राहत! छह साल से कम आयु के बच्चों को पहली कक्षा में प्रवेश से नहीं कर सकते इनकार, हिमाचल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि राज्य सरकार छह वर्ष से कम आयु के बच्चों को पहली कक्षा में प्रवेश देने से मना नहीं कर सकती। इस निर्णय से उन अभिभावकों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी जिनके बच्चों को छह वर्ष की आयु पूरी न होने पर प्रवेश से वंचित कर दिया गया था।
विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अहम निर्णय में कहा है कि प्रदेश सरकार छह वर्ष से कम आयु के बच्चों को पहली कक्षा में प्रवेश देने से मना नहीं कर सकती।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को अपनाने से पहले प्रदेश सरकार को इस संदर्भ में केंद्र सरकार की ओर से 31 मार्च 2021 को जारी सूचना के तहत दिए सुझावों पर चरणबद्ध तरीके से लागू करना होगा।इस निर्णय से उन अभिभावकों को राहत मिलेगी, जिनके बच्चों को छह वर्ष की आयु पूरी न होने पर प्रवेश से वंचित कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा कि पहले से प्री स्कूल शैक्षिक पाठ्यक्रम पूरा करने वाले छह वर्ष से कम आयु के बच्चों को 2024-25 के सत्र में प्रवेश मिलेगा।
'कोई वैधानिक आदेश नहीं'
प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजीव शकधर व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को विशेष तरीके से लागू करने का कोई वैधानिक आदेश नहीं है।इसका उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करना है। कल्याणकारी राज्य होने के नाते राज्य सरकार कानून के दायरे में रहते हुए अपने नागरिकों के विविध हितों की देखभाल करने के लिए बाध्य है।
यूकेजी कक्षा दोहराने को विवश करने से पूरा नहीं होगा उद्देश्य
हाई कोर्ट ने कहा कि बच्चों को यूकेजी कक्षा दोहराने के लिए विवश करने से एनईपी-2020 का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। एनईपी 2020 को लागू करना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है तो आयु सीमा में फिर छह माह का विस्तार ही क्यों दिया गया?24 नवंबर 2023 को जारी अधिसूचना से पहले प्रदेश सरकार ने एनईपी-2020 को लागू करने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया। बालवाटिका-1, बालवाटिका-2 और बालवाटिका-3 के लिए पाठ्यक्रम अभी तक तैयार नहीं किया गया।
प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ईसीसीई) के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए कोई प्रशिक्षित शिक्षक नहीं हैं।
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