Himachal Election 2022: निर्मला सीतारमण बोलीं- NPS में लोगों का पैसा, राज्य सरकारों को नहीं दे सकते वापस
Himachal Pradesh Assembly Election 2022 केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कानून के तहत राज्य सरकार NPS के तहत कर्मचारियों का जमा किया पैसा वापस नहीं ले सकती है। या पैसा मजदूरों कामगारों और कर्मचारियों का होता है और उन्हें ही देना होता है।
By Jagran NewsEdited By: Virender KumarUpdated: Thu, 10 Nov 2022 09:04 PM (IST)
शिमला, जागरण संवाददाता। Himachal Pradesh Assembly Election 2022, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वीरवार को शिमला में प्रेसवार्ता में कहा कि कानून के तहत राज्य सरकार NPS के तहत कर्मचारियों का जमा किया पैसा वापस नहीं ले सकती है। या पैसा मजदूरों, कामगारों और कर्मचारियों का होता है और उन्हें ही देना होता है कानून में ऐसा प्रविधान नहीं है कि किसी सरकार को यह पैसा वापस किया जाए। उन्होंने माना कि दो राज्यों (राजस्थान व छत्तीसगढ़) ने NPS के तहत जमा पैसा मांगा था जिसे देने से इन्कार कर दिया है। इन दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र से अपने राज्यों में OPS को फिर से शुरू करने के लिए NPS के तहत लोगों का पैसा वापस करने को कहा है। कांग्रेस शासित दोनों राज्यों ने सरकारी कर्मचारियों के लिए OPS को फिर से शुरू करने की अधिसूचना जारी कर दी है और कहा है कि केंद्र कर्मचारियों के पैसे वापस नहीं ले सकता।
वीरभद्र सरकार ने 2003 में बंद की थी OPS
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते रहे हैं कि राज्य सरकार द्वारा केंद्र से इसके लिए कहने के बाद केंद्र ने एनपीएस के तहत नामांकित राज्य सरकार के कर्मचारियों के 17,000 करोड़ रुपये वापस करने से इन्कार कर दिया है। बघेल ने कहा है कि केंद्र उस पैसे को लंबे समय तक वापस नहीं रख सकता है और राज्य सरकार ने मामले पर कानूनी राय मांगी है और वह अदालत का रुख कर सकती है। सीतारमण ने कहा कि यह हिमाचल प्रदेश में दिवंगत मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली पिछली कांग्रेस सरकार थी जिसने 2003 में ओपीएस को बंद कर दिया था और सरकारी कर्मचारियों के लिए एनपीएस शुरू किया था। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपीएस का समाधान निकाल रहे हैं।
OPS बहाली के फैसले से महज 300 को लाभ, 3 लाख को नुकसान
OPS बहाली की बात करने वाली राजस्थान सरकार ने करीब 300 लोगों को इस सुविधा का लाभ पहुंचाया तथा 3 लाख कर्मचारियों को इसके दायरे से बाहर किया। यूपीए सरकार के मुकाबले एनडीए सरकार ने राज्यों को दोगुणा वित्तीय मदद प्रदान की। इस राशि में करों में राज्य के हिस्सेदारी भी शामिल है।हिमाचल ने न सिर्फ केंद्र की योजनाएं लागू की, अन्य भी बनाईं
डबल इंजन सरकार की उपलब्धियोें के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हिमाचल की सरकार ने केंद्र सरकार की योजनाओं को न सिर्फ लागू किया बल्कि उसी तर्ज पर अन्य योजनाएं बनाईं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण केेंद्र सरकार की आयुष्मान योजना और हिमाचल सरकार की हिमकेयर योजना है। उसी तरह उज्ज्वला और गृहिणी योजना का उदाहरण है। जल जीवन मिशन केंद्र की योजना है तो हिमाचल ने उसे आगे बढ़ाते हुए लाहुल-स्पीति के सबसे ऊंचाई पर स्थित ताशी गांव में नल से जल पहुंचाया है।
Watch: Smt @nsitharaman's full press conference in Shimla, Himachal Pradesh ahead of the state assembly elections to be held on November 12, 2022. @BJP4Himachal @BJP4India #JeetegiToBJPHi https://t.co/AmNXkCQ5AF
— NSitharamanOffice (@nsitharamanoffc) November 10, 2022
पांच राज्यों को रोशन करेगा हिमाचल
निर्मला सीतारमण ने कहा हिमाचल में निर्मित रेणुका जी विद्युत परियोजना सहकारी संघवाद का बेहतरीन उदाहरण है। जहां रेणुका जी प्रोजेक्ट सालों तक अटका रहा मोदी ने इसके कार्य में तेजी लाई और इस 7 हजार करोड़ की लागत से बनने वाले प्रोजेक्ट से 40 मेगावाट बिजली हिमाचल को प्राप्त होगी। इसके अतिरिक्त ऊर्जा 5 राज्यों में दी जाएगी।मोदी सरकार बनते ही हिमाचल की केंद्रीय मदद दोगुनी
उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के समय वर्ष, 2009-14 के बीच केंद्र से हिमाचल में करों की हिस्सेदारी के साथ-साथ अनुदान के तौर पर 40,281 करोड़ रुपये मिले। एनडीए सरकार के पहले पांच सालों में वर्ष, 2014-19 के बीच हिमाचल को केंद्र से 80,679 करोड़ रुपये प्रदान किए गए। इसके अलावा वर्ष, 2019 से अब तक 70,400 करोड़ रुपये केंद्र से मिल चुके हैं। वर्ष, 2014 से अब तक केंद्र सरकार ने विदेशी वित्त पोषण एजेंसियों के माध्यम से हिमाचल प्रदेश को के लिए 8,500 करोड़ रुपये की 14 परियोजनाओं को मंजूर करवाया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सेब पर आयात शुल्क को एक राष्ट्र के मामले में 20% बढ़ाया है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के साथ हुए समझौते के अनुसार सेब पर आयात शुल्क 50% से अधिक नहीं हो सकता। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने एक देश के मामले में इसे 70% किया।
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