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हिमाचल में आर्थिक संकट के बीच हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पर्यटन निगम में नई भर्तियों पर लगाई रोक

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HPTDC) में किसी भी तरह की नई भर्ती पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने निगम की दयनीय वित्तीय स्थिति के लिए कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि यदि कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाया गया तो एचपीटीडीसी की संपत्तियों पर ताला लगाने के आदेश देने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाएगा।

By rohit nagpal Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Thu, 17 Oct 2024 07:36 PM (IST)
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हिमाचल के पर्यटन निगम में नई भर्तियों पर हाईकोर्ट की रोक। फाइल फोटो
विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम में किसी भी तरह की नई भर्तियों पर रोक लगा दी है।

न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया है कि न्यायालय की अनुमति के बिना किसी भी पद पर प्रतिवादी-निगम द्वारा प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष, अनुबंध के आधार पर या आउटसोर्स के आधार पर कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी।

कोर्ट ने सेवानिवृत्त कर्मचारी के सेवानिवृत्ति के बाद के सेवालाभ भुगतान में देरी जुड़े मामले पर सुनवाई के पश्चात यह आदेश जारी किए।

हाईकोर्ट ने पहले ही दी थी चेतावनी

पर्यटन निगम की ओर से सेवानिवृत कर्मियों को देय राशि के भुगतान का मुख्य कारण दयनीय वित्तीय स्थिति को ठहराया। इस पर कोर्ट ने निगम की दयनीय वित्तीय स्थिति के लिए कुप्रबंधन को जिम्मेवार ठहराया है।

कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि यदि कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाया गया, तो एचपीटीडीसी की संपत्तियों पर ताला लगाने के आदेश देने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाएगा, क्योंकि एचपीटीडीसी एक अलग स्वामित्व वाला निगम है और राज्य या निगम के लिए वरदान होने के बजाय राज्य के खजाने पर अभिशाप बनता जा रहा है।

कोर्ट ने पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव को मामले में प्रतिवादी बनाया था और कोर्ट द्वारा उठाए गए मुद्दों पर हलफनामा दायर करने के आदेश दिए ताकि पर्यटन निगम की संपत्तियों को लाभ कमाने वाली इकाइयों में बदलने के लिए कुछ किया जा सके।

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HPTDC की संपत्तियां पर्यटकों को नहीं कर पा रही आकर्षित

कोर्ट ने एचपीटीडीसी के प्रबंध निदेशक द्वारा पेश किए हलफनामे का अवलोकन करने के पश्चात निगम की आर्थिक हालत को चिंताजनक बताया था। निगम के अनुसार 31 अगस्त 2024 तक सेवानिवृत्त कर्मचारियों को देय राशि 35.13 करोड़ रुपये थी।

कोर्ट ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा था कि हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है और एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में मशहूर होने के बावजूद एचपीटीडीसी की संपत्तियां पर्याप्त पर्यटकों को आकर्षित नहीं कर पा रही हैं।

कोर्ट ने कहा था कि ऐसा नहीं है कि प्रदेश में पर्यटक नहीं आ रहे हैं। परंतु मुद्दा यह है कि एचपीटीडीसी की संपत्तियों के प्रमुख पर्यटन स्थानों पर होने के बावजूद वे इनका उपयोग नहीं कर रहे हैं। वे निजी होटलों में रहना और गैर एचपीटीडीसी रेस्तराओं में भोजन करना पसंद करते हैं।

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