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Mid Day Meal: 5 लाख स्कूली बच्चों पर मिड डे मील का संकट!, केंद्र से बजट न मिलने पर स्टेट करेगा फंडिंग

बीते पांच महीनों से केंद्र सरकार की ओर से बजट न जारी होने के कारण राज्य के स्कूली बच्चों पर मिड डे मील का संकट गहरा गया है। इसके साथ ही एमडीएम (Mid Day Meal) के वर्करों को भी मानदेय मिलना मुश्किल हो गया है। वहीं हिमाचल राज्य सरकार स्कूली बच्चों के लिए अतिरिक्त बजट का इंतजाम कर रही है।

By rohit nagpalEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Fri, 29 Sep 2023 04:15 PM (IST)
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5 लाख स्कूली बच्चों पर मिड डे मील का संकट (कॉन्सेप्ट इमेज)।

जागरण संवाददाता, शिमला: राज्य भर के स्कूलों में आने वाले समय में मिड डे मील योजना पर संकट गहराने की आशंका बन गई है। केंद्र सरकार ने लगभग पांच महीने से मिड डे मील योजना के लिए बजट जारी नहीं किया है। इससे प्रदेश के हजारों स्कूलों में बच्चों को भोजन का इंतजाम करना मुश्किल हो जाएगा। हिमाचल प्रदेश के एलीमेंटरी एजूकेशन विभाग लगातार केंद्र से पत्राचार कर रहा है, लेकिन बजट के नाम पर कुछ नहीं मिल रहा है।

हालत अब ये हैं कि स्कूलों में शिक्षकों ने हाथ खड़े करना शुरू कर दिया है। इन्हें स्थानीय दुकानदारों ने उधारी में राशन और सब्जियां देना बंद कर दिया है। राज्य में जिन स्कूलों में बच्चों की संख्या ज्यादा है, उन स्कूलों में समस्या बढ़ गई हैं।

स्कूलों में राशन के साथ साथ रसोई गैस सिलेंडर का जुगाड़ करना भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। अधिकतर स्कूलों में शिक्षक अपनी जेब से पैसे खर्च करके एमडीएम योजना के भोजन का इंतजाम कर रहे हैं। हिमाचल में इस योजना के तहत स्कूलों में भोजन तैयार करने वाले एमडीएम वर्करों को भी अप्रैल महीने के बाद से मानदेय नहीं दिया गया। इससे एमडीएम वर्करों के लिए परिवार का पालन-पोषण भी मुश्किल हो गया है।

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केंद्र ने बजट नहीं दिया तो राज्य के फंड से करेंगे प्रावधान: कंवर

प्रदेश के शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने बताया कि उम्मीद है कि केंद्र से मिड डे मील योजना का बजट जल्द मिल जाएगा। केंद्र से बजट नहीं मिलने की सूरत में राज्य सरकार अपने कोष से इस योजना के लिए बजट का इंतजाम करेगी, जिससे बच्चों की भोजन की व्यवस्था को जारी रखा जा सके।

रोजाना पांच लाख बच्चे करते हैं भोजन

मिड डे मील के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को दोपहर बाद का भोजन दिया जाता है। राज्य के लगभग 6000 प्राइमरी और मिड स्कूलों में करीब पांच लाख बच्चे इस योजना के तहत रोजाना भोजन करते हैं। इसके लिए केंद्र से 90 व राज्य सरकार से 10 के अनुपात में बजट देती है।

राज्य के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने बताया कि स्कूलों में बच्चों का खाना बंद न हो, इसलिए अधिकारी अतिरिक्त बजट का इंतजाम कर रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से हर संभव प्रयास किया जा रहा है।

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