हिमाचल में आसान नहीं होगी कांग्रेस की राह, संगठन संभालने के साथ-साथ वादे निभाना भी होगा बड़ा चैलेंज
Himachal Pradesh में सरकार बनने के बाद कांग्रेस को तमाम चुनौतियों निपटना होगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनके डिप्टी के लिए आगे की राह आसान नहीं होने वाली। पहली बाधा तो कैबिनेट का गठन है जिसमें पार्टी के दो गुटों के बीच सामंजस्य बनाना आसान नहीं होगा।
By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Sun, 11 Dec 2022 07:57 PM (IST)
शिमला/नई दिल्ली, पीटीआई। Himachal Pradesh Congress Government Promise: हिमाचल प्रदेश में नए नेतृत्व को लेकर निर्णायक कदम उठाने के बाद भी पहाड़ी राज्य में कांग्रेस के लिए मुश्किलें कम नहीं होंगी। कांग्रेस के सामने अब पार्टी में गुटबाजी को दूर रखने और चुनावी वादों को पूरा करने की दोहरी चुनौती है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) और उनके डिप्टी के लिए आगे की राह आसान नहीं होने वाली। पहली बाधा तो कैबिनेट का गठन है जिसमें पार्टी के दो गुटों के बीच सामंजस्य बनाना आसान नहीं होगा। विभागों का बटवारा परेशानी का सबब बन सकता है क्योंकि पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के समर्थक सुखविंदर सिंह सुक्खू के सीएम बनने के बाद खुद को दरकिनार महसूस कर रहे हैं।
विक्रमादित्य सिंह बनेंगी मंत्री
पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने शुरुआत में भले ही आवाज उठाई हो, लेकिन अब ये देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस अपने खेमे को किस तरह संभालेगी। चर्चा ये भी है कि उन्होंने अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए पार्टी के सामने उचित मांग रखी है। शिमला ग्रामीण सीट से विक्रमादित्य सिंह ने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि, शीर्ष नेतृत्व विक्रमादित्य सिंह को राज्य मंत्रिमंडल में वरिष्ठ मंत्री बनाने पर सहमत हो गया है।
ये होगी चुनौती
संगठन में एकता बनाए रखने की चुनौती के साथ-साथ राज्य में कांग्रेस सरकार को काम करते हुए घोषणापत्र के वादों को पूरा करना होगा। चुनाव में किए गए वादों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार की ओर से लगभग 10,000 करोड़ रुपये सालाना खर्च होंगे। हिमाचल पर लगभग 65,000 करोड़ रुपये के भारी कर्ज के बोझ को देखते हुए सुक्खू और उनकी टीम इसे कैसे हासिल करती है, इस पर भी बारीकी से नजर रखी जाएगी। राज्य की वित्तीय स्थिति पहले से ही दबाव में है, कैग ने ये भी चेतावनी दी है कि राज्य सरकार ने उधार ली गई धनराशि का 74.11 प्रतिशत पिछले उधार के पुनर्भुगतान के लिए और 25.89 प्रतिशत पूंजीगत व्यय के लिए उपयोग किया है। 2020-21 के लिए राज्य विधानसभा में पेश कैग की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, अगले दो से पांच वर्षों में लगभग 39 प्रतिशत ऋण (लगभग 25,000 करोड़ रुपये) देय है।ये भी जानें
सूत्रों का कहना है कि, हर घर को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने के वादे पर सालाना 2,500 करोड़ रुपये का और खर्च आएगा, जबकि करीब 15 लाख घरों की जरूरतें पूरी होंगी। 2022-23 के बजट अनुमानों के अनुसार, कुल प्राप्तियां और नकद व्यय क्रमशः 50,300.41 करोड़ रुपये और 51,364.76 करोड़ रुपये अनुमानित हैं। हिमाचल के लिए 2022-23 में राजस्व घाटा 3,903.49 करोड़ रुपये और राजकोषीय घाटा 9,602.36 करोड़ रुपये रहने की संभावना है।
ये है सबसे बड़ा वादा
पुरानी पेंशन योजना की बहाली सबसे बड़ा वादा रहा है, जिसने पार्टी को सत्ता में लाने में मदद की है। अब इसे पूरा करना भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आश्वासन दिया है कि हिमाचल प्रदेश के विकास में कोई बाधा नहीं आएगी, भले ही बीजेपी ने वहां सत्ता खो दी हो। इस बीच केद्र की बीजेपी सरकार से धन प्राप्त करना भी कांग्रेस के लिए मुश्किल हो सकता है।मुफ्त तीर्थ यात्रा का वादा
कांग्रेस ने बुजुर्गों के लिए चार साल में एक बार मुफ्त तीर्थ यात्रा से लेकर हर विधानसभा क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने का वादा किया है। घोषणापत्र में इस बात का जिक्र भी किया गया है। घोषणापत्र में राज्य के सभी बुजुर्गों के लिए किसी भी पसंदीदा तीर्थ स्थल पर मुफ्त तीर्थ यात्रा की बात कही गई है। कांग्रेस ने हर चार साल में ऐसी यात्रा के लिए बिल का भुगतान करने का वादा किया है। इसमें परिचारकों के लिए ऐसी यात्राओं पर बुजुर्गों के साथ जाने का प्रावधान शामिल था।
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