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हिमाचल हाई कोर्ट ने नालागढ़ पुलिस स्टेशन के SHO व जांच अधिकारी को बदलने के दिए आदेश, जबरन वसूली का लगा आरोप

जबरन वसूली के मामले में नालागढ़ के एसएचओ व जांच अधिकारी को बदलने के आदेश

By rohit nagpalEdited By: Shoyeb AhmedUpdated: Sat, 21 Oct 2023 08:07 PM (IST)
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हिमाचल हाई कोर्ट ने नालागढ़ पुलिस स्टेशन के SHO व जांच अधिकारी को बदलने के दिए आदेश
जागरण संवाददाता, शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने जबरन वसूली से जुड़े मामले की जांच में शामिल पुलिस स्टेशन नालागढ़ (Nalagarh Police Station) के जांच अधिकारी और एसएचओ का तबादला करने के आदेश जारी (Transfer Order Issued Of SHO And Investigating Officer) किए है।

कोर्ट ने नालागढ़ पुलिस स्टेशन के पर्यवेक्षी अधिकारी सब डिविजनल पुलिस अधिकारी का तबादला करने को भी कहा है। कोर्ट ने गृह सचिव अथवा डीजीपी को यह आदेश देते हुए स्पष्ट किया कि आपराधिक न्यायिक प्रणाली में विश्वास बनाए रखने के लिए ऐसा किया जाना जरूरी है।

जबरन वसूली करने के आरोप के मामले में सुनाया फैसला

न्यायाधीश सुशील कुकरेजा ने जबरन वसूली करने के आरोपियों द्वारा दायर आवेदन का निपटारा करते हुए यह आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने डीजीपी को एसआईटी गठित कर नालागढ़ पुलिस स्टेशन के संबंधित पुलिस कर्मियों के खिलाफ लगाए कदाचार के आरोपों की जांच करने के आदेश भी दिए।

कोर्ट ने 8 सप्ताह के भीतर डीजीपी से जांच रिपोर्ट भी तलब की है। कोर्ट ने जबरन वसूली मामले के आरोपियों द्वारा पुलिस पर लगाए आरोपों के कारण उनके खिलाफ जांच की जिम्मेवारी भी एसआईटी को सौंपने के आदेश दिए। इसके लिए कोर्ट ने एसपी बद्दी को एसआईटी गठित करने के आदेश दिए जो जबरन वसूली से जुड़े मामले की जांच करेगी।

ये हैं एसएचओ और जांच अधिकारी पर आरोप

मामले के अनुसार नैनीताल उतराखंड निवासी तनुजा चंदोला और सूरज चंदोला ने एसएचओ नालागढ़ पर आरोप लगाया है कि उसने उन पर घुस देने का दबाव बनाया। आरोप है कि एसएचओ ने उनके खिलाफ जबरन वसूली और साजिश रचने से जुड़े मामले में जमानत सुनिश्चित करने की एवज में घुस की मांग की।

इन आरोपियों ने आरोप लगाया कि जांच अधिकारी ने निष्पक्ष जांच की बजाए उन पर साइबर सेल के समक्ष जांच में हिस्सा लेने का दबाव बनाया और उनके मोबाइल नम्बर बिना किसी अथॉरिटी के निगरानी पर रखे हैं।

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ये है पूरा मामला

उल्लेखनीय है कि उक्त आरोपियों के खिलाफ विवेक महाजन ने जबरन वसूली और साजिश करने के आरोप लगाते हुए पुलिस स्टेशन नालागढ़ में 13 जुलाई को प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। शिकायतकर्ता का आरोप है कि उपरोक्त दोनों आरोपियों ने छलपूर्वक उससे पैसे वसूले।

उसकी और आरोपी महिला की जनपहचान टिंडर एप के जरिए हुए थी। महिला ने छलावा कर पहले अपने आप को अपूर्वा बताया और बाद में तनुजा। इस प्रकार सोशल मीडिया पर दोस्ती होने के बाद शिकायत कर्ता के अनुसार उससे भारी भरकम राशि की मांग होने लगी।

जब उसने पैसे देने से मना किया तो उसे दुष्कर्म के झूठे केस में फसाने की धमकियां दी जाने लगी। इस पर शिकायतकर्ता ने एसएचओ मानपुरा पुलिस स्टेशन को सूचित किया। जब एसएचओ मानपुरा ने फोन पर बात कर आरोपी महिला को बुलाया तो उसने आने से मना कर दिया। शिकायतकर्ता के अनुसार उक्त महिला ने उसके खिलाफ 9 मई को एचपी साइबर सेल शिमला में झूठी शिकायत दर्ज कर दुष्कर्म के आरोप लगाए।

पुलिस ने शिकायतकर्ता पर ही किया था मुकदमा दर्ज

परिणामस्वरूप पुलिस स्टेशन नालागढ़ में शिकायतकर्ता विवेक महाजन और उसकी पत्नी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376,506 और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया। आरोप प्रत्यारोप के इस मामले में शिकायतकर्ता ने आरोपी महिला और उसके पति के खिलाफ पुलिस स्टेशन नालागढ़ में जबरन वसूली को लेकर भारतीय दंड संहिता की धारा 387,389,416,506 और 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज कराया।

इस मामले में आरोपित महिला तनुजा चंदोला और सूरज चंदोला ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिकाएं दायर की थी। जिन्हे खारिज करते हुए कोर्ट ने उपरोक्त आदेश पारित किए।

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