Himachal: अस्पतालों में मांगों को लेकर 'काले बिल्ले' लगाकर ड्यूटी करेंगे डॉक्टर, 18 जनवरी को जताएंगे विरोध
Himachal प्रदेश के सभी मेडिकल कालेज व अस्पतालों में चिकित्सक उनकी मांगे न माने जाने के विरोध में 18 जनवरी से काले बिल्ले लगाकर ड्यूटी देंगे और अपना विरोध दर्ज करवाएंगे। हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ मुख्यमंत्री से 3 जून को मिला था। आश्वासन मिलने के बाद भी 7 महीने बीत जाने के बाद धरातल पर मांगों को लेकर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
राज्य ब्यूरो, शिमला। प्रदेश के सभी मेडिकल कालेज व अस्पतालों में चिकित्सक उनकी मांगे न माने जाने के विरोध में 18 जनवरी से काले बिल्ले लगाकर ड्यूटी देंगे और अपना विरोध दर्ज करवाएंगे। प्रदेश चिकित्सा अधिकारी संघ ने इस संबंध में मुख्यमंत्री सुक्खू काे पत्र लिखकर मांगे न माने जाने को लेकर विराेध जताते हुए प्रदर्शन करने को कहा है। हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ मुख्यमंत्री से 3 जून को मिला था। आश्वासन मिलने के बाद भी 7 महीने बीत जाने के बाद धरातल पर मांगों को लेकर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
वेतन घटाकर किया 33660 रुपए
चिकित्सकों की सबसे बड़ी मांग एनपवीए की बहाली है। चिकित्सकों की अग्रिम भर्ती के समय एनपीए को बहाल करने का आश्वासन दिया था और कहा था कि एनपीए को भविष्य में चिकित्सकों की नियुक्ति के समय पुनः लागू कर दिया जाएगा। हाल ही में विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति में उनके वेतन से इसे हटा दिया गया है। 3 अगस्त 2023 को जारी की गई अधिसूचना के तहत विशेषज्ञों का वेतन घटाकर 33660 कर दिया है। जबकि 27 जुलाई 2022 की अधिसूचना के तहत न्यूनतम देय 40392 तय हुआ है।
पेंशन को लेकर देंगे धरना
प्रदेश में पहले ही विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव है और इतने कम वेतन पर कार्य करने के बजाए विशेषज्ञों को दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ रहा है। 21-10-23 की अधिसूचना के तहत एनपीए को सेवानिवृत चिकित्सकों की पेंशन से भी हटा दिया गया है। संघ एनपीए को चिकित्सकों की हुई भर्ती में और सेवानिवृत चिकित्सकों की पेंशन के साथ पुनः संलग्न करने की मांग की है।
18 जनवरी से मांगे न माने जाने के विरोध में काले बिल्ले लगाकर विरोध जताएंगे और मांगे न माने जाने को लेकर और आंदोलन करने को मजबूर होना पड़ सकता है।
विकास ठाकुर, महासचिव, प्रदेश अधिकारी संघ
ये हैं प्रमुख मांगें
1. चिकित्सकों के पास पदोन्नति के बहुत ही कम पद स्वीकृत है, इस संदर्भ में उन्हें 4-9-14 एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम दी जाती थी, इसे पुनः बहाल किया जाए।
2. डायनेमिक करियर प्रोग्रेशन स्कीम को केंद्र सरकार के तुल्य लागू किया जाए। केंद्र सरकार ने 2008 के गजट में और 2014 के एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी गजट में चिकित्सकों को डायनेमिक करियर प्रोग्रेशन स्कीम के तहत वित्तीय लाभ प्रदान किए हैं। बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश में केंद्र सरकार की तरह प्रदान की गई है।
3. मेडिकल कालेजों में भी डायनेमिक कैरियर प्रोग्रेशन स्कीम को धरातल पर नहीं लाया जा रहा है।
4.रेगुलर डीपीसी नहीं की जा रही है। रेगुलर डीपीसी ना करने से मेडिकल कालेज की मान्यताओं के ऊपर भी खतरा मंडरा रहा है।
5. जून को प्रोजेक्ट डायरेक्टर एड्स कंट्रोल सोसायटी का कार्यभार स्वास्थ्य निदेशक को पुनः प्रदान करने के संदर्भ में सहमति जताई थी। वहीं धरातल पर ना ही स्वास्थ्य निदेशक की स्थाई नियुक्ति हो पाई है और जो ऐड्स कंट्रोल सोसायटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर का कार्यभार स्वास्थ्य निदेशक को दिया जाना था, वह मामला भी अधर में लटक गया है।
6. स्वास्थ्य विभाग सेवानिवृत्त मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पदोन्नति के पदों पर पुनः रोजगार प्रदान कर दिया गया है जोकि संघ की मांगों के विपरीत है। किसी अधिकारी को सेवा विस्तार किए जाने की बात का विरोध जताया है क्योंकि ऐसा करना प्रदेश में बेरोजगार युवा चिकित्सकों के हित में नहीं है। वहीं दूसरी ओर वर्षों से अपनी पदोन्नति का इंतजार कर रहे चिकित्सकों को उस पदोन्नति से वंचित रखना और उनका हक किसी और को दे देना एक दुखद विषय है।
7. स्वास्थ्य विभाग में स्वास्थ्य निदेशक, उप स्वास्थ्य निदेशक और खंड चिकित्सा अधिकारियों के विभिन्न पद रिक्त चल रहे हैं। इन पदों पर पदोन्नति योग्यता एवम वरिष्ठता के आधार पर शीघ्र की जाए।
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