Himachal Politics: निर्दलीय विधायकों के इस्तीफा मामले में HC का फैसला सुरक्षित, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई
Himachal Politics हिमाचल प्रदेश में निर्दलीय विधायकों के इस्तीफों को मंजूरी न देने के मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि तीन निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफा मंजूर न करने के मामले में याचिका दायर की हुई है। हाईकोर्ट की ये सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई।
जागरण संवाददाता, शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने निर्दलीय विधायकों के इस्तीफों को मंजूरी न देने से जुड़े मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। तीन निर्दलीय विधायकों ने उनके इस्तीफे मंजूर न करने के खिलाफ याचिका दायर की है। मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हुई। इस मामले में सभी पक्षकारों की ओर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बहस पूरी की गई।
कोर्ट ने शिमला से कांग्रेस विधायक हरिश जनारथा द्वारा इस मामले में हस्तक्षेप करने की इजाजत से जुड़े आवेदन को भी खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में निर्दलीय विधायकों और स्पीकर की ओर से बहस सुनने के पश्चात हस्तक्षेप की मांग करने वाले प्रार्थी को सुनने की कोई आवश्यकता नहीं है। हालांकि कोर्ट ने इस आवेदन को खारिज करने के विस्तृत कारण अलग से मुख्य याचिका के फैसले के साथ देने के आदेश पारित किए।
इस्तीफा मंजूर न कर सत्ता के साथ धोखा- निर्दलीय विधायक
निर्दलीय विधायकों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि विधानसभा स्पीकर उनके इस्तीफों को मंजूर न कर सत्ता के साथ धोखा कर रहे हैं। अपनी सदस्यता से इस्तीफा देना और फिर से चुनाव लड़ना उनका संवैधानिक अधिकार है इसलिए तुरंत प्रभाव से उनके इस्तीफे मंजूर हो जाने चाहिए थे। निर्दलीय विधायकों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस मामले में उन्होंने खुद जाकर स्पीकर के समक्ष इस्तीफे दिए, राज्यपाल को इस्तीफे की प्रतिलिपियां सौंपी, विधानसभा के बाहर इस्तीफे मंजूर न करने को लेकर धरने दिए और हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया तो उन पर दबाव में आकर इस्तीफे देने का प्रश्न उठाना किसी भी तरह से तार्किक नहीं लगता और इसलिए इससे बढ़कर उनकी स्वतंत्र इच्छा से बड़ा क्या सबूत हो सकता है।वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुए सुनवाई
उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट को बताया कि इस्तीफे के बाद बीजेपी की सदस्यता ज्वाइन करने पर उन्हें स्पीकर ने विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराने का नोटिस जारी किया है जबकि वास्तविकता यह है कि वे निर्दलीय विधायक होने के नाते किसी भी पार्टी को ज्वाइन करने की स्वतंत्रता रखते हैं। वे किसी दल के संविधान से बंधे नहीं है इसलिए उन पर अयोग्यता का मामला भी नहीं बनता।
उनका कहना था कि कानूनन उन्हें इस्तीफे का कारण बताने को बाध्य नहीं किया जा सकता। इतना ही नहीं किसी भी विधायक को कानून के तहत इस्तीफे का कारण देने की मनाही है। निर्दलीय विधायकों की ओर से उन्हें स्पीकर द्वारा जारी किए कारण बताओ नोटिस का हवाला देते हुए कहा गया कि स्पीकर ने भी उनके इस्तीफे की बात स्वीकार की है। फिर भी उनके इस्तीफे मंजूर नहीं किए जा रहे हैं।
प्रार्थियों ने कोर्ट में कही ये बात
प्रार्थियों का कहना है कि उनके इस्तीफे मंजूर न करने की दुर्भावना स्पीकर के जवाब से जाहिर है जिसके तहत उन पर दबाव में आकर राज्यसभा चुनाव के दौरान बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में वोट डालने के गलत आरोप लगाए गए हैं। प्रार्थियों का कहना था कि यदि स्पीकर अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए उनके इस्तीफे मंजूर नहीं करता तो हाईकोर्ट के पास यह शक्तियां हैं कि वह जरूरी आदेश पारित कर उनके इस्तीफों को मंजूरी दे।
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