अमृतसर पहुंचे हिमाचल के CM सुक्खू, वाघा बार्डर पर देखी रिट्रीट सेरेमनी; मुख्यमंत्री भगवंत मान भी रहे मौजूद
हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू सोमवार को अमृतसर पहुंचे। यहां उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ वाघा बार्डर पर बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों ने आवश्यकता पड़ने पर हर बार अपने प्राणों की आहुति देकर देश की अखंडता और संप्रभुता को अक्षुण्ण रखा है। उन्होंने कहा कि अपने सैनिकों पर हम सभी को गर्व है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। CM Sukhvinder Sukhu In Amritsar मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार को पंजाब के अमृतसर में ऐतिहासिक वाघा बार्डर पर भव्य बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी का अवलोकन किया। वाघा बार्डर पर प्रत्येक दिन भारतीय सीमा सुरक्षा बल और पाकिस्तान के सुरक्षा बल द्वारा बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है। मुख्यमंत्री ने देश के कोन-कोने से आए लोगों के साथ इस सेरेमनी का आनंद उठाया।
उन्होंने बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी में हिस्सा लेने वाले जवानों को मिठाइयां बांटी और उनके शौर्य और समर्पण की सराहना की। मुख्यमंत्री अटारी-वाघा बॉर्डर में जीरो पॉइंट पर भी गए। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों ने आवश्यकता पड़ने पर हर बार अपने प्राणों की आहुति देकर देश की अखंडता और संप्रभुता को अक्षुण्ण रखा है। उन्होंने कहा कि अपने सैनिकों पर हम सभी को गर्व है।
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CM सुक्खू के साथ मौजूद रहे मुख्यमंत्री भगवंत मान
आईजी जालंधर रेंज बीएसएफ व हिमाचल काडर के आईपीएस अधिकारी डॉ. अतुल फुलझेले ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री का स्वागत किया और उन्हें एक पौधा भेंट किया। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर विनय कुमार सक्सेना, हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा, अन्य गणमान्य व्यक्ति तथा बड़ी संख्या में देश विदेश के नागरिक उपस्थित थे।
मंगलवार को अमित शाह से हिमाचल का हक मांगेंगे
मुख्यमंत्री सुक्खू मंगलवार को आयोजित होने वाली उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में चंडीगढ़ में हिमाचल की 7.19 फीसदी हिस्सेदारी सहित पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और लद्दाख के साथ चल रहे सीमा विवाद के अतिरिक्त पड़ोसी राज्यों द्वारा वाटर सेस को लागू करने का विषय उठाएंगे। एक अनुमान के तहत हिमाचल को बीबीएमबी से चार हजार करोड़ से अधिक का बकाया लेना है। सर्वोच्च न्यायालय हिमाचल के हित में फैसला दे चुका है, लेकिन पड़ोसी राज्य बकाया धनराशि देने को तैयार नहीं है।
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