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Himachal Politics: सियासी भूचाल के बीच विधानसभा स्पीकर का ऐसा फैसला जिसने हिमाचल की राजनीति में लिखा नया इतिहास

हिमाचल (Himachal Political Crisis) में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। दो दिन पहले आई सियासी भूचाल अभी तक थमने का नाम नहीं ले रहा है। आज विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने छह दलबदलू कांग्रेस विधायकों पर ऐसा फैसला लिया। जिसने प्रदेश की राजनीति में नया इतिहास रच दिया क्योंकि जो हुआ है। इससे पहले कभी भी ऐसा नहीं हुआ। पढ़िए पूरी स्टोरी।

By Jagran News Edited By: Monu Kumar JhaUpdated: Thu, 29 Feb 2024 02:04 PM (IST)
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Himachal News: स्पीकर ने की कांग्रेस के सभी छह विधायकों की विधानसभा सदस्यता खत्म।
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh Political News) में सुक्खू सरकार के लिए चल रहे सियासी संकट के बीच राजनीतिक गर्मी और बढ़ गई है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ( Kuldeep Singh Pathania) ने वीरवार को यहां अपने एक फैसले में कांग्रेस के सभी छह बागी सदस्यों की विधानसभा सदस्यता खत्म कर दी। विधानसभा अध्यक्ष ने यह फैसला ट्रिब्युनल के अध्यक्ष के रूप में सुनाया। विधानसभा अध्यक्ष को संविधान के शेड्यूल 10 के तहत ट्रिब्युनल की शक्तियां प्राप्त हैं।

दलबदल निरोधक कानून के तहत किया गया अयोग्य करार

इन बागी विधायकों को कांग्रेस पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करने के आरोप में दलबदल निरोधक कानून के तहत अयोग्य करार दिया गया है। कांग्रेस के जिन छह बागी विधायकों को विधानसभा सदस्यता के लिए अयोग्य करार दिया गया है, उनमें सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, इंद्रदत्त लखनपाल. रवि ठाकुर, देविंद्र भुट्टो और चैतन्य शर्मा शामिल हैं। हिमाचल विधानसभा के इतिहास में अपने किसी विधायक को अयोग्य करार देने का यह पहला फैसला है।

विधायकों ने दलबदल निरोधक कानून का किया उल्लंघन-स्पीकर

विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने गुरुवार को शिमला (Shimla News) में एक पत्रकार सम्मेलन में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि उन्हें संसदीय कार्य मंत्री व कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन चौहान की ओर से पार्टी के छह विधायकों के खिलाफ दलबदल निरोधक कानून (anti defection law) के तहत शिकायत मिली थी। उन्होंने इस शिकायत पर कांग्रेस के बागी विधायकों और पार्टी के अधिवक्ताओं की बीते रोज विस्तार से दलीलें सुनी और इस नतीजे पर पहुंचे कि इन कांग्रेस विधायकों ने दलबदल निरोधक कानून का उल्लंघन किया है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कटौती प्रस्तावों और वित्त विधेयक के पारित करने को लेकर व्हिप जारी किया था। बागी विधायकों ने इन दोनों ही दिन हाजिरी रजिस्टर पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी विधायक को व्यक्तिगत तौर पर व्हिप की सर्विस करने की जरूरत नहीं है।

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आया राम-गया राम पर रोक के लिए फैसला जरूरी-पठानिया

एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि अयोग्य करार दिए गए विधायकों को ई-मेल और व्हाट्सएप के माध्यम से पार्टी व्हिप के उल्लंघन के मामले में हुई सुनवाई में हाजिर होने की सूचना दी गई थी और इन दोनों माध्यमों की कानूनी तौर पर भी मान्यता है। उन्होंने कहा कि वैसे भी हिमाचल प्रदेश विधानसभा प्रदेश की पहली ई-विधानसभा है। ऐसे में सदस्यों को व्यक्तिगत तौर पर किसी भी प्रकार का आदेश पहुंचाना जरूरी नहीं है।

पठानिया ने कहा कि उन्होंने अपने तीस पन्नों के फैसले में पूरे घटनाक्रम और दलबदल निरोधक कानून को लेकर विभिन्न उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न फैसलों का हवाला दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि बागी विधायकों के अधिवक्ता सतपाल जैन ने विधायकों की ओर से पक्ष रखने के लिए कुछ और समय मांगा था, लेकिन मामले के सभी साक्ष्य पूरी तरह से स्पष्ट हैं। ऐसे में फैसले में देर करने या और समय देने का कोई औचित्य नहीं था।

कुलदीप सिंह पठानिया ने पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा कि इस तरह के मामलों में तुरंत फैसला देना जरूरी है ताकि लोकतंत्र की मर्यादा बनी रहे और आया राम-गया राम की राजनीति पर रोक लग सके। उन्होंने कहा कि वास्तव में दलबदल निरोधक कानून का मकसद राजनीति में चुने हुए लोगों की खरीद-फरोख्त रोकना है ताकि स्वच्छ राजनीति को बढ़ावा दिया जा सके।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के बागी विधायकों के मामले में व्हिप की उल्लंघना हुई है। राज्यसभा चुनाव में क्रॉसवोटिंग पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी पार्टी के चुने हुए विधायक द्वारा दूसरी विचारधारा के पक्ष में वोट डालना अनैतिक है और यहां तो कांग्रेस और भाजपा की लड़ाई हो रही थी। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि राज्यसभा चुनाव (Himachal Rajya Sabha elections) के लिए व्हिप जारी नहीं होता।

ऐसे में उन्होंने इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं सुनाया है, लेकिन अपने फैसले में इस सारे घटनाक्रम का जिक्र किया है और सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह इस बारे में अपने दिशानिर्देशों पर फिर से दृष्टि डाले ताकि लोकतंत्र में नैतिकता की राजनीति को बढ़ावा दिया जा सके। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अयोग्य करार दिए गए सभी विधायक हाईकोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट जाने को स्वतंत्र है।

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