Move to Jagran APP

12 वर्ष में भी धरातल पर नहीं उतरा वन अधिकार कानून

हिमाचल में वन अधिकार कानून 2006 को सही ढंग से लागू नहीं किया गया है।

By JagranEdited By: Updated: Wed, 02 May 2018 09:12 PM (IST)
Hero Image
12 वर्ष में भी धरातल पर नहीं उतरा वन अधिकार कानून

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल में वन अधिकार कानून 2006 को सही ढंग से लागू नहीं किया गया है। 12 वर्ष में भी यह केंद्रीय कानून कागजों में ही लागू है। धरातल पर उतारने का कोई प्रयास नहीं किया गया। वन अधिकार मंच ने इस पर सवाल उठाए हैं। मंच ने अफसरशाही पर भी सवाल उठाए हैं। संगठन ने कहा है कि सरकार के बड़े अधिकारियों को भी कानून की कम ही समझ है।

मंच के कई सदस्यों ने बुधवार को सचिवालय में प्रधान सचिव ओंकार शर्मा समेत कई अधिकारियों ने मुलाकात की। इस दौरान उन्हें ज्ञापन भी सौंपा। मंच में चंबा, सिरमौर, कांगड़ा, किन्नौर और लाहुल-स्पीति जिलों से प्रतिनिधि शामिल रहे। उन्होंने सरकार को इस कानून के धरातल पर क्रियान्वयन में आ रही अड़चनों और चुनौतियों से अवगत करवाया। वन अधिकार कानून तो 2006 में बना पर 2008 में जब यह कानून पूरे देश में लागू हुआ तब हिमाचल प्रदेश सरकार ने केवल जनजातीय जिलों में इसको लागू किया। 2012 में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद इसको पूरे राज्य में लागू किया गया। हिमाचल जैसे राज्य में 70 फीसद क्षेत्र वन भूमि की श्रेणी में है। अधिकांश जनता मूलभूत सुविधाओं और आजीविका के लिए वनों और वन भूमि पर आश्रित है।

----------

कितनी वन अधिकार समितियां

तीन साल में राज्य में 17534 वन अधिकार समितियों का गठन भी हो चुका है, इस कानून के तहत निजी और सामुदायिक अधिकारों को पूर्ण मान्यता नहीं मिली। मंच के समन्यवक अश्रय जसरोटिया के मुताबिक भारत में लाखों हेक्टेयर वन भूमि पर अधिकार दिए जा चुके हैं, जबकि हिमाचल में मात्र सात गांव को सामूहिक अधिकार मिले हैं। राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी इसका मुख्य कारण है। दूसरी बड़ी समस्या है कि ऊपर से लेकर नीचे तक सरकारी तंत्र में कानून के बारे में आधी-अधूरी जानकारी है। अभी भी दो हजार से अधिक दावों पर फैसला नहीं हो पाया है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।