हिमाचल प्रदेश में नशे की ओवरडोज से 11 लोगों ने गंवाई जान , सरकार ने विधानसभा में दी जानकारी
हिमाचल प्रदेश में पिछले डेढ़ साल में नशे की ओवरडोज से 11 लोगों की मौत हो गई है और 2947 मामले दर्ज किए गए हैं। सरकार ने विधानसभा में यह जानकारी दी है। राज्य में एक नशा मुक्ति केंद्र चल रहा है और सीमा क्षेत्र में कोई भी नशा मुक्ति केंद्र नहीं है। नशे की रोकथाम के लिए सरकार सख्त कदम उठा रही है।
जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल में पिछले ड़ेढ साल में (31 जुलाई तक) नशे की ओवर डोज से 11 लोगों की मौत हुई है। इसी अवधि के बीच नशे के 2947 मामले दर्ज हुए हैं। विधायक दीपराज व मलेंद्र राजन द्वारा पूछे सवाल के लिखित जवाब में सरकार ने सदन में यह जानकारी दी। राज्य सरकार ने बताया कि इस दौरान 7 मामलों में 14 लोगों से 11 करोड़, 05 लाख 79 हजार 319 रुपए की संपत्ति जब्त की गई है।
प्रदेश में चल रहा सिर्फ एक नशा मुक्ति केंद्र
प्रदेश में 1 नशा मुक्ति केंद्र चलाया जा रहा है। सीमा क्षेत्रों में कोई भी नशा मुक्ति केंद्र नहीं चल रहा है। राज्य सरकार ने बताया कि नशे की रोकथाम के लिए स्वापक औषधि व मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 के प्रावधानों को कठोरता से लागू किया जा रहा है। राज्य में बार-बार नशा तस्करी करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए पीआईटीएनडीपीएस एक्ट 1988 के तहत 5 अप्रैल 2021 की अधिसूचना के द्वारा डिटेनिंग अथारिटी अधिसूचित किया गया है।
सरकार ने एएनटीएफ का किया है गठन
हिमाचल सरकार द्वारा एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स गठन किया गया है। एएनटीएफ का नेतृत्व सीआईडी डीजी करते हैं। हिमाचल पुलिस स्वापक औषधि व मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 के अभियोगों में संलिप्त अपराधियों की निगरानी के लिए प्रत्येक पुलिस थाना में एक अलग रजिस्टर भी तैयार किया गया है. जिसमे मादक पदार्थो की तस्करी के अपराधियों का पूर्ण विवरण रखा जाता है।तस्करों की सूचना देने के लिए टोल फ्री नंबर जारी
जो भी अपराधी जेलों से सजा काटकर बाहर आते हैं उनपर भी निगरानी रखी जाती है। नशा तस्करों द्वारा तस्करी से अर्जित अवैध सम्पतियों को स्वापक औषधि व मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 के प्रावधानों के तहत जब्त किया जा रहा है। नशा तस्करों की सूचना देने के लिए टोल फ्री नंबर 1908 को शुरू किया है जिस पर कोई भी व्यक्ति अवैध तस्करी की सूचना दे सकता है।
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