हिमाचल प्रदेश में अब उन्हीं लोगों को फ्री बिजली की सुविधा मिलेगी जो गरीबी रेखा से नीचे हैं जो व्यक्ति आयकर चुका रहे हैं उन्हें यह सुविधा नहीं मिलेगी। हिमाचल सरकार के इस फैसले की सराहना हो रही है। लोगों का कहना है कि इसी क्रम में सभी योजनाओं की समीक्षा होनी चाहिए। योजनाओं का फायदा जरूरतमंदों को मिलना चाहिए।
राज्य ब्यूरो शिमला। हिमाचल सरकार ने गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे राज्य को फ्री बिजली यानी मुफ्त की आदत से बाहर लाने का कड़वा घूंट पीने की शुरुआत कर दी है। ऐसा करना राज्य के हित में भी उचित रहेगा।
पहला कदम उठाते हुए सरकार ने प्रत्येक घरेलू उपभोक्ता को प्राप्त 125 यूनिट तक निशुल्क बिजली का दायरा सीमित करने का मंत्रिमंडल बैठक में निर्णय लिया है। अब इसकी औपचारिक अधिसूचना जारी होना शेष रह गया है।
आयकर चुकाने वालों को निशुल्क बिजली की सुविधा प्राप्त नहीं होगी। निशुल्क बिजली की सुविधा गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों तक सीमित रहेगी।
निशुल्क योजनाओं को बंद किया जाए
प्रदेश सरकार के इस निर्णय की समाज के प्रत्येक वर्ग में ये कहते हुए सराहना हो रही है, कि ऐसी सभी योजनाओं की समीक्षा होनी चाहिए, जो प्रदेश के प्रत्येक परिवार को मिलती है। साधन सम्पन्न लोगों को निशुल्क योजनाओं का लाभ बंद किया जाना चाहिए।
प्रदेश सरकार ने इस दिशा में अगला कदम उठाते हुए राज्य पथ परिवहन निगम को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए रियायती बस पास सुविधा और परिवहन निगम द्वारा जारी किए जाने वाले कार्ड की धनराशि में मामूली वृद्धि की है।
एक सरकार की ओर से शुरू की गई निशुल्क योजना की देखादेखी में सत्ता में आने वाले राजनीतिक दलों की सरकारों ने वाहवाही लुटने के लिए कई तरह की निशुल्क या रियायती दरों वाली योजनाएं शुरू की।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन के डिपो पर गरीब से लेकर अमीर तक को सस्ती दरों पर आटा, चावल, दालें मिलती है, इस योजना की समीक्षा होती है तो लाखों रुपये की बचत होगी।
शिमला के निजी स्कूलों की बसों का शुल्क बढ़ाया
एक बात स्पष्ट है कि जो व्यक्ति अपने बच्चों को निजी व कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ा सकता है। तो ऐसा व्यक्ति बच्चों की स्कूल बस का शुल्क भी उठाने में सक्षम है।
राज्य पथ परिवहन निगम शैक्षणिक सत्र के दौरान शिमला शहर के निजी स्कूलों के बच्चों के लिए 60 बसें चलाता है। वर्ष 2016 में निजी बसों को उपलब्ध करवाई जाने वाले बसों का शुल्क निर्धारित किया गया था।
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उसके नौ वर्ष गुजर जाने के बाद परिवहन निगम ने शुल्क में वृद्धि की है। पांच किमी के दायरे तक जाने वाली बस का प्रति छात्र शुल्क 900 रुपये रहेगा और बीस किमी तक की दूरी के लिए प्रति छात्र शुल्क अट्ठारह सौ रुपये मासिक निर्धारित किया गया है।प्रदेश सरकार ने परिवहन निगम प्रबंधन के साथ समीक्षा बैठक करके पाया है कि ऐसी 37 सेवाएं परिवहन निगम की ओर से प्रदान की जा रही हैं, जिनके लिए रियायती या फिर निशुल्क यात्रा सुविधा दी जाती है।
स्कूली बच्चों की वर्दी सीमित हुई
एक समय पर सरकार ने सरकारी क्षेत्र के स्कूलों में पहली से लेकर बारहवीं कक्षा तक की छात्र-छात्राओं के लिए स्कूली वर्दी निशुल्क प्रदान करने की व्यवस्था की थी।एक दशक पहले की गई इस तरह की व्यवस्था को वर्तमान सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले और आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों के बच्चों तक सीमित किया है।भारत सरकार की ओर से केंद्रीय योजना के तहत दसवीं कक्षा तक के स्कूली बच्चों के लिए वर्दी की सुविधा थी। सर्दी व गर्मी की दो वर्दियों के लिए करीब चार सौ करोड़ का बजट खर्च होता था।
महिलाओं को 1500 रुपये मासिक देने की योजना
मतदाताओं को लुभाने के लिए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की ओर से दस गारंटियां दी गई थी। जिसमें से महिलाओं को मासिक 1500 रुपये देने की गारंटी भी एक थी।ये योजना जनजातीय लाहुल-स्पीति जिला से शुरू तो हो चुकी है मगर प्रदेश के सभी जिलों तक लागू करना संभव नहीं होगा।एक अनुमान के अनुसार प्रदेश की साढ़े तेईस लाख महिलाओं में से पात्रता की शर्तों के तहत चयनित की जा रही 2.36 लाख महिलओं को ही हर महीने 1500 रुपये देने से 800 करोड़ का खर्च आएगा। ऐसी कई गारंटियों में अधिक मूल्य पर दूध की खरीद, 300 यूनिट निशुल्क बिजली उपभोक्ताओं को देना भी शामिल था।
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