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'ये तो सोची-समझी साजिश है', बिजली बोर्ड में पदों की पुनर्बहाली के लिए डटे कर्मचारी; सुक्खू सरकार को दी चेतावनी

हिमाचल प्रदेश में बिजली बोर्ड कर्मचारियों और पेंशनरों ने सरकार के विभिन्न पदों को समाप्त करने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि यह सरकार की सोची-समझी साजिश है। उन्होंने सरकार पर वित्तीय घाटे का रोना रोकर कर्मचारियों और पेंशनरों को उनके वित्तीय लाभ समय पर नहीं देने का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि खत्म किए गए पदों को बहाल किया जाए।

By Jagran News Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Tue, 29 Oct 2024 12:27 PM (IST)
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बिजली बोर्ड कर्मचारियों और पेंशनरों ने सुक्खू सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन।
जागरण टीम, शिमला। बिजली बोर्ड कर्मचारियों और पेंशनरों ने सोमवार को सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।

राज्य विद्युत परिषद पेंशनर्स कल्याण संघ रामपुर ने अध्यक्ष गोपाल ठाकुर के नेतृत्व में संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर विद्युत परिचालन वृत्त रामपुर में धरना प्रदर्शन किया।

'पदों को समाप्त करना सरकार की साजिश'

उन्होंने कहा कि विभिन्न पदों को धीरे-धीरे समाप्त करना सरकार व बोर्ड प्रबंधन की सोची समझी योजना है। लायक राम ठाकुर ने आरोप लगाया कि सरकार वित्तीय घाटे का रोना रोकर कर्मचारियों व पेंशनरों को उनके वित्तीय लाभ समय पर नहीं दे रही मगर फिजूलखर्च को बढ़ावा दे रही है।

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सचिव राकेश वर्मा ने कहा कि महंगाई भत्ते की बकाया किस्तों का भुगतान जल्द हो। वहीं, प्रदेश बिजली बोर्ड कर्मचारी संघ की ओर से उपमहासचिव प्रशांत शर्मा की अध्यक्षता में रोहड़ू के सर्कल कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया गया।

खत्म किए गए पदों की बहाली के मांग

प्रशांत शर्मा ने कहा कि बिजली बोर्ड में खत्म किए गए कार्यात्मक 51 पदों पर पुनर्विचार कर बहाल किया जाए। बिजली बोर्ड से निकाले गए 81 आउटसोर्स चालकों की सेवाएं बहाल हों।

उधर, बिजली बोर्ड चौपाल यूनिट के कर्मचारियों ने अधिशाषी अभियंता बिजली उपमंडल कार्यालय के बाहर यूनिट सचिव जयदत्त शर्मा की अध्यक्षता में धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि यदि बिजली बोर्ड के निजीकरण के साथ पदों को समाप्त करने की प्रक्रिया बंद नहीं

की तो शिमला में विशाल प्रदर्शन किया जाएगा।

'सरकार वापस ले अपना फैसला'

वहीं, हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड ज्वाइंट फ्रंट व पेंशनर्स परवाणू यूनिट ने सोमवार दोपहर एक से दो बजे तक सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया। यूनिट सचिव दिनेश कुमार ने कहा कि 51 इंजीनियर के कार्यात्मक पदों के साथ 81 आउटसोर्स चालकों की सेवाएं समाप्त करने का फैसला वापस

लिया जाए।

सीनियर एग्जीक्यूटिव विकास गुप्ता ने आग्रह किया कि बिजली बोर्ड में खत्म किए कार्यात्मक 51 पदों पर पुनर्विचार किया जाए। पिछले 10 से 12 साल से जिन आउटसोर्स चालकों ने सेवाएं दी हैं, उनकी सेवाओं को बहाल किया जाए। आउटसोर्स कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए स्थायी कमेटी बनाई जाए।

बड़े आंदोलन के लिए चेताया

इलेक्ट्रिसिटी सब डिवीजन कसौली के सहायक अभियंता विनीत भारद्वाज ने कहा कि बिजली बोर्ड दिन-प्रतिदिन विघटन की ओर जा रहा है। अभी 1024 टी-मेट के पद लंबित हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि सब कमेटी द्वारा सिफारिश किए गए नियमों व अधिसूचना पर दोबारा विचार कर इन्हें वापस लिया जाए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो उग्र आंदोलन होगा।

इस दौरान वरिष्ठ पेंशनर एसके सोनी, विकास गुप्ता, विनीत भारद्वाज, दिनेश कुमार, भूपेंद्र, राजेंद्र कुमार, सुनील कुमार, संजीव कुमार, जगदीश कुमार, अनिल अत्री, प्रीतम ठाकुर, विक्रम, चिंतामणि, मीनाक्षी, पूनम कुमारी, राजकुमार, राहुल कश्यप, इं. बंसल, धर्मेंद्र, अच्छी देवी व रुपिंदर उपस्थित रहे।

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