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Himachal Cloud Burst: हिमाचल में पिछले साल जैसी तबाही, एक ही बार में छह जगह फटे बादल; 53 से अधिक लोग अभी भी लापता

हिमाचल प्रदेश में छह जगह बादल फटने से काफी नुकसान हुआ है अब तक करीब 53 से अधिक लोग लापता हैं जबकि तीन लोगों की मौत हो गई है। कई जगहों पर घर इमारत तो कई जगहों पर पुल बह गए हैं। कुछ परिवार भी उजड़ गए हैं हालांकि मौके पर NDRF की टीम मौजूद हैं और राहत बचाव कार्य लगातार जारी है।

By Jagran News Edited By: Gurpreet Cheema Updated: Thu, 01 Aug 2024 07:31 PM (IST)
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हिमाचल में छह जगह बादल फटे, 53 लोग अभी भी लापता

जागरण टीम, शिमला। हिमाचल प्रदेश में बुधवार रात तेज बारिश के बीच छह स्थानों पर बादल फटे। इस कारण 53 लोग लापता हो गए। तीन लोगों की मौत हुई व एक व्यक्ति घायल है। प्रदेश में यह पहली बार है, जब एक साथ छह स्थानों पर बादल फटे हैं।

शिमला जिले का समेज गांव बादल फटने से पूरी तरह तबाह हो गया। गांव के 27 घरों में से कुछ बह गए और कुछ मलबे में दब गए। इन घरों में रह रहे 36 लोग लापता हैं। गांव में एक स्कूल, डिस्पेंसरी, बिजली प्रोजेक्ट और दो ट्रांसफार्मर भी थे, जो पानी के साथ बह गए।

समेज में छह मेगावाट क्षमता के एसेंट हाइड्रो प्रोजेक्ट को नुकसान हुआ है। शिमला जिले के रामपुर विधानसभा क्षेत्र के गानवी गांव में बादल फटने से चार मकान व दो पुल बह गए। हालांकि, इन घरों में रहने वाले लोग सुरक्षित हैं।

मंडी जिले के द्रंग विधानसभा क्षेत्र के राजबन गांव में बादल फटने से सात लोग लापता हो गए। तीन लोगों के शव बरामद हुए और एक व्यक्ति घायल हो गया। कुल्लू जिले के निरमंड और मलाणा में बादल फटे। बादल फटने से आई बाढ़ के कारण निरमंड के बागीपुल में सात लोग और केदस में तीन लोग लापता हो गए।

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लापता होने वालों में बागीपुल में एक ही परिवार के पांच लोग शामिल हैं। बागीपुल व केदस में 16 मकान क्षतिग्रस्त हुए और कई वाहन मलबे में दब गए। कुल्लू जिले की मणिकर्ण घाटी के मलाणा में बिजली परियोजना का बांध टूट गया। इस कारण एक मंदिर व कुछ मकान बह गए।

पार्वती नदी का जलस्तर बढ़ने से मणिकर्ण के शाट में सब्जी मंडी का भवन बह गया। ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से राष्ट्रीय राजमार्ग चंडीगढ़-मनाली कई जगह क्षतिग्रस्त हो गया। इस कारण यह मार्ग बंद है। वाहनों को वैकल्पिक मार्ग वाया लेफ्ट बैंक होते हुए मनाली भेजा गया।

चंबा जिले के चुराह विधानसभा क्षेत्र की रूपणी पंचायत में बादल फटने से हुए भूस्खलन के कारण 15 वाहन दब गए। यहां खेतों में फसलें तबाह हो गईं और सड़क क्षतिग्रस्त हुई है। जहां पर बादल फटे, वहां प्रशासन मौके पर पहुंचा और लापता लोगों की तलाश शुरू की। बुधवार रात से लोग भी अपनों की तलाश में जुटे रहे, मगर उनका कोई पता नहीं चल सका है।

प्रधानमंत्री मोदी रख रहे करीबी से नजर

उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आपदा की घड़ी के बीच प्रभावितों को हर संभव मदद प्रदान करने के लिए कहा है। साथ ही वे स्वयं करीबी से नजर भी रख रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने बुलाई आपात बैठक

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बादल फटने से हुए नुकसान को लेकर उच्चस्तरीय समिति की आपात बैठक बुलाई। उन्होंने गुरुवार सुबह अधिकारियों से जानकारी लेने के अलावा उन्हें आवश्यक निर्देश दिए। रामपुर के लिए मुख्यमंत्री सुबह करीब 11.30 बजे अनाडेल के लिए रवाना हुए, लेकिन धुंध के कारण हेलीकाप्टर के न उतरने पर उन्हें सचिवालय लौटना पड़ा।

केंद्रीय गृह मंत्री ने दिया हर संभव सहायता का आश्वासन

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि प्रदेश में बादल फटने की घटनाओं को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात कर उनसे उदारतापूर्वक सहयोग की मांग की है। केंद्रीय गृह मंत्री ने हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से दूरभाष पर बात कर प्रदेश में भारी वर्षा और बादल फटने के कारण उत्पन्न स्थिति से अवगत करवाया है। 

एनडीआरएफ की 14 टीमें तैनात

एनडीआरएफ के डीआईजी मोहसिन शाहिदी ने बताया कि मौके पर एनडीआरएफ की करीब 14 टीमें हिमाचल में तैनात हैं। कुल्लू, मंडी, शिमला में बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं। आज सुबह ही हमारी दो टीमें मंडी के लिए तैनात की गई है। कुल्लू में भी बचाव कार्य जारी है। रामपुर में भी बादल फटा है, वहां छह लोगों को बचाया गया है। तीन लोगों की मृत्यु हुई है और 53 लोग लापता हैं।

स्कूलों में छुट्टी के निर्देश

इधर, मंडी जिले के सभी शिक्षण संस्थानों में शुक्रवार को छुट्टी घोषित कर दी गई है। भारी वर्षा की चेतावनी को देखते हुए उपायुक्त ने निर्णय लिया है।

पहाड़ों में ही क्यों फटते हैं बादल

बादल फटने की अधिकतर घटनाएं पहाड़ों में ही होती हैं। इसे लेकर जब दैनिक जागरण ने मौसम विभाग के निदेशक सुरेंद्र पाल से बात की तो उन्होंने बताया कि पहाड़ पर बादल इसलिए ज्यादा फटते हैं, क्योंकि बादलों को रास्ता नहीं मिलता और टकरा जाते हैं। 

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