अब सबको मिलेगा रोजगार, दक्षिण कोरिया की तर्ज पर हिमाचल में बनेगी ईको स्टार्टअप नीति; बजट में भी होगा इजाफा
हिमाचल में दक्षिण कोरिया की तर्ज पर ईको स्टार्टअप नीति तैयार की जाएगी। जिसके तहत बेरोजगारी का स्थायी समाधान निकलेगा। इसके शुरू होने से युवाओं को आईटी और फूड आधारित स्टार्टअपस के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त होगा। सरकार की नई स्टार्टअप नीति के केंद्र में महिलाएं होंगी।
राज्य ब्यूरो, शिमला। Himachal Pradesh News: हिमाचल में दक्षिण कोरिया की तर्ज पर ईको स्टार्टअप नीति तैयार की जाएगी। जिसके तहत बेरोजगारी का स्थायी समाधान निकलेगा।
प्रदेश में अभी तक सूचना प्रौद्योगिकी आधारित स्टार्टअप ( Eco startup policy) स्थापित हो सके हैं। इसके अतिरिक्त खाद्य प्रसंस्करण केंद्रित स्टार्टअप भी आगे आए हैं। दो-तीन करोड़ के मामूली बजट से प्रदेश में युवाओं को स्टार्टअप शुरू करने में वित्तीय परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
स्टार्टअप योजना को मिलेगा बढ़ावा
पिछले पांच साल के दौरान सौ से कम स्टार्टअप व्यवसायिक तौर पर खड़े हो पाए हैं। लेकिन अब राज्य में स्टार्टअप योजना उड़ान भरेगी, जिसके तहत युवाओं को आईटी और फूड आधारित स्टार्टअपस के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त होगा।
ऐसा माना जा रहा है कि सरकार की नई स्टार्टअप नीति के केंद्र में महिलाएं होंगी। महिलाएं स्टार्टअप और नवोन्मेष की अगुवाई करने के लिए आगे आएंगी।
दक्षिण कोरिया ईको स्टार्टअप है विख्यात
ग्रामीण क्षेत्र की गतिविधियां जोकि व्यावसायिक दृष्टि से मजबूत आधार बन सकती हैं, उनपर मुख्य रुप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा। हिमाचल सरकार में प्रधान सचिव आरडी नजीम और उद्योग विभाग के निदेशक राकेश कुमार प्रजापति इस संबंध में जानकारी लेने के लिए सियोल गए थे।
दक्षिण कोरिया ईको स्टार्टअप (South Korea Eco startup policy) के लिए विश्वविख्यात है। दोनों अधिकारी सरकार को स्टार्टअप संबंधी रिपोर्ट सौंपेंगे। उसके आधार पर सरकार नई स्टार्टअप नीति निर्धारण करेगी।
अभी तक स्टार्टअप योजना गति नहीं पकड़ सकी
प्रदेश में स्टार्टअप इंडिया योजना 16 जनवरी 2016 को शुरू हुई थी। जिसके तहत राज्य में 329 स्टार्टअपस चयनित हुए थे, जिनमें से 281 को तीन लाख की वित्तीय सहायता मिली और 82 स्टार्टअपस व्यवसायिक तौर पर आगे निकले।
पिछले दो साल के दौरान एक दर्जन से अधिक इंक्यूवेशन केंद्र दिए गए। जबकि शुरुआती वर्षों में केवल मात्र छह इंक्यूवेशन केंद्र होते थे। जहां से स्टार्टअप का आइडिया स्वीकृत होता था।
680 करोड़ का स्टार्टअप कोष
सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए अलग से स्टार्टअप धनराशि जारी करने का वादा किया था। जिसके तहत 680 करोड़ बजट के स्टार्टअप कोष से प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र को धनराशि आबंटित की जानी है। ये योजना सरकार की उद्योग विभाग से चल रही स्टार्टअप योजना से अलग रहेगी।
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