'ये तो सोची-समझी साजिश है', बिजली बोर्ड में पदों की पुनर्बहाली के लिए डटे कर्मचारी; सुक्खू सरकार को दी चेतावनी
हिमाचल प्रदेश में बिजली बोर्ड कर्मचारियों और पेंशनरों ने सरकार के विभिन्न पदों को समाप्त करने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि यह सरकार की सोची-समझी साजिश है। उन्होंने सरकार पर वित्तीय घाटे का रोना रोकर कर्मचारियों और पेंशनरों को उनके वित्तीय लाभ समय पर नहीं देने का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि खत्म किए गए पदों को बहाल किया जाए।
जागरण टीम, शिमला। बिजली बोर्ड कर्मचारियों और पेंशनरों ने सोमवार को सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।
राज्य विद्युत परिषद पेंशनर्स कल्याण संघ रामपुर ने अध्यक्ष गोपाल ठाकुर के नेतृत्व में संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर विद्युत परिचालन वृत्त रामपुर में धरना प्रदर्शन किया।
'पदों को समाप्त करना सरकार की साजिश'
उन्होंने कहा कि विभिन्न पदों को धीरे-धीरे समाप्त करना सरकार व बोर्ड प्रबंधन की सोची समझी योजना है। लायक राम ठाकुर ने आरोप लगाया कि सरकार वित्तीय घाटे का रोना रोकर कर्मचारियों व पेंशनरों को उनके वित्तीय लाभ समय पर नहीं दे रही मगर फिजूलखर्च को बढ़ावा दे रही है।यह भी पढ़ें- हिमाचल के इन लोगों से छीन जाएगा बीपीएल कार्ड, आखिर क्यों लिया गया ऐसा फैसला?सचिव राकेश वर्मा ने कहा कि महंगाई भत्ते की बकाया किस्तों का भुगतान जल्द हो। वहीं, प्रदेश बिजली बोर्ड कर्मचारी संघ की ओर से उपमहासचिव प्रशांत शर्मा की अध्यक्षता में रोहड़ू के सर्कल कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया गया।
खत्म किए गए पदों की बहाली के मांग
प्रशांत शर्मा ने कहा कि बिजली बोर्ड में खत्म किए गए कार्यात्मक 51 पदों पर पुनर्विचार कर बहाल किया जाए। बिजली बोर्ड से निकाले गए 81 आउटसोर्स चालकों की सेवाएं बहाल हों।उधर, बिजली बोर्ड चौपाल यूनिट के कर्मचारियों ने अधिशाषी अभियंता बिजली उपमंडल कार्यालय के बाहर यूनिट सचिव जयदत्त शर्मा की अध्यक्षता में धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि यदि बिजली बोर्ड के निजीकरण के साथ पदों को समाप्त करने की प्रक्रिया बंद नहीं
की तो शिमला में विशाल प्रदर्शन किया जाएगा।
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