Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Shimla: संघ से जुड़ा होने पर किया तबादला हाई कोर्ट ने बताया गैरकानूनी, कहा- 'मनमाना और समानता के अधिकार का उल्लंघन'

Himachal High Court हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने आरएसएस का सदस्य होने के आरोप पर किए गए तबादले के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इसे प्रथमदृष्टया मनमाना गैरकानूनी और संविधान की ओर से दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने प्रार्थी की याचिका को गुणवत्ता के आधार पर खारिज कर दिया था।

By narveda kaundal Edited By: Himani Sharma Updated: Fri, 12 Jan 2024 08:49 PM (IST)
Hero Image
संघ से जुड़ा होने पर किया तबादला हाई कोर्ट ने बताया गैरकानूनी

जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का सदस्य होने के आरोप पर किए गए तबादले के आदेश पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान पाया कि प्रार्थी सुरेश कुमार जसवाल का तबादला केवल इसलिए किया गया कि वह आरएसएस के सदस्य हैं।

प्रार्थी ने हाई कोर्ट के समक्ष दी थी चुनौती

कोर्ट ने इसे प्रथमदृष्टया मनमाना, गैरकानूनी और संविधान की ओर से दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया। मामले के अनुसार, हिमाचल प्रदेश राज्य कोआपरेटिव बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर (प्रबंध निदेशक) ने बैंक के बिलासपुर जिला कार्यालय में तैनात सीनियर मैनेजर (वरिष्ठ प्रबंधक) सुरेश कुमार जसवाल का तबादला आदेश जारी किया था। इस आदेश को प्रार्थी ने हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी।

यह भी पढ़ें: हिमाचल में फिल्म नीति और लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष करने पर लगी मुहर, कैबिनेट में इन प्रस्तावों को मिली मंजूरी

याचिका को गुणवत्ता के आधार पर किया था खारिज

हाई कोर्ट की एकल पीठ ने प्रार्थी की याचिका को गुणवत्ता के आधार पर खारिज कर दिया था। एकल पीठ का यह भी कहना था कि प्रार्थी का तबादला आदेश बैंक के सेवा नियमों के तहत जारी किया है और बैंक के सेवा नियमों को कोई कानूनी बल प्राप्त नहीं है।

आदेश को प्रार्थी ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष दी चुनौती

एकल पीठ का कहना था कि मैनेजिंग डायरेक्टर ने राज्य कोआपरेटिव अधिनियम अथवा इसके तहत बनाए नियमों का उल्लंघन नहीं किया है, इसलिए याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। इस आदेश को प्रार्थी ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी है। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने प्रथमदृष्टया बैंक को संविधान के तहत राज्य की परिभाषा में पाते हुए याचिका को सुनवाई योग्य पाया और प्रार्थी के तबादला आदेश पर रोक लगा दी।

यह भी पढ़ें: Shimla News: हिमाचल में सरकारी नौकरियों के खुले द्वार, स्कूलों-कॉलेजों में भर्ती होंगे 2600 गेस्ट टीचर