भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने अभी 10 माह का समय पूरा हुआ है और 10 माह के भीतर ही जनता के बीच सरकार के प्रति इतना रोष है। यह रोष शिमला में आए हजारों कार्यकर्ताओं के चेहरों से साफ झलक रहा है और इससे पता चलता है कि कांग्रेस की सरकार अब जल्द ही सत्ता से दूर होने वाली है।
'हर महिला पर चढ़ गया 13 हजार रुपए का कर्ज'
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले कहा था कि जैसे ही वह सत्ता में आएंगे तो प्रदेश की 22 लाख बहनों को हर महीने 1500 रुपए की राशि जारी की जाएगी। कांग्रेस सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह पर बरसते हुए प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि वह जब स्पीति घाटी दौरे पर गए थे। तो उसे दौरान उन्होंने स्पीति घाटी की हर महिला को 1500 रुपए देने की बात कही थी और उनके सभी विधायकों व मंत्रियों ने प्रदेश में यह शोर मचा दिया कि हमने अपनी गारंटी पूरी कर दी। लेकिन सच्चाई यह है कि प्रदेश के अन्य इलाकों में किसी भी महिला को यह राशि अभी तक नहीं मिल पाई है और कांग्रेस सरकार में हर महिला पर साढ़े 13 हजार रुपए का कर्ज भी चढ़ गया है।
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'कांग्रेस सरकार ने युवाओं के साथ ठगी की'
राजीव बिंदल ने कहा कि अब प्रदेश की महिलाएं भी कांग्रेस सरकार से मांग कर रही हैं कि साडा हक एथे रख यह गारंटी उनकी कब पूरी होगी। वहीं, राजीव बिंदल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कहा था कि पहली ही कैबिनेट में प्रदेश में 1 लाख युवाओं को नौकरी दी जाएगी। लेकिन आज कई कैबिनेट की बैठक हो गई और युवा आज भी बेरोजगार सड़कों पर घूम रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस सरकार ने युवाओं के साथ ठगी की और रोजगार के नाम पर उनका शोषण भी किया।
'कांग्रेस सरकार में चरमराई कानून व्यवस्था'
बीजेप प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस सरकार में अब कानून व्यवस्था भी बुरी तरह से चरमरा गई है। बीते महीनों चंबा में एक दलित युवक की हत्या कर दी गई और उसके टुकड़े कर खड्ड में फेंक दिए गए। लेकिन कांग्रेस सरकार के मुखिया सुखविंदर सिंह आज तक उस पीड़ित परिवार से मिलने के लिए चंबा भी नहीं पहुंचे। हिमाचल प्रदेश में आज ऐसा कोई भी जिला नहीं है। जहां पर महिलाओं के साथ अपराध के मामले ना बढ़े हों। इससे बड़ी शर्मनाक बात कांग्रेस सरकार के लिए और क्या हो सकती है।
'सीएम का गृह जिला ही मणिपुर बन गया'
बिंदल ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने मणिपुर मामले में तो खूब शोर मचाया। लेकिन उनके अपने गृह जिले में ही एक महिला के बाल काटे गए और उसका मुंह काला कर उसे पूरे इलाके में घुमाया गया। इससे बड़ी शर्मनाक घटना और क्या हो सकती है। अब तो उनका गृह जिला हमीरपुर ही मणिपुर बन गया। ऐसे में सरकार के द्वारा क्या कार्रवाई की गई। ताकि प्रदेश में माताएं बहने सुरक्षित रह सकें।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जब प्राकृतिक आपदा आई तो उस दौरान भी सरकार से ज्यादा काम भाजपा के द्वारा किया गया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा कुल्लू, मंडी, शिमला का दौरा कर पीड़ितों का दुख दर्द बांटते रहे और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी तुरंत राहत राशि जारी कर विकास कार्य में अपना सबसे अहम योगदान दिया है। ऐसे में अब कांग्रेस सरकार अपनी नाकामियों का ठीकरा भाजपा पर फोड़ रही है। क्योंकि उनसे खुद धरातल पर कोई काम नहीं हो पा रहा है।
पूर्व CM जयराम ठाकुर बोले- कांग्रेस के पास न कोई विजन, न ही प्राथमिकता
भाजपा नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि चुनाव के समय झूठे वादों और गारंटियों से जनता को गुमराह करके सत्ता में आई कांग्रेस का असली चेहरा 9 महीनों में ही बेनकाब हो गया है। इस सरकार का न तो कोई विजन है और न ही कोई प्राथमिकता। सत्ता के मजे ले रही इस सरकार को जनता की पीड़ा का भी कोई एहसास या परवाह नहीं है। यहां तक कि प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए भी सरकार में कोई तालमेल नजर नहीं आया। मुख्यमंत्री, मंत्री और कांग्रेस नेता अलग-अलग राग अलापते रहे।
'कांग्रेस सरकार का फोकस इस बात पर रहा कि...'
जयराम ठाकुर ने कहा कि आपदा पीड़ितों की सही मायनों में मदद करने के बजाए कांग्रेस सरकार का फोकस इस बात पर रहा कि त्रासदी की वजह से राजनीतिक नुकसान से कैसे बचा जाए। कोई भी सरकार देश या प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिए बनती है। लेकिन हिमाचल में कांग्रेस की सरकार इस पर्वतीय राज्य को पीछे धकेलने का काम कर रही है। आपदा से उबरने के लिए केंद्र से भरपूर मदद मिलने के बावजूद एहसान फरामोश सत्ता पक्ष केंद्र सरकार पर हिमाचल की अनदेखी के झूठे आरोप लगा रहा है।
'कांग्रेस ने एक भी फैसला जनहित में नहीं लिया'
शिमला में आक्रोश रैली में पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि 9 महीने पहले सत्ता में आई कांग्रेस ने एक भी फैसला जनहित में नहीं लिया। उसने कदम-कदम पर जनविरोधी फैसले लिए। भर्ती परीक्षाओं के रिजल्ट नहीं निकाले जा रहे हैं। कोरोना के समय नियुक्त किए गए लगभग 1800 कर्मचारियों को नौकरी से हटाने के नोटिस जारी हो चुके हैं। इसी तरह पीडब्ल्यूडी और आईपीएच समेत कई अन्य विभागों और संस्थानों से हजारों आउटसोर्स कर्मचारियों को घर भेज दिया गया। इसके चलते प्रदेश में अराजकता का माहौल है।
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