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Heat Wave in Himachal: भीषण गर्मी से बढ़ने लगे अस्पतालों में मरीज, अगर आप में भी दिख रहे हैं ये लक्षण; तो हो जाएं सतर्क

इस समय हिमाचल में गर्मी अपना प्रचंड रूप अख्तियार कर चुकी है। इस चिलचिलाती गर्मी और लू के थपड़ों की चपेट में आप भी आ सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि कुछ उपायों को बीमार होने से पहले ही अपना लिया जाए। बचाव के लिए जरूरी है कि शरीर के मुख्य अंगों को पानी से भीगे कपड़े से ढककर निकला जाए।

By Neeraj Kumari Edited By: Prince Sharma Published: Fri, 17 May 2024 04:41 PM (IST)Updated: Fri, 17 May 2024 04:41 PM (IST)
Heat Wave in Himachal: भीषण गर्मी से बढ़ने लगे अस्पतालों में मरीज

जागरण संवदादाता, बंगाणा। Himachal News: बढ़ रही गर्मी व लू से अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। जिले के सिविल व क्षेत्रीय अस्पतालों में पांच से छह मरीज प्रतिदिन बुखार, उल्टी-दस्त व लू से पनपने वाले रोगों से ग्रसित होकर पहुंच रहे हैं।

चिकित्सा अधिकारियों ने गर्मी व लू से बचने के लिए लोगों को धूप में न निकलने की सलाह दी है। अगर किसी कारणवश धूप में जाना पड़े तो शरीर के मुख्य अंगों को पानी से भीगे कपड़े से ढककर निकालने के लिए कहा है। चाय, कार्बोनेटेड पेय व शराब की से पूर्णतया दूरी बनाने की सलाह दी है।

ऊना में 41 डिग्री पहुंचा तापमान

जिला ऊना का अधिकतम तापमान 41 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा है व जिस प्रकार जंगल जल रहे हैं उससे तापमान और अधिक बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। खंड चिकित्सा अधिकारी बंगाणा नरेश शर्मा के अनुसार लू लगने से बुखार, त्वचा का लाल पाड़ना, रुखा होना, गर्म होना, नाड़ी का तेज चलना, चक्कर आना, सिरदर्द होना, जी- मिचलाना, घबराहट होना, पसीना अधिक आना, बेहोश होना आदि शामिल है।

सूरज की तपिश बढ़ने से दोपहर के समय तेज गर्म हवा चलती है। इससे हीट स्ट्रोक यानी लू लगने का खतरा सबसे अधिक रहता है जो जानलेवा भी साबित हो सकता है।

डायरिया, टाइफाइड, त्वचा संक्रमण होने की भी आशंका रहती है। शरीर का सामान्य तापमान 95.5 फार्नेहाइट 37 डिग्री सेल्सियस होता है। वातावरण का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर शरीर की त्वचा इसे नियंत्रित करती है। इसलिए पसीना निकलना शुरू हो जाता है।

लक्षण

तेज धूप लगने पर शरीर में पानी की कमी हीट एक्जर्शन महसूस होने लगती है। इस वजह से प्यास बहुत लगती है। सिरदर्द शुरू हो जाता है। इसके अलावा उल्टी, चक्कर आना, बुखार व पसीना अधिक आना इसके लक्षण हैं। कई लोग गर्मी की वजह से बेहोश हो जाते हैं। अधिक देर तक लू में रहने पर शरीर से पसीना आना बिल्कुल बंद हो जाता है।

यह खतरे की घंटी है। यदि पसीना आना बंद हो जाए तो समझ लें, यह हीट स्ट्रोक का लक्षण है। इससे किडनी, लिवर जैसे महत्वपूर्ण अंग खराब हो सकते हैं यानी यह जानलेवा साबित हो सकता है। लू लगने पर तुरंत अस्पताल जाना चाहिए।

बचाव के तरीके

बच्चों, बुजुर्गों व महिलाओं को धूप में अधिक नहीं निकलना चाहिए। धूप से बचने के लिए छाते का प्रयोग करें। सिर व चेहरा कपड़े से ढका होना चाहिए। पर्याप्त मात्रा में पानी व जूस का इस्तेमाल करना चाहिए। कपड़े ढीले पहनना चाहिए। धूप से आंखों के बचाव के लिए काले चश्मे का इस्तेमाल कर सकते हैं। फलों का जूस, नारियल पानी, सतू, बेल का शरबत, छाछ आदि के इस्तेमाल से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।

एसी से निकलकर गर्म स्थान पर जाने से बचें

वातानुकूलित कमरे या कार से निकलकर तुरंत गर्म स्थान या धूप में जाने पर शरीर को अपने तापमान में संतुलन बनाए रखने में दिक्कत आती है, इसलिए सर्दी जुकाम शुरू हो सकता है और स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।

धूप या बाहर से आकर कई लोग तुरंत फ्रिज का ठंडा पानी पी लेते हैं। इससे सर्दी जुकाम हो सकता है। धूप से आने के बाद कुछ देर बैठकर शरीर को ठंडा होने देना चाहिए। इसके बाद पानी पीना अच्छा होता है।

पैरासिटामोल न लें, ठंडे पानी से स्नान करें

लू लगने से अगर बुखार आ रहा है तो खुद से पैरासिटामोल नहीं लेना चाहिए। यह लिवर व किडनी के लिए घातक हो सकता है। दिन में कई बार ठंडे पानी से स्नान कर सकते हैं।

गर्मी में मौसमी फलों तरबूज, खरबूजा, आम, लीची आदि में पानी की मात्रा अधिक होती है। इन दिनों मौसमी फलों, खीरा, ककड़ी का इस्तेमाल अधिक करना चाहिए। फलों को पकाने के लिए केमिकल का इस्तेमाल होता है, इसलिए फलों को ठीक से धोकर ही उपयोग में लाना चाहिए।

अधिक पानी पीएं, सूती कपड़े पहनें, काला चश्मा व छाते का प्रयोग, लस्सी, नींबू पानी, ओआरएस घोल पीएं। चाय, शराब, कार्बोनेटेड ड्रिंक बिल्कुल न पिएं। लू लगने से अधिक स्वास्थ्य खराब होता है तो शीघ्र अस्पताल पहुंचें।

-नरेश शर्मा, खंड चिकित्सा अधिकारी।


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