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Himachal Economic Crisis: हिमाचल में कर्मचारियों को कब मिलेगी सितंबर महीने की सैलरी? जल्द निर्णय लेगी सुक्खू सरकार

हिमाचल प्रदेश Himachal Economic Crisis की आर्थिक स्थिति काफी ज्यादा खराब है। जिसके वजह से प्रदेश के कर्मचारियों को अगस्त महीने की सैलरी देर से मिली थी। वहीं अब सिंतबर महीने की सैलरी कर्मचारियों को कब दिए जाएंगे? इसको लेकर सुक्खू सरकार बहुत जल्द निर्णय ले सकती है। दो-तीन दिनों के अंदर वित्त विभाग के प्रधान सचिव मुख्यमंत्री से मुलाकात कर सकते हैं।

By Parkash Bhardwaj Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Tue, 24 Sep 2024 07:08 PM (IST)
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वेतन-पेंशन भुगतान को लेकर नए फार्मूले का अनुसरण करेगी सरकार। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल के कर्मचारियों को सितंबर माह का वेतन किस तिथि को दिया जाएगा और पेंशनर्स को पेंशन का भुगतान कब होगा? वित्त विभाग के अधिकारी ओक ओवर जाकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को धनराशि की स्थिति से अवगत करवाएंगे।

गत माह सरकार ने तीन करोड़ रुपये की बचत का फार्मूला निकालते हुए कर्मचारियों को वेतन पांच तारीख को देने का नया प्रयोग किया था। पेंशनरों के बैंक खातों में पेंशन का भुगतान दस तारीख को किया था।

सीएम और वित्त विभाग के प्रधान सचिव के बीच होगा चर्चा

विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा था कि सितंबर का वेतन व पेंशन देने के संबंध में पच्चीस तारीख के बाद चर्चा की जाएगी। वेतन और पेंशन भुगतान करने की तारीखों में फेरबदल करने के पीछे तर्क दिया गया था कि इससे सरकार ने ऋण के ब्याज के रूप में दिए जाने वाले तीन करोड़ रुपये की बचत की है।

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इस तरह की मासिक बचत से एक वित्त वर्ष के दौरान छत्तीस करोड़ की धनराशि का सदुपयोग होगा। वित्त विभाग के प्रधान सचिव देवेश कुमार विदेश दौरे से लौट आए हैं और विभाग के अधिकारियों के साथ वेतन और पेंशन संबंधी विषय को लेकर बैठक करेंगे। ऐसा माना जा रहा है कि दो-तीन दिनों के भीतर मुख्यमंत्री सुक्खू से इस संबंध में चर्चा करेंगे।

नया फार्मूला यथावत हो सकता है जारी

जिस तरह से सरकार ने विधानसभा में मंत्रियों सहित कुछ अन्य कैबिनेट रैंक नियुक्तियों के वेतन-भत्तों को विलंबित करने के कदम को अर्थव्यवस्था सुधार की प्रक्रिया का हिस्सा करार दिया था। ऐसे में कर्मचारियों का वेतन और पेंशनर्स की पेंशन के लिए अपनाया गया नया फार्मूला यथावत जारी रहना तर्कसंगत लग रहा है।

प्रदेश सरकार हर महीने पांच दिनों के लिए 7.50 प्रतिशत ब्याज चुकाने के लिए तीन करोड़ रुपये अनावश्यक तौर पर खर्च करती आ रही थी। जबकि सरकार को हर महीने पांच तारीख को राजस्व घाटा अनुदान के तौर पर 520 करोड़ और दस तारीख को केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी के 740 करोड़ मिलते हैं। ऐसे में अनावश्यक तौर पर खर्च हो रहे तीन करोड़ बचाने का निर्णय लिया गया।

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