Himachal HC: हिमाचल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सजा बरकरार होने के बाद भी अपराध को खत्म किया जा सकता है
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने चेक बाउंस मामले में एक महत्वपूर्ण व्यवस्था की है। न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने कहा कि अदालतें अपराध को कम करने के लिए पर्याप्त रूप से सशक्त हैं। वह कानून के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग कर सकती हैं।
By Jagran News NetworkEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Thu, 02 Mar 2023 03:17 PM (IST)
शिमला, डिजिटल डेस्क। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने चेक बाउंस मामले में एक महत्वपूर्ण व्यवस्था की है। न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने कहा कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 147 (आफेंस टू बी कंपाउंडेबल) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए अदालतें अपराध को कम करने के लिए पर्याप्त रूप से सशक्त हैं। यहां तक कि उन मामलों में भी जहां आरोपी दोषी साबित हो चुके हैं।
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 147
न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी। याचिकाकर्ता ने निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 147 के तहत इस आधार पर अपराध को कम करने की प्रार्थना की थी कि आरोपी ने प्रतिवादी के साथ मामले में समझौता कर पूरी देय राशि का भुगतान कर दिया है।
सजा बरकरार-अपराध को खत्मसमझौता होने के कारण, अभियुक्त ने धारा 482 सीआरपीसी के तहत अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें अधिनियम की धारा 147 के तहत अपराध को कम करने की प्रार्थना की गई थी। इसपर न्यायाधीश संदीप शर्मा ने स्पष्ट किया कि सजा बरकरार होने के बाद भी अपराध को खत्म किया जा सकता है।
सजा पूरी होने पर अपराध खत्म हो जाता हैगैर-आवेदक ने अपनी ओर से निष्पक्ष रूप से कहा है कि चूंकि अभियुक्त द्वारा मुआवजे की पूरी राशि जमा कर दी गई है, इसलिए उसे अपराध से हटाने के लिए अभियुक्त की प्रार्थना के मामले में कोई आपत्ति नहीं है। इसी आधार पर उनको दोषमुक्त किया जाता है।
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