चिंताजनक: महिलाओं को ज्यादा हो रहा है ये जानलेवा रोग, शोध से सामने आया ये कारण
हिमाचल आइजीएमसी एवं अस्पताल शिमला सहित देशभर के छह मेडिकल कॉलेजों में हुए शोध से पता चला है कि स्क्रब टायफस की चपेट में अधिकतर महिलाएं आ रही हैं।
By Babita kashyapEdited By: Updated: Fri, 30 Aug 2019 08:53 AM (IST)
शिमला, रामेश्वरी ठाकुर। हिमाचल में हर साल स्क्रब टायफस से कई लोगों को जान गंवानी पड़ती है। मौत के इन आंकड़ों को कैसे कम किया जा सकता है इस पर प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आइजीएमसी) एवं अस्पताल शिमला सहित देशभर के छह मेडिकल कॉलेजों में स्क्रब टायफस पर शोध चल रहा है।
शोध में खुलासा हुआ है कि स्क्रब टायफस की चपेट में अधिकतर महिलाएं आ रही हैं। इसका कारण ज्यादा समय तक महिलाओं का घास के बीच रहना है। इससे महिलाओं में स्क्रब टायफस का खतरा बढ़ रहा है। शोध के लिए तमिलनाडु के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लौर, कर्नाटक के कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, पुडुचेरी के जवाहर लाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, पीजीआइ चंडीगढ़, पीजीआइ रोहतक और आइजीएमसी शिमला को चुना गया है। शोध एक साल से चल रहा है। इसमें स्क्रब टायफस में दी जाने वाली दो दवाओं पर शोध किया जा रहा है।आइजीएमसी में मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर एवं डॉ. संजय महाजन ने शोध का जिम्मा उठाया है। उन्होंने बताया कि आमतौर पर पीड़ित व्यक्ति को दो दवाएं डॉक्सीसाइक्लिन और एजिथ्रोमाइसिन दी जाती हैं। डॉ. संजय महाजन ने बताया कि शोध में इन दो दवाओं का मरीजों पर असर देखा जा रहा है।
इसमें से कौन सी दवा ज्यादा प्रभावशाली है। इसके अलावा दोनों दवाओं का कॉम्बिनेशन का असर भी मरीजों पर देखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि पहाड़ी राज्य होने के कारण जगह-जगह घास का होना आम बात है। वहीं, शहरों से भी स्क्रब टायफस के मामले अस्पतालों में सामने आ रहे हैं, जो कि चिंताजनक हैं। घास में मौजूद कीड़ा ही स्क्रब टायफस का कारण है। पहाड़ों में घास काटने का काम 90 फीसद महिलाएं करती हैं, इसलिए इनके मामले ज्यादा होते हैं।
अभी तक हुई छह मौतों में से पांच महिलाओं की हुई हैं। वहीं, प्रदेश में 400 पॉजीटिव मामले सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि दो साल तक इस पर और स्टडी की जानी है। इससे इलाज आसान होगा और महिलाओं को बचाव के तरीके बताए जाएंगे। राज्य में हर साल इस बीमारी से कई लोगों की मौत होती है। अभी तक इस सीजन में पांच लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले सालों में स्क्रब टायफस से मरने वालों की संख्या ज्यादा रहती थी।
क्यों नाम पड़ा स्क्रब टायफस
घास में एक तरह का कीड़ा होता है जिसे माइट भी कहते हैं। कुछ स्थानों पर इस घास को लालंग घास के नाम से भी जाना जाता है। इस घास को काटने के बाद स्क्रब की ग्रोथ होती है। इस घास की ग्रोथ पर ही बीमारी का नाम स्क्रब टायफस पड़ा। इससे बचने के लिए लोगों को घर से बाहर निकलते समय स्वयं को ढक कर निकलना चाहिए ताकि इससे बचा जा सके।
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