Himachal News: 'एनकाउंटर में मारे गए आतंकी की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना गुुनाह नहीं', HC ने आखिर क्यों कही ये बात?
पुलवामा में फौजियों पर हुए आतंकी हमले के बाद मारे गए आतंकी को शहीद कहते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की गई थी। इस मामले में बद्दी में मौजूद एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले कश्मीरी युवक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। कोर्ट ने कहा कि आतंकवादी के कृत्यों का महिमामंडन करने का प्रयास कहा जा सकता है मगर अपराध नहीं कहा जा सकता।
जागरण संवाददाता, शिमला। एनकाउंटर में मारे गए आतंकी की आत्मा को शांति प्रदान करने की प्रार्थना करना कोई गुनाह नहीं है।
प्रदेश हाईकोर्ट ने बद्दी बरोटीवाला पुलिस स्टेशन में इस मामले से जुड़ी प्राथमिकी को रद करते हुए कहा कि जब तक ऐसी प्रार्थना से सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने के लिए किसी समुदाय या वर्ग को उकसाया अथवा उकसाने का प्रयास न किया गया हो, तब तक ऐसा करना कोई गुनाह नहीं है।
न्यायाधीश संदीप शर्मा ने प्रार्थी श्रीनगर निवासी ताहसीन गुल की याचिका स्वीकार करते हुए उसके खिलाफ इस मामले से जुड़ी आपराधिक कार्यवाही को भी खारिज कर दिया।
ये है मामला
जानकारी के अनुसार पुलवामा में फौजियों पर हुए आतंकी हमले के बाद मारे गए आतंकी को शहीद कहते हुए सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने पर बद्दी स्थित एक निजी विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले कश्मीरी युवक के खिलाफ 16 फरवरी 2019 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
प्रार्थी पर आरोप था कि उसने सोशल मीडिया फेसबुक पर देश विरोधी टिप्पणी की। विश्वविद्यालय के डीन ने मामले में बद्दी पुलिस को पत्र लिखकर शिकायत करने के साथ ही युवक को कॉलेज से निकाल दिया गया था। 14 फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमले के बाद यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग में दूसरे वर्ष के छात्र ताहसीन ने 16 फरवरी को एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा था कि अल्लाह ताला आपकी शहादत कबूल करे शकूर भाई’।
इस कारण उस पर आईपीसी की धारा 153 बी (राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाले आरोप लगाना, बयान देना) के तहत मामला दर्ज किया गया था। प्रार्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर इस प्राथमिकी और इससे उपजी कार्यवाही को निरस्त करने की गुहार लगाई थी।
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