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Himachal: हिमाचल की घाटियों पर जलवायु परिवर्तन का दिख रहा असर, ग्लोबल वार्मिंग से ज्यादा पिघल रही बर्फ

बर्फ से हमेशा ढकी रहने वाली चोटियों के क्षेत्र में 2021-22 की अपेक्षा 2022-23 में 0.39 से 22.42 प्रतिशत तक की चार घाटियों ब्यास सतलुज राबी और चिनाब में बर्फ से ढके क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई है।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Mon, 22 May 2023 06:51 AM (IST)
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Himachal: हिमाचल की घाटियों पर जलवायु परिवर्तन का दिख रहा असर, ग्लोबल वार्मिंग से ज्यादा पिघल रही बर्फ
शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। हिमालय पर्वत जो हमेशा बर्फ से ढका रहता है हिमाचल सहित भारत के लिए संजीवनी का कार्य कर रहा है। हिमाचल प्रदेश का एक तिहाई क्षेत्र बर्फ की मोटी चादर के अधीन ढका रहता है। इसका क्षेत्र बीते कई वर्षों से लगातार घटता जा रहा है। बर्फ से हमेशा ढकी रहने वाली चोटियों के क्षेत्र में 2021-22 की अपेक्षा 2022-23 में 0.39 से 22.42 प्रतिशत तक की चार घाटियों ब्यास, सतलुज, राबी और चिनाब में बर्फ से ढके क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई है।

जबकि अक्टूबर माह में तो सबसे अधिक 27 से से 54 प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिली है। प्रदेश की सभी चार प्रमुख घाटियों सतलुज,चिनाब, रावी और ब्यास घाटियों में लगातार बर्फ से ढके क्षेत्र में कमी आ रही है। ये खुलासा हिमाचल प्रदेश पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के जलवायु परिवर्तन केंद्र द्वारा बर्फ के अधीन रहने वाले क्षेत्रों को लेकर किए गए अध्ययन में किया है।

प्रदेश में बहने वाली चिनाब, ब्यास, पार्वती, बसपा, स्पीति, रावी, सतलुज जैसी प्रमुख नदियां और हिमालय से निकलने वाली उनकी बारहमासी सहायक नदियां हिम आवरण पर निर्भर करती हैं। एडवांसड वाइड फील्ड सेंसर के तहत सेटेलाइट से दो वित्तीय वर्षों 2021-22 और 2022-23 में बर्फ के अधीन क्षेत्र को लेकर विश्लेषण किया गया। इसमें चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं।

अक्टूबर से लेकर जून माह तक के आंकड़ों को खंगालने पर ये तथ्य सामने आए हैं। हिमआवरण के लगातार घटने के कारण इन नदियों में आने वाले समय में पानी के समाप्त होने की चिंताएं सताने लगी हैं। बर्फ से ढका क्षेत्र लगातार घटता जा रहा है और नदियों का पानी लगातार बह रहा है। ये पानी पीने के साथ-साथ, पन विद्युत परियोजनाओं और सिंचाई के लिए हिमाचल सहित पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व अन्य राज्यों में प्रयोग हाे रहा है।

ये बात सामने आई है कि सभी घाटियों में वर्ष 2021-22 की अपेक्षा 2022-23 में बर्फ के अधीन क्षेत्र में क्या अंतर आया

घाटियां,अक्टूबर,दिसंबर,जनवरी,मार्च,अप्रैल,मई,कुल गिरावट

सतलुज,-27,-22,-56,-38,-17,-4,29,-14.61

चिनाब,-36,5,-21,-5,-4,-2,22,-0.39

ब्यस,3,21,-27,-16,-32,-5,39,-6.9

रावी,-54,-3,-28,-3,-12,-7,54,-22.42

आखिर क्या होंगे दूरगामी परिणाम और क्या है कारण

-ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं

-पृथ्वी के तापमान में लगातार हो रही वृद्धि

-कम व समय पर बर्फबारी न होने से बर्फ जल्दी पिघल रही है

-बर्फ के अधीन क्षेत्र के घटने से नदियों में पानी की कमी से विद्युत उत्पादन प्रभावित होगा, पेयजल व सिंचाई योजना प्रभावित होंगी

-भू-जल सतर में भी गिरावट आएगी

-प्राकृतिक आपदाओं का कारण ग्लेशियर बनेंगे   

हिमाचल प्रदेश की बर्फ के अधीन हमेशा रहने वाले क्षेत्र में लगातार गिरावट आ रही है। ये गिरावट बीते वर्ष की अपेक्षा ज्यादा दर्ज की गई है। इसके लिए अक्टूबर से लेकर अप्रैल 2023 का 2021-22 से विश्लेषण किया गया है। (डीसी राणा, सह-सदस्य सचिव, पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद)

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