आखिर क्यों हिमाचल सरकार देगी केंद्र को 30 करोड़ रुपये? मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए मिला था पैसा
मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए गए 30 करोड़ रुपये की राशि को हिमाचल सरकार रिटर्न करेगी। केंद्र सरकार हिमाचल सरकार को 100 करोड़ की राशि देने वाली थी। हालांकि उससे पहले ही हिमाचल सरकार और केंद्र के बीच मेडिकल डिवाइस पार्क को लेकर हुआ करार टूट गया। ऐसे में अब सुक्खू सरकार को केंद्र से मिले 30 करोड़ रुपये वापस देने होंगे।
मेडिकल डिवाइस पार्क पर खर्च होंगे 350 करोड़ रुपये
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद सरकार पार्क निर्माण को लेकर उदासीन रही और अंतत: हिमाचल सरकार को शर्तें प्रदेश हित में मंजूर नहीं थी, इसलिए हिमाचल मंत्रिमंडल ने केंद्र के साथ हुए समझौते को तोड़ते हुए स्वयं मेडिकल डिवाइस पार्क बनाने का निर्णय लिया है।पार्क की जमीन बेचने से 475 करोड़ की कमाई
केंद्र सरकार से करार तोड़ने के बाद हिमाचल सरकार को पार्क में आने वाली कंपनियों को बाजार मूल्य पर जमीन बेचने से ही 475 करोड़ की कमाई होगी। नालागढ़ के मझोली में 265 एकड़ जमीन के 25 प्रतिशत हिस्से में मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित होगा।शेष जमीन को उद्योग विभाग निवेश की इच्छुक कंपनियों को 8500 रुपये प्रति वर्ग मीटर के मूल्य पर बेचेगा। उद्योगों को छह रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली मिलेगी, पानी के लिए भी शुल्क चुकाना पड़ेगा। केंद्र सरकार की शर्तों के तहत बिजली तीन रुपये प्रति यूनिट और पानी निशुल्क देना पड़ना था। यह भी पढ़ें: 'पर्यटन राजधानी के रूप में विकसित होगा कांगड़ा, मजबूत होगी आर्थिक स्थिति', समीक्षा बैठक में बोले CM सुक्खूसरकार को 500 करोड़ की आमदनी होने की आस
केंद्र सरकार से करार तोड़ने के बाद हिमाचल सरकार को मेडिकल डिवाइस पार्क से 5 से 7 साल में 500 करोड़ आने की आस है। इसमें जमीन बेचने से प्राप्त होने वाली धनराशि के अलावा आय होने का अनुमान व्यक्त किया गया है। अब बिजली, पानी की दरें निर्धारित होने से भी धनराशि प्राप्त होगी।30 करोड़ का प्रबंध होते ही लौटा देंगे
यह भी पढ़ें: Himachal Weather Update: हिमाचल में 19 अगस्त तक भारी बारिश का अलर्ट, 200 से अधिक सड़कें बंदप्रदेश सरकार केंद्र सरकार को 30 करोड़ रुपये शीघ्रता से लौटाना चाहेगी। लेकिन अभी राज्य औद्योगिक विकास निगम के पास इतनी धनराशि उपलब्ध नहीं है। मेडिकल डिवाइस पार्क के संबंध में केंद्र सरकार को इस कारण से इंकार करना पड़ा, क्योंकि चिकित्सा उपकरण बनाने वाली कंपनियों को एक रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से भूमि देनी थी। इसके अतिरिक्त तीन रुपये प्रति यूनिट दर पर बिजली देनी थी। इसके अतिरिक्त पानी निशुल्क देना था। ऐसे में सरकार चाहती है कि केंद्र सरकार से मिले तीस करोड़ रुपये शीघ्रता से लौटा दिए जाएं।
- हर्षवर्धन चौहान, उद्योग मंत्री।