सुक्खू सरकार को हाई कोर्ट ने दिया बड़ा झटका, वाटर सेस अधिनियम किया निरस्त; अदालत ने बताया असंवैधानिक
Himachal High Court जहां एक ओर हिमाचल की सियासत डगमगा रही है। वहीं इन दिनों Himachal High Court सुक्खू सरकार की एक समस्या ओर बढ़ गई है। दरअसल हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रदेश वाटर सेस अधिनियम के प्रविधानों को असंवैधानिक ठहराते हुए निरस्त कर दिया है। मामले में अदालत ने कहा कि प्रदेश सरकार केवल उत्पादित बिजली पर ही कर या सेस लगाने की शक्तियां रखती है।
विधि संवाददाता, शिमला। (Himachal Pradesh News) हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रदेश वाटर सेस अधिनियम के प्रविधानों को असंवैधानिक ठहराते हुए निरस्त कर दिया है। हाई कोर्ट के समक्ष विद्युत उत्पादन से जुड़े भारत सरकार के उपक्रमों और निजी विद्युत कंपनियों ने याचिकाएं दायर की थीं।
न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने 39 कंपनियों की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए अधिनियम के प्रविधानों व नियमों को रद कर दिया। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को प्रविधानों के तहत उगाही राशि चार सप्ताह के भीतर वापस करने के आदेश भी दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि भारतीय संविधान के तहत प्रदेश सरकार इस तरह के कानून बनाने की शक्तियां नहीं रखती है।
कंपनियां राज्य को 12 से 13 प्रतिशत बिजली फ्री देती हैं
एनटीपीसी, बीबीएमबी, एनएचपीसी व एसजेवीएनएल ने दलील दी थी कि प्रदेश सरकार संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत उस पानी पर कर नहीं लगा सकती जिसका उपयोग विद्युत उत्पादन के लिए किया जाना हो। प्रदेश सरकार केवल उत्पादित बिजली पर ही कर या सेस लगाने की शक्तियां रखती है।यह भी पढ़ें- Himachal Politics: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी है हिमाचल की राजनीति, कल आएगा छह बागी विधायकों के मसले पर फैसला
केंद्र व प्रदेश सरकार के साथ अनुबंध के आधार पर कंपनियां राज्य को 12 से 13 प्रतिशत बिजली निश्शुल्क देती हैं। ऐसे में हिमाचल प्रदेश वाटर सेस अधिनियम के तहत कंपनियों से सेस वसूलने का प्रविधान संविधान के अनुरूप नहीं है।
केंद्र सरकार ने भी दिए थे निर्देश
कोर्ट को बताया गया था कि 25 अप्रैल 2023 को केंद्र सरकार ने पाया था कि कुछ राज्यों में भारत सरकार के उपक्रमों पर सेस वसूला जा रहा है। केंद्र सरकार ने राज्य के सभी मुख्य सचिवों को निर्देश दिए थे कि भारत सरकार के उपक्रमों से वाटर सेस न वसूला जाए।
आरोप लगाया था कि राज्य सरकार केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन नहीं कर रही है। इससे पहले प्रदेश में निजी जल विद्युत कंपनियों ने भी हिमाचल प्रदेश वाटर सेस अधिनियम को चुनौती दी थी। निजी जल विद्युत कंपनियों ने आरोप लगाया था कि पनबिजली परियोजना पर वाटर सेस लगाना संविधान के प्रविधानों के विपरीत है।यह भी पढ़ें- Himachal Avalanche: हिमस्खलन से अटल टनल रोहतांग बंद, बर्फ हटाने में जुटी आधुनिक मशीनें; जनजीवन हुआ अस्त-व्यस्त
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