Himachal Politics: क्या सुक्खू सरकार से टल गया खतरा? उपचुनाव के बाद बदला सीटों का गुणा-भाग? सत्ता से कितनी दूर गई BJP
Himachal Politics हिमाचल प्रदेश में 40 से लड़ाई शुरू हुई 40 पर ही आकर खत्म हुई। 2022 के चुनाव में कांग्रेस को 40 सीटें मिली थीं लेकिन बीच में सियासी उठापटक के बीच कांग्रेस की गिनती 34 पर पहुंच गई थी। अब फिर से 40 पर पहुंच गई है। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी सत्ता से कितनी दूर चली गई है। क्या बीजेपी अब भी सरकार बनाने का दावा करेगी।
अनिल ठाकुर, शिमला। हिमाचल में पिछले पांच महीनों से चला राजनीतिक संकट दूर हो गया है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 40 सीटें जीतकर भाजपा को सत्ता से बाहर किया था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी।
डेढ़ वर्ष के बाद राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस के 6 विधायकों ने पार्टी से विद्रोह कर बगावत कर दी। चुनावों में इन विधायकों ने क्रॉस वोट कर भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन को वोट दिया। राज्यसभा के इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अभिषेक मनू सिंघवी चुनाव हार गए थे। राज्यसभा चुनावों के बाद हिमाचल में सियासी संकट पैदा हो गया था।
बाद में कांग्रेस की संख्या 38 हुई
विद्रोह करने वाले 6 कांग्रेस विधायकों ने कांग्रेस से त्यागपत्र देकर भाजपा ज्वाइन कर ली थी। विधानसभा अध्यक्ष ने इन विधायकों की विधानसभा से सदस्यता को रद्द कर दिया था। इसके बाद कांग्रेस विधायकों की संख्या 34 हो गई थी। लोकसभा चुनावों के साथ ही इन छह सीटों पर उपचुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस 4 सीटें जीती। जिसके बाद कांग्रेस विधायकों की संख्या 38 हो गई थी।बीजेपी पहुंची 28 पर
भाजपा दो सीटें जीती थी। उनके विधायकों की संख्या भी 27 हो चुकी थी। तीन निर्दलीय विधायकों ने भी विधानसभा से भी इस्तीफा दिया था। जिसके चलते इन तीन सीटों पर उप चुनाव हुआ। शनिवार को आए इसके नतीजों में कांग्रेस ने दो सीटों पर जीत हासिल की है। और भाजपा केवल एक ही सीट जीत पाई, ऐसे में कांग्रेस दोबारा 40 के आंकड़े पर पहुंच गई है और भाजपा के पास 28 विधायक हैं।
सदन में बदल जाएगा सीटिंग प्लान
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में तस्वीर बदल जाएगी। पहले सदन में तीन निर्दलीय विधायक थे। अब नए विधायक जीत कर विधानसभा पहुंच गए हैं। सदन में पूरा सीटिंग प्लान ही बदल जाएगा।आचार संहिता की झेलनी पड़ी मार
तीन सीटों पर हुए उप चुनावों के चलते 36 दिनों की आचार संहिता लगी। हालांकि यह आचार संहित केवल तीन जिलों में लगी थी। इन जिलों में कोई भी विकास कार्य नहीं हो पाया था। बरसात से पहले सड़कों की टारिंग व अन्य कई तरह के काम थे जो आचार संहिता के चलते नहीं हो पाए।
आचार संहिता के चलते अनुबंध कर्मचारियों के नियमितिकरण का मामला लटका रहा। दूसरे कर्मचारियों की पद्दोन्नतियां नहीं हो पाई। जिन कर्मचारियों की नियुक्तियां होनी थी उसे भी विभाग ने आचार संहिता के चलते नहीं दिया। हिमाचल को लगभग 36 दिन आचार संहिता झेलनी पड़ी और तीन सीटों के उपचुनाव का खर्च अलग से उठाना पड़ा।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।