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सरकार गिराने-बचाने की कोशिशों में अधर में झूल रही है हिमाचल की गद्दी, क्या कहता है विधायकों का मौजूदा गणित?

Himachal News हिमाचल सरकार पर अभी भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Election) के दौरान बिगड़ी सियासी उथल-पुथल के बीच पक्ष-विपक्ष फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है । सबसे पहले कांग्रेस सरकार ने बगावत करने वाले छह विधायकों की विधानसभा सदस्यता को खत्म करवाया। इसके बाद कांग्रेस ने बगावत के स्वरों को शांत रखने के लिए तुरंत राज्य वित्त आयोग में विधायकों की ताजपोशी की।

By Parkash Bhardwaj Edited By: Prince Sharma Updated: Tue, 05 Mar 2024 07:35 PM (IST)
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सरकार गिराने-बचाने की कोशिशों में अधर में झूल रही है हिमाचल की गद्दी
प्रकाश भारद्वाज, शिमला। राजनीति के खेल में कोई किसी पर आंखें मूंदकर विश्वास नहीं कर सकता है। हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक संकट में घिरी कांग्रेस सरकार इसका प्रमाण है। अब आगे क्या होगा... ये न तो सत्ता पक्ष को पता है और न ही विपक्ष को। केवल दोनों तरफ से आकलन करते हुए सरकार को बचाने और सरकार को गिराने का काम किया जा रहा है।

विधानसभा के बजट सत्र के दौरान एक बार पंद्रह भाजपा विधायकों का निलंबन झेल चुके विपक्ष को आशंका है कि बहुतम साबित करने के लिए आयोजित होने वाले विधानसभा सत्र में पहले विशेषाधिकार हनन समिति की सिफारिश पर सदन में चर्चा होगी और सात भाजपा विधायकों को उनके आचरण के लिए निलंबित किया जा सकता है। ऐसी परिस्थितियों में विधानसभा सचिवालय क्रियाकलापों का केंद्र बिंदु रहेगा।

दोनों तरफ से फूंक-फूंक कर रखे जा रहे कदम

राज्यसभा के गर्भ से उपजी अस्थिरता में दोनों तरफ से कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। सबसे पहले कांग्रेस सरकार ने बगावत करने वाले छह विधायकों की विधानसभा सदस्यता को खत्म करवाया। उसके बाद सरकार ने बगावत के स्वरों को शांत रखने के लिए तुरंत राज्य वित्तायोग में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कैबिनेट रैंक देते हुए ताजपोशी कर डाली।

दूसरी तरफ विपक्ष ने बजट सत्र के दौरान भाजपा के पंद्रह विधायकों को निलंबित करने की आशंका जताते हुए राज्यपाल को सूचित किया था और हुआ भी वही। उसके बाद दो दिन पहले विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने संदेह व्यक्त किया कि विधानसभा की विशेषाधिकार हनन समिति के माध्यम से सात भाजपा विधायकों को निलंबित किया जा सकता है।

भाजपा के सात विधायकों की बढ़ेगी मुश्किल

यदि ऐसा होता है कि सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करना पड़ता है तो बजट सत्र के दौरान विधानसभा के अधिकारियों के कागजात फेंकने वाले भाजपा के सात विधायकों की मुश्किलें बढ़ती नजर आएंगी। राज्यपाल सत्र बुलाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को कहेंगे।

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लेकिन एक दिवसीय सत्र के लिए कार्यसूची विधानसभा सचिवालय सुनिश्चित करेगा। ऐसी परिस्थितियों में विशेषाधिकार हनन समिति की सिफारिश सर्वप्रथम सदन में रखी जाएंगी। सदन में चर्चा होने के बाद यदि सदन ने इस तरह की सिफारिशें को स्वीकार लिया तो भाजपा के सात विधायकों को निलंबित किया जाएगा। उस स्थिति में अंक गणित एक बार फिर से सरकार के पक्ष में जाता रहेगा।

वर्तमान में 62 सदस्यीय विधानसभा

वर्तमान परिस्थितियों में 14वीं विधानसभा में 62 सदस्य हैं। इन सदस्य संख्या के आधार पर ही सदन में सरकार को बहुमत साबित करना है। सरकार के पास 34 विधायकों का समर्थन है तो भाजपा के पास 25 विधायकों के साथ-साथ तीन निर्दलियों का। यदि कांग्रेस के तीन विधायक सरकार से टूटते हैं तो अंक गणित 31-31 पर आकर फंस जाएगा। ऐसी स्थिति में विशेषाधिकार समिति की सिफारिश सरकार के लिए ब्रह्मास्त्र का काम करेगी।

6 विधायकों को राहत मिली तो भी खतरा

अयोग्य घोषित किए गए छह विधायकों को यदि सर्वोच्च न्यायालय से राहत मिलती है तो विशेषाधिकार हनन समिति की सिफारिश निर्णायक भूमिका में रहेगी। बशर्ते की सत्तारूढ़ कांग्रेस में और अधिक टूट न हो। यदि ऐसा होता है तो विपक्ष का प्रस्ताव एक अंक से धराशायी होने का खतरा बना रहेगा।

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