Himachal: केंद्र से मंजूर हुए प्रोजेक्टों पर 550 करोड़ खर्च नहीं कर पाए सरकारी विभाग, इसलिए लटक गई दूसरी किश्त
हिमाचल सरकार विकास के लिए पर्याप्त बजट नहीं मिलने के समक्ष लगातार मामला उठा रही है। चाहे प्रदेश में प्राकृतिक आपदा और बाढ़ से हुए नुकसान की एवज में विशेष वित्तीय पैकेज की मांग उठाने का मामला है या फिर केंद्रीय योजनाओं में राज्य का पैसा रोकने की बात है। केंद्र सरकार ने 550 करोड़ की पहली किश्त के बाद दूसरी किश्त जारी नहीं की है।
प्रकाश भारद्वाज, शिमला। हिमाचल सरकार विकास के लिए पर्याप्त बजट नहीं मिलने के समक्ष लगातार मामला उठा रही है। चाहे प्रदेश में प्राकृतिक आपदा और बाढ़ से हुए नुकसान की एवज में विशेष वित्तीय पैकेज की मांग उठाने का मामला है या फिर केंद्रीय योजनाओं में राज्य का पैसा रोकने की बात है। प्रदेश सरकार विकास को अवरूद्ध होना नहीं देना चाहती और किसी भी तरह से विकास का पहिया चलाए हुए हैं।
कई अन्य विभागों को ये धनराशि खर्च करनी थी
लेकिन सरकारी विभागों की गंभीरता का इस बात से पता चल जाता है कि केंद्र सरकार से स्वीकृत हुए प्रोजेक्टों का काम निरंतरता से नहीं हो रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार ने 550 करोड़ की पहली किश्त के बाद दूसरी किश्त जारी नहीं की है, इसके पीछे कारण ये है कि लोक निर्माण, जल शक्ति, शिक्षा, स्वास्थ्य, तकनीकी शिक्षा विभागों के अतिरिक्त कई अन्य विभागों को ये धनराशि खर्च करनी थी।
उसके बाद केंद्र सरकार की ओर से दूसरी किश्त जारी होनी है। केंद्र सरकार ने कोविड-19 के शुरू होने के बाद वर्ष 2021 में सभी राज्यों के लिए ब्याज मुक्त निर्धारित धनराशि देने की शुरूआत की है। जिसके तहत प्रदेश सरकार को हर वर्ष 800 करोड़ की धनराशि दो किश्तों में मिलती है।
इसलिए मिलते हैं 800 करोड़
केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार को हर साल दो किश्तों में 800 करोड़ की धनराशि मिलती है। ये धनराशि पूंजीगत निर्माण कार्यों पर ही खर्च किया जा सकता है। केंद्र सरकार वित्त वर्ष शुरू होने से पहले पूंजीगत निर्माण यानि कैपिटल वर्क्स कार्यों के प्रस्ताव मांगती है और उन प्रोजेक्टों के लिए धनराशि जारी करती है। कोविडकाल के दो वर्ष के दौरान पिछले लंबित कैपिटल वर्क्स को पूरा करने के लिए धनराशि प्रदान की जाती रही। उसके बाद हर वर्ष विभिन्न सरकारी विभागों की ओर से प्रोजेक्ट भेजे जाते हैं। जिनपर उक्त धनराशि खर्च होती है।
शर्त निर्माण एक साल के भीतर पूरे करने की
ब्याज मुक्त ऋण धनराशि प्रदेश को 50 साल के बाद लौटानी है। इस तरह की ऋण सुविधा के तहत होने वाले निर्माण कार्य एक साल के भीतर ही पूरे करने होते हैं। यदि प्रदेश सरकार की विभागीय मशीनरी निर्माण कार्य वित्त वर्ष के भीतर पूरे नहीं करती है तो निर्माण की शेष धनराशि राज्य को स्वयं वहन करनी होगी।सरकार ने तर्क दिया आपदा के कारण
प्रदेश सरकार की ओर से निर्माण कार्यों की गति धीमी होने के पीछे प्रदेश सरकार में प्राकृतिक आपदा का संकट आना बताया है। इसे देखते हुए निर्माण के लिए अधिक समय देने का आग्रह किया है। ऐसा माना जा रहा है कि दूसरी किश्त मार्च माह में प्राप्त होगी।
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