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Harsh Mahajan Profile: कौन हैं हर्ष महाजन... कांग्रेस के किले में लगाई सेंध, राज्य सभा सांसद बनकर रचा इतिहास

Harsh Mahajan चंबा से संबंध रखने वाला कोई भी व्यक्ति आज तक तक राज्यसभा सांसद नहीं बना है लेकिन चंबा के हर्ष महाजन ने हिमाचल की राज्यसभा सीट पर जीत दर्ज कर के इतिहास रच दिया है। हर्ष आज तक कोई चुनाव नहीं हारे हैं। इस बार तो असंभव लग रही जीत प्राप्त की है। हर्ष महाजन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री देस राज महाजन के बेटे हैं।

By Nidhi Vinodiya Edited By: Nidhi Vinodiya Updated: Tue, 27 Feb 2024 09:51 PM (IST)
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कौन हैं हर्ष महाजन..., राज्य सभा सांसद बनकर रचा इतिहास

मान सिंह वर्मा, चंबा। Harsh Mahajan: चंबा से राज्यसभा के लिए चुने जाने वाले हर्ष महाजन पहले सांसद (Rajya Sabha MP Harsh Mahajan) बने हैं। इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो चंबा से संंबंध रखने वाला कोई भी राजनीतिज्ञ व व्यक्ति आज तक राज्यसभा सांसद नहीं बना है, लेकिन चंबा से संबंध रखने वाले हर्ष महाजन (Harsh Mahajan) ने कांग्रेस के अभेद किले में सेंध लगाते हुए पहली बार राज्य सभा संसद बन इतिहास रच दिया है। हर्ष महाजन की जीत से पार्टी पदाधिकारियों के अलावा कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल है। भाजपा कार्यकर्ताओं की ओर से चंबा में आतिशबाजी चलाने के साथ मिठाई बांटकर हर्ष महाजन की जीत का जश्न मनाया है। 

लंबे समय से कांग्रेस में रहे थे हर्ष महाजन

12 दिसंबर 1955 को शिव भूमि चंबा में देस राज महाजन के घर जन्में हर्ष महाजन ने बीकॉम व एमबीए तक की पढ़ाई की। हर्ष महाजन 1986 से 1995 तक प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। 1993 में चंबा सदर से पहली बार चुनाव लड़ा ओर विधायक बनें। इसके बाद लगातार तीन बार चंबा सदर से विधायक बने। वहीं 2003 से 2008 तक पशुपाल मंत्री रहे। लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी में रहे हर्ष महाजन ने विधानसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था, लेकिन उस दौरान हर्ष महाजन का दाव इतना प्रभावशाली नहीं रहा और चंबा सदर से भी कांग्रेस विधायक ने भारी बहुमत से जीत हासिल की। वहीं प्रदेश में बहुमत से कांग्रेस की सरकार बन गई। लेकिन इस बार हर्ष महाजन ने बड़ा दाव खेलते हुए कांग्रेस खेमे में सेंधमारी कर राज्य सभा संसद की की जीत हासिल की है। हर्ष महाजन की जीत के बाद बीजेपी प्रदेश में सरकार बनने के सपने देखने लगी है। 

हर्ष महाजन के नाम है जीत की हैट्रिक 

चंबा हलके से चुनावी समर में जीत की हैट्रिक लगाने का रिकार्ड भाजपा के स्व. किशोरी लाल वैद्य और कांग्रेस के हर्ष महाजन के नाम दर्ज है। वर्ष 1993 में सदर हलके से सागर चंद नैयर की टिकट कटवाकर हर्ष महाजन ने मोर्चा संभाला। हर्ष महाजन ने 1993 के चुनावों में भाजपा के किशोरी लाल को 13585 मतों से हराया। 1998 के चुनावों में हर्ष महाजन ने भाजपा के केके गुप्ता को 14411 और 2003 में भाजपा के बीके चौहान को 15 हजार से अधिक मतों से हराकर जीत की हैट्रिक अपने नाम की।

हर्ष महाजन का सियासी सफर 

  • 1986 से 1996 तक प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे 
  • पहला चुनाव 1993 चंबा सदर -1993 से 2007 तक
  • तीन बार विधायक
  • 1993 में मुख्य संसदीय सचिव रहे। 
  • 1998 में प्रदेश कांग्रेस का चीफ व्हीप चुने
  • 2003 में कैबिनेट मंत्री बने। 
  • 2012 में राज्य सहकारी बैंक के चेयरमैन बने।

चुनाव जीतने का रिकॉर्ड रखा बरकरार

विधानसभा में अल्पमत में होने के बावजूद भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन ने राज्यसभा चुनाव जीतकर चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बरकरार रखा है। हर्ष आज तक कोई चुनाव नहीं हारे हैं। इस बार तो असंभव लग रही जीत प्राप्त की है। हर्ष महाजन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री देस राज महाजन के बेटे हैं। इनका जन्म 12 दिसंबर 1955 को चंबा में हुआ था। बीकॉम व एमबीए श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, नई दिल्ली और दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से पढ़ाई की। 7 जून 1983 को उनकी शादी उमा सिंह से हुई। 

लंबे समय तक कांग्रेस नेता रहे हैं महाजन

प्रदेश कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष हर्ष महाजन ने 1985 में राजनीति शुरू की। 1994 तक युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे। 1993 में उन्होंने पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा। चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे। 1994 से 1998 तक तत्कालीन वीरभद्र सिंह की सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहे। इसके बाद 1998 और 2003 में भी उन्होंने विधानसभा चुनाव जीता। हर्ष महाजन 2003 से 2007 तक तत्कालीन वीरभद्र सिंह की सरकार में पशुपालन मंत्री रहे। इसके बाद किसी चुनाव के बजाय संगठन को प्राथमिकता दी और कांग्रेस के मुख्य रणनीतिकार बन गए। 

नामांकन के समय से क्रॉस वोटिंग कयास लगाए गए

विधानसभा चुनाव से पहले 28 सितंबर 2022 को भाजपा में गए हर्ष महाजन इस बार राज्यसभा चुनाव के लिए ऐसे मैदान में उतरे थे, जहां साफ था कि किसी भी तरह से जीत संभव नहीं है। इसके बावजूद यह चुनाव भी जीता। नामांकन पत्र भरने के दौरान भी उन्होंने कहा था कि कई विधायक उनके संपर्क में हैं। इसके बाद से ही क्रास वोटिंग के कयास लगाए जा रहे थे, जो सही साबित हुए। कांग्रेस विधायकों से उनकी नजदीकी और दोस्ती भी है। यह तो तय है कि उनकी इसकी जीत को लंबे समय तक याद रखा जाएगा। 

हमीरपुर ने दिया था साथ, आज विरोध भी खुलकर किया

विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को गृह जिला हमीरपुर से पूरा साथ मिला था। जिला की पांच में से चार सीटें कांग्रेस ने जीती थीं। वहीं, निर्दलीय ने भी सुक्खू सरकार को ही समर्थन दिया था। राज्यसभा चुनाव के दौरान परिस्थितियां बदली तो सुक्खू सरकार को झटका भी जोर से दिया है। निर्दलीय सहित तीन कांग्रेस विधायकों ने भाजपा प्रत्याशी को मत देकर विरोध भी खुलकर किया है। राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के छह विधायकों ने क्रॉस वोट किया है। इनमें चार हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से ही हैं, जबकि दो निर्दलीय भी इसी क्षेत्र से हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद सबसे पहले विरोध के स्वर भी हमीरपुर के सुजानपुर चुनावी हलके से ही उठे थे। इसके विरोध दूसरे विधायकों तक पहुंचा।