Himachal Disaster: क्या होता है DNA टेस्ट? सर्च ऑपरेशन में मिल रही मदद, दो शवों की हुई पहचान
Himachal Disaster डीएनए सैंपल से पुलिस को सर्च ऑपरेशन में मदद मिल रही है। दो शवों की पहचान हुई है। अभी भी कई लोग लापता हैं। सर्च ऑपरेशन तेजी से चल रहा है। पुलिस ने 37 के करीब डीएनए सैंपल लिए हुए हैं। इन्हीं के आधार पर डीएनए मिलान हो रहा है। उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि कई शव क्षत-विक्षत हालात में मिले हैं।
जागरण संवाददाता, शिमला। समेज त्रासदी में लापता लोगों को परिजनों से मिलाने के लिए पुलिस की डीएनए मिलान तकनीक मददगार साबित हो रही है। अभी तक पहचान न हुए शवों में से दो शवों की पहचान डीएनए के माध्यम से हो चुकी है।
इनमें संतोष कुमारी पत्नी सूरत राम गांव कनराढ़ डाकघर सुघा तहसील रामपुर उम्र 54 वर्ष की पहचान इनके पुत्र राजेश कुमार के डीएनए से हुई है। इसके साथ ही रूप सिंह सुपुत्र सुखराम डाकघर सरपारा तहसील रामपुर उम्र 52 वर्ष की पहचान इनके पुत्र साहिल के डीएनए मिलान करके हुई है।
शवों की पहचान करना बड़ी चुनौती
पुलिस ने 37 के करीब डीएनए सैंपल लिए हुए है। इन्हीं के आधार पर डीएनए मिलान हो रहा है। उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि कई शव क्षत-विक्षत हालात में मिले हैं, जिनकी पहचान करना सबसे बड़ी चुनौती है। लेकिन हमने ऐसे लापता लोगों के परिजनों के डीएनए सैंपल लिए हैं।फिर शवों के डीएनए सैंपल से मिलान करवा रहे हैं। इनमें से दो शवों के डीएनए मिलान कर लिए गए हैं। यह दोनों व्यक्ति शिमला जिला के क्षेत्र में रहते थे। पुलिस ने डीएनए सैंपलिंग बहुत शानदार तरीके से की हुई थी।
डीएनए मिलान से ही परिजनों को मिल रहे शव
इसी की वजह से शवों की पहचान हो पाई है। उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता है कि सर्च ऑपरेशन के दौरान मिलने वाले हर शव की पहचान हो। इसी कड़ी में हमने वैज्ञानिक तकनीक का सहारा लिया है। पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने कहा कि वैज्ञानिक तकनीक के माध्यम से जांच को प्रभावी बनाया जाता है।डीएनए मिलान से ही परिजनों को शव मिल पा रहे हैं। क्योंकि कई शवों की पहचान बिना डीएनए के संभव ही नहीं थी। हमने पूरी योजना से डीएनए सैंपल प्रोफाइलिंग की है। इसी तरह अन्य शवों की पहचान करने में लगे हैं।
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