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हिमाचल में 123 साल बाद बनी सूखे जैसी स्थिति, अभी तक 15 प्रतिशत फसलें हो चुकी तबाह; बढ़ सकता है नुकसान का आंकड़ा

Himachal Pradesh News हिमाचल प्रदेश में 123 सालों बाद सूखे जैसी स्थिति बन गई है। सूखे के कारण अभी तक रबी की फसलों को करीब 15 प्रतिशत तक के नुकसान का अनुमान लगाया गया है। हालांकि अभी ये प्रारंभिक तौर पर आंका जा रहा है। जबकि पूरी रिपोर्ट के आने पर नुकसान के और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

By Yadvinder Sharma Edited By: Himani Sharma Updated: Fri, 19 Jan 2024 05:12 PM (IST)
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हिमाचल में 123 साल बाद बनी सूखे जैसी स्थिति (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, शिमला। प्रदेश में दिसंबर और जनवरी माह के सूखे के कारण अभी तक रबी की फसलों को करीब 15 प्रतिशत तक के नुकसान का अनुमान लगाया गया है। हालांकि अभी ये प्रारंभिक तौर पर आंका जा रहा है। जबकि पूरी रिपोर्ट के आने पर नुकसान के और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

प्रदेश के सभी बारह जिलों से सूखे को लेकर हुए नुकसान की रिपोर्ट जुटाई जा रही है। जानकारी के अनुसार देरी से जिन भी क्षेत्रों में बुआई की गई है वहां पर बहुत नुकसान हुआ है और उसका आकलन किया जा रहा है।हालांकि असिंचित क्षेत्र जहां पर समय पर रबी की फसलों की बुआई का कमा हुआ है वहां पर भी काफी नुकसान फसलों को देखा जा रहा है।

123 वर्षों के बाद सूखे जैसी

प्रदेश में दिसंबर माह में सामान्य से 85 प्रतिशत तक कम वर्षा दर्ज की गई थी जबकि जनवरी माह में 123 वर्षों के बाद ऐसी सूखे जैसी स्थिति है। जिसके कारण कृषि फसलों पर बहुत अधिक असर हुआ है। रबी की फसलों में इन दिनों गेहूं, जौ, चना, मटर आदि की काश्त का कार्य होता है। इसके अलावा सब्जियों का सबसे अधिक उत्पादन होता है। ऐसे में सब्जियों का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है।

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प्रदेश में केवल 30 प्रतिशत सिंचित क्षेत्र

प्रदेश में केवल 30 प्रतिशत क्षेत्र सिंचित क्षेत्र के तहत आता है। जबकि 70 प्रतिशत क्षेत्र असिंचित क्षेत्र में आता है। ऐसे में गेहूं के अलावा मटर, सरसों और चना की फसल पर बहुत प्रभाव पड़ा है।

दस से पंद्रह में आ जाएगी सूखे के कारण प्रभावित फसलों की रिपोर्ट

सूखे के कारण फसलों के प्रभावित होने की रिपोर्ट दस से पंद्रह दिनों में आ जाएगी। इस संबंध में सभी जिलों से फील्ड आधार पर डाटा मांगा गया है। सिंचित क्षेत्रों में ज्यादा असर फसलों पर नहीं पड़ा है। -कुमुद सिंह, निदेशक कृषि विभाग

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