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अब जमीन में पानी भी डालेंगे हैंडपंप, बढ़ेगा भू-जलस्‍तर Shimla News

सरकार की योजना है कि हैंडपंपों से पानी निकालने की अपेक्षा इन्हें पानी रिचार्ज का माध्यम बनाया जाए।

By Rajesh SharmaEdited By: Updated: Tue, 16 Jul 2019 11:49 AM (IST)
अब जमीन में पानी भी डालेंगे हैंडपंप, बढ़ेगा भू-जलस्‍तर Shimla News
शिमला, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में भूजल स्तर में लगातार गिरावट से सरकार भी चिंतित है। भूजल के अत्याधिक दोहन के कारण ऐसी स्थिति पैदा हुई है। हैंडपंप भी इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है। अब सरकार ने आज तक स्थापित सभी हैंडपंपों की रिपोर्ट तलब की है। हाइड्रोलॉजिस्ट विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे। अब प्रदेश में हैंडपंप स्थापित नहीं होंगे। इनका चलन 90 के दशक में आरंभ हुआ। अभी तक राज्य में 40 हजार हैंडपंप स्थापित हो गए हैं। हाइड्रोलॉजिस्ट को बताना होगा कि मौजूदा समय में कितने हैंडपंप खराब है, कितने सही हालत में हैं, कितनों में पानी की गुणवत्ता खराब है।

सरकार की योजना है कि हैंडपंपों से पानी निकालने की अपेक्षा इन्हें पानी रिचार्ज का माध्यम बनाया जाए। टॉप निकाल कर पाइप के जरिए पानी को धरती के अंदर पहुंचाया जाएगा। वर्षा के पानी को जमीन के अंदर तक पहुंचाने के कारण भूजल स्तर में सुधार हो सकेगा। इससे कैसे भूजल स्तर सुधर सकता है, इसके लिए विशेषज्ञों को पूरी रिपोर्ट देनी होगी।

पहाड़ों में बारिश का पानी होता है बर्बाद

पहाड़ों में वर्षा जल तेजी से नीचे की ओर बहता है। यह भूजल को रिचार्ज कम करता है। इसकी बर्बादी ज्यादा होती है। ज्यादा बारिश होने से इसे ऊंचे स्थानों पर एकत्र नहीं किया जाता है। लेकिन अब यहां भी पानी की कमी महसूस हो रही है। परंपरागत जल स्रोत या तो सूख गए हैं या फिर सूखने के कगार पर हैं।

प्रदेश सरकार अब हैंडपंपों को किसी भी हालत में प्रोत्साहित नहीं करेगी। इसका कारण यह है कि प्रदेश में भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है। यह बात यही है कि इनकी रिपोर्ट मंगवाई गई है। कोशिश यही है कि इन पंपों को ही भूजल स्तर में सुधार का जरिया बनाया जाए। -महेंद्र सिंह ठाकुर, आइपीएच मंत्री।

कब, कितने हैंडपंप लगे

वर्ष,हैंडपंप लगे

1991-92,323

1992-93,789

1993-94,1496

1994-95,1000

1995-96,1001

1996-97,809

1997-98,1027

1998-99,792

1999-2000,1019

2000-2001,1148

2001-02,1077

2002-03,1570

2003-04,1057

2004-05,639

2005-06,269

2006-07,595

2007-08,852

2008-09,2188

2009-10,3007

2010-11,2713

2011-12,2761

2012-13,2762

2013-14,2084

2014-15,1241

2015-16,1252

2016-17,2197

2017-18,1597

2018-19,1809

कुल,39086 (इस साल के आंकड़े मार्च तक के हैं।)

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