Himachal By Election: सीएम सुक्खू की प्रतिष्ठा का बना सवाल, पत्नी कमलेश को टिकट तो मिल गया लेकिन जोखिम कम नहीं, जानिए इनसाइड स्टोरी
Himachal Bye-Election 2024 हिमाचल प्रदेश की तीन सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं। देहरा विधासनभा सीट पर कांग्रेस ने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। यहां से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर चुनाव लड़ेंगी। पत्नी को टिकट तो मिल गया लेकिन यह सीट सीएम सुक्खू की प्रतिष्ठा का सवाल बन गई। आखिर क्या है इस सीट पर जोखिम?
Himachal By Election 2024: हिमाचल प्रदेश की तीन सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं। देहरा विधासनभा सीट पर कांग्रेस ने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। यहां से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर चुनाव लड़ेंगी। पत्नी को टिकट तो मिल गया, लेकिन यह सीट सीएम सुक्खू की प्रतिष्ठा का सवाल बन गई। आखिर क्या है जोखिम?
रोहित नागपाल, जागरण शिमला। जैसी चर्चा थी, अंतत: उसी के अनुसार, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर का चुनावी राजनीति में प्रवेश हो गया। वह देहरा विधानसभा सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस की प्रत्याशी होंगी। नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के चौथे दिन कमलेश के नाम की घोषणा होते ही मुख्यमंत्री सुक्खू का परिवार भी प्रदेश के उस वर्ग में शामिल हो गया, जहां परिवार के लोग राजनीति में हैं।
कांगड़ा का भाग है देहरा
देहरा विधानसभा क्षेत्र कांगड़ा जिला का भाग है किंतु इसका संसदीय क्षेत्र हमीरपुर है। कमलेश ठाकुर का मायका नलसूहा गांव में है जो जसवां परागपुर क्षेत्र में आता है इसका किंतु प्रशासनिक उपमंडल देहरा है। इस बीच मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में देहरा के लिए पुलिस अधीक्षक कार्यालय और लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर मुहर लगी है।लोकसभा चुनाव भी लड़ने की थी चर्चा
हालांकि देहरा में आदर्श आचार संहिता लागू है, इसलिए अधिसूचना बाद में जारी होगी। हाल में संपन्न संसदीय चुनाव में भी कमलेश ठाकुर को हमीरपुर से, भाजपा के अनुराग ठाकुर के सामने कांग्रेस प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा थी किंतु ऐसा नहीं हुआ और वहां ऊना के पूर्व विधायक सतपाल रायजादा को अवसर दिया गया।
कांग्रेस के 38 सदस्य विधानसभा में
कमलेश ठाकुर का कोई राजनीतिक इतिहास नहीं है। इसके बावजूद उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने को कई कोणों से समझा जा रहा है। पहला कोण, मुख्यमंत्री का आत्मविश्वास है। वह दिखाना चाहते हैं कि वह राजनीतिक जोखिम उठाने को तैयार हैं। वह पत्नी को विधायक बना कर कांगड़ा की उपेक्षा की धारणा भी तोड़ना चाहते हैं। हालांकि इस समय 65 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 38 सदस्य हैं जबकि भाजपा के 27 विधायक हैं।प्रतिष्ठा का सवाल
भाजपा तो इसे परिवारवाद कह ही रही है किंतु कांग्रेस के भी कुछ लोगों का मानना है कि अब यह सीट मुख्यमंत्री के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है। क्योंकि जीतने की स्थिति में तो ठीक किंतु यदि यहां कमलेश हारीं तो समझा जाएगा कि मुख्यमंत्री हारे।
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