस दौरान बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई और प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई। चुनाव के दौरान पार्टी के प्रयास के बावजूद वीरभद्र व सुक्खू एक मंच पर नहीं आए। 2019 में पार्टी ने सुक्खू को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया। इससे सुक्खू समर्थक निराश हो गए। समर्थकों ने लोकसभा चुनाव से दूरी बना ली और प्रचार में भी शामिल नहीं हुए।

2021 में वीरभद्र सिंह के निधन के बाद भी दोनों गुटों में दूरियां नहीं मिटीं। विधानसभा चुनाव से करीब छह माह पहले पार्टी ने प्रतिभा सिंह को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। चुनाव से पूर्व पार्टी ने सुक्खू को चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी। टिकट वितरण के दौरान भी दोनों गुटों ने अपने-अपने समर्थकों को टिकट दिलाने की पैरवी की। हाईकमान ने दोनों की बात सुनी और जीत की क्षमता और उन नेताओं के प्रदर्शन के आधार पर टिकट दिए। दोनों गुटों के भी लगभग बराबर समर्थक जीतने में कामयाब रहे। इसके बाद प्रतिभा सिंह ने कहा था कि पार्टी को वीरभद्र सिंह के कार्यों के कारण जीत मिली है। इस कारण उनके परिवार की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए, जबकि सुक्खू ने कहा था कि मुख्यमंत्री विधायकों में से ही बनाया जाए और हाईकमान जो निर्णय लेगा, उन्हें स्वीकार होगा।

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वीरभद्र सिंह का विरोध करते-करते ऊंचा हुआ कद

पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए ही सुक्खू ने अपना राजनीतिक कद बढ़ाया। 1993 में जब वीरभद्र सिंह और पंडित सुखराम के बीच मुख्यमंत्री को लेकर जंग हुई तो उस समय सुक्खू पंडित सुखराम के साथ रहे। जब विद्या स्टोक्स ने वीरभद्र के विरुद्ध मोर्चा खोला तो सुक्खू स्टोक्स की टीम में काम करते थे। इसी दौरान उन्होंने वीरभद्र सिंह के विरुद्ध बोलना शुरू किया।

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