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आखिर क्यों हिमाचल सरकार देगी केंद्र को 30 करोड़ रुपये? मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए मिला था पैसा

मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए गए 30 करोड़ रुपये की राशि को हिमाचल सरकार रिटर्न करेगी। केंद्र सरकार हिमाचल सरकार को 100 करोड़ की राशि देने वाली थी। हालांकि उससे पहले ही हिमाचल सरकार और केंद्र के बीच मेडिकल डिवाइस पार्क को लेकर हुआ करार टूट गया। ऐसे में अब सुक्खू सरकार को केंद्र से मिले 30 करोड़ रुपये वापस देने होंगे।

By Parkash Bhardwaj Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Wed, 14 Aug 2024 06:03 PM (IST)
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मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए केंद्र से मिले पैसे को हिमाचल सरकार रिटर्न करेगी। (जागरण फाइल फोटो)

प्रकाश भारद्वाज, शिमला। हिमाचल औद्योगिक विकास निगम के पास केंद्र सरकार को लौटाने के लिए 30 करोड़ रुपये नहीं हैं। यह राशि केंद्र सरकार ने हिमाचल को नालागढ़ में मेडिकल डिवाइस पार्क बनाने के लिए लगभग डेढ़ वर्ष पहले दी थी। केंद्र सरकार के द्वारा मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए हिमाचल को 100 करोड़ रुपये देने थे। शेष 70 करोड़ रुपये बाद में मिलने थे।

केंद्र ने शर्त रखी थी कि पार्क में निवेश करने के लिए आने वाले निवेशकों को एक रुपये लीज पर जमीन दी जाए और बिजली तीन रुपये प्रति यूनिट पर और पानी निशुल्क उपलब्ध करवाया जाए। मार्च, 2022 में राज्यों में प्रतिस्पर्धा करते हुए प्रदेश सरकार ने शर्तों को स्वीकारते हुए पार्क प्राप्त किया था।

मेडिकल डिवाइस पार्क पर खर्च होंगे 350 करोड़ रुपये

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद सरकार पार्क निर्माण को लेकर उदासीन रही और अंतत: हिमाचल सरकार को शर्तें प्रदेश हित में मंजूर नहीं थी, इसलिए हिमाचल मंत्रिमंडल ने केंद्र के साथ हुए समझौते को तोड़ते हुए स्वयं मेडिकल डिवाइस पार्क बनाने का निर्णय लिया है।

अब हिमाचल सरकार केंद्र को तीस करोड़ रुपये लौटाना चाहती है, राज्य औद्योगिक विकास निगम प्रबंधन ने उद्योग विभाग को सूचित किया है कि उसके पास 30 करोड़ रुपये नहीं हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को यह धनराशि फिलहाल लौटाई नहीं जा सकती है। प्रदेश सरकार ने पार्क निर्माण के लिए सिडबी यानि लघु औद्योगिक विकास निगम से 250 करोड़ रुपये का ऋण लेकर पार्क निर्मित करने का रास्ता निकाला है।

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मेडिकल डिवाइस पार्क पर लगभग 350 करोड़ रुपये खर्च होंगे। अभी तक पार्क निर्माण पर 156 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च हो चुकी है, जिसमें से प्रदेश सरकार की ओर से 75 करोड़ और केंद्र सरकार की ओर से दिए गए तीस करोड़ रुपये की धनराशि शामिल है।

पार्क की जमीन बेचने से 475 करोड़ की कमाई

केंद्र सरकार से करार तोड़ने के बाद हिमाचल सरकार को पार्क में आने वाली कंपनियों को बाजार मूल्य पर जमीन बेचने से ही 475 करोड़ की कमाई होगी। नालागढ़ के मझोली में 265 एकड़ जमीन के 25 प्रतिशत हिस्से में मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित होगा।

शेष जमीन को उद्योग विभाग निवेश की इच्छुक कंपनियों को 8500 रुपये प्रति वर्ग मीटर के मूल्य पर बेचेगा। उद्योगों को छह रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली मिलेगी, पानी के लिए भी शुल्क चुकाना पड़ेगा। केंद्र सरकार की शर्तों के तहत बिजली तीन रुपये प्रति यूनिट और पानी निशुल्क देना पड़ना था।

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सरकार को 500 करोड़ की आमदनी होने की आस

केंद्र सरकार से करार तोड़ने के बाद हिमाचल सरकार को मेडिकल डिवाइस पार्क से 5 से 7 साल में 500 करोड़ आने की आस है। इसमें जमीन बेचने से प्राप्त होने वाली धनराशि के अलावा आय होने का अनुमान व्यक्त किया गया है। अब बिजली, पानी की दरें निर्धारित होने से भी धनराशि प्राप्त होगी।

30 करोड़ का प्रबंध होते ही लौटा देंगे

प्रदेश सरकार केंद्र सरकार को 30 करोड़ रुपये शीघ्रता से लौटाना चाहेगी। लेकिन अभी राज्य औद्योगिक विकास निगम के पास इतनी धनराशि उपलब्ध नहीं है। मेडिकल डिवाइस पार्क के संबंध में केंद्र सरकार को इस कारण से इंकार करना पड़ा, क्योंकि चिकित्सा उपकरण बनाने वाली कंपनियों को एक रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से भूमि देनी थी। इसके अतिरिक्त तीन रुपये प्रति यूनिट दर पर बिजली देनी थी। इसके अतिरिक्त पानी निशुल्क देना था। ऐसे में सरकार चाहती है कि केंद्र सरकार से मिले तीस करोड़ रुपये शीघ्रता से लौटा दिए जाएं।

- हर्षवर्धन चौहान, उद्योग मंत्री।

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