हिमाचल में लोकसभा के बजाए उप चुनावों के नतीजों की चिंता, जमा घटाव में जुटे नेता; CM सुक्खू के लिए बड़ा इम्तिहान
Himachal By-Election 2024 हिमाचल सरकार के लिए लोकसभा चुनाव से ज्यादा उप चुनाव महत्वपूर्ण है। छह विधानसभा सीटें जहां पर उप चुनाव हुए हैं वहां पर बूथ से लेकर ब्लॉक व जिला वार रिपोर्ट तैयार कर आंकलन किया जा रहा है। किस विधानसभा क्षेत्र के किस पोलिंग बूथ पर कितनी वोटिंग हुई। प्रदेश में अभी कांग्रेस के 34 भाजपा के 25 और 3 निर्दलीय विधायक हैं।
अनिल ठाकुर, शिमला। Himachal By-Election 2024: 4 जून को लोकसभा के साथ हिमाचल में 6 विधानसभा सीटों पर हुए उप चुनावों के नतिजें आ जाएंगे। हिमाचल में सुक्खू सरकार के लिए विधानसभा उपचुनाव का इम्तिहान लोकसभा से भी बड़ा है। लोकसभा चुनावों को लेकर आए एग्जिट पोल के बजाए नेता उप चुनावों के नतीजों की चिंता कर रहे हैं। रविवार को दिनभर इसी के जमा घटाव में लगे रहे।
छह विधानसभा सीटों की रिपोर्ट तैयार कर किया जा रहा आंकलन
छह विधानसभा सीटें जहां पर उप चुनाव हुए हैं वहां पर बूथ से लेकर ब्लॉक व जिला वार रिपोर्ट तैयार कर आंकलन किया जा रहा है। किस विधानसभा क्षेत्र के किस पोलिंग बूथ पर कितनी वोटिंग हुई। यहां का सियासी समीकरण क्या है, किस पंचायत में कितने वोट पड़े हैं, किसके पक्ष में इसका नतीजा रहने वाला है इसके सियासी समीकरणों में ही नेता उलझे रहें। प्रदेश में अभी कांग्रेस के 34, भाजपा के 25 और 3 निर्दलीय विधायक हैं।
कांग्रेस को बहुमत के लिए चाहिए 35 का आंकड़ा
निर्दलीय विधायकों ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है, उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भी सौंप दिया है हालांकि यह अभी स्वीकार नहीं हुआ है। छह विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने के बाद अब बहुमत के लिए 35 का आंकड़ा चाहिए। कांग्रेस ने मंडी व शिमला संसदीय सीट पर विधायकों को ही उतारा है। शिमला व मंडी संसदीय सीट पर मुकाबला कड़ा है।
अल्पमत में आने से बचाने के लिए सीएम सुक्खू ने की खूब मेहनत
कांग्रेस यदि मंडी व शिमला संसदीय सीटों को जीत जाती है तो विधानसभा में उनके पास विधायकों की संख्या 2 और कम हो जाएगी। सरकार को अल्पमत में आने से बचाने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चुनावों में खूब मेहनत की।
उन्होंने उप चुनावों वाली सीटों पर खुद कई बार जनसभाएं की। यही नहीं स्टार प्रचारकों की भी यहां पर रैलियां करवाई। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने भी कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया है।
अब एक नहीं तीन सीटों की लड़ाई
हिमाचल में धर्मशाला, सुजानपुर, कुटलैहड़, गगरेट, बड़सर और लाहुल-स्पीति विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में कांग्रेस को भाजपा के साथ अपने ही पूर्व विधायकों के समर्थकों का चुनाव मैदान में सामना करना पड़ा। कांग्रेस को उत्तर भारत में बची अपनी एकमात्र सरकार को बचाने के लिए खूब मेहनत करनी पड़ी। यदि कांग्रेस लोकसभा चुनावों में मौजूदा विधायकों को न उतारती तो केवल 1 ही सीट की टैंशन थी, लेकिन मौजूदा विधायकों को उतारने के बाद अब तीन सीटों को जीतना उसके लिए अनिवार्य हो जाएगा।
इससे सरकार बहुमत में आ जाएगी। अगर कांग्रेस को उपचुनाव में किसी भी सीट पर जीत नहीं मिलती है तो इनके विधायकों की संख्या 34 ही रहेगी। जबकि छह सीटें जीतने पर भाजपा के विधायकों की संख्या 25 से बढ़कर 31 हो जाएगी। राजनीतिक जानकारों की माने तो कांग्रेस चूंकि सत्ता में हैं ऐसे में विधानसभा उप चुनाव के नतीजें एक तरफा नहीं रहेंगे।
निर्दलीयों के इस्तीफे मंजूर कर चलनी पड़ेगी सियासी चाल
निर्दलीय तीन विधायकों ने अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे हुए हैं। जिन्हें अभी तक इन्हें मंजूर नहीं किया गया है। अब निर्दलीयों के इस्तीफे को मंजूर कर नई सियासी चाल चलनी पड़ेगी। जानकारी के अनुसार अब इनके इस्तीफे एक दो दिनों में मंजूर कर लिए जाएंगे। इसके बाद ये सीटें खाली मानी जाएगी। इस स्थिति में अगर सुक्खू सरकार को बहुमत साबित करना पड़ा तो कांग्रेस के पास 33 विधायक ही रहेंगे।
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विधानसभा अध्यक्ष सिर्फ बराबरी के वोट पड़ने पर ही मतदान कर सकते हैं। कांग्रेस सरकार को इन हालात को टालने के लिए अभी से व्यापक स्तर पर होमवर्क करना होगा। भाजपा पूरे चुनाव में यह दावा करती रही है कि लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद हिमाचल में कांग्रेस की सरकार नहीं बचेगी। हालांकि यह केवल चुनावी ब्यानबाजी थी, असली सियासत तो चुनावी नतीजें ही तय करेंगे।