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Himachal News: 58 साल की उम्र में रिटायरमेंट गैर-कानूनी, हाई कोर्ट ने हिमाचल सरकार को ठहराया गलत

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उस फैसले को गैर-कानूनी करार दिया है जिसमें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष से घटाकर 58 वर्ष की जानी थी। कोर्ट ने कहा कि सभी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी चाहे वे 10 मई 2001 से पहले या बाद में नियुक्त हुए हों उन्हें 60 वर्ष की आयु तक सेवा जारी रखने का अधिकार है।

By rohit nagpal Edited By: Prince Sharma Updated: Thu, 07 Nov 2024 08:11 PM (IST)
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Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (जागरण फाइल फोटो)
विधि संवाददाता, शिमला। Himachal Pradesh News:  हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को 60 वर्ष की जगह 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत करने के राज्य सरकार के इरादे को गैर-कानूनी ठहराया है। कोर्ट ने साफतौर से कहा कि 60 साल तक ड्यूटी करना कर्मचारी का हक रखता है।

न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा इस बाबत दिए निर्णय को दोहराते हुए कहा कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी चाहे 10 मई 2001 से पहले या 10 मई 2001 के बाद नौकरी में लगा हो, वह 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक सेवा जारी रखने का अधिकार रखता है।

'60 साल की उम्र तक ड्यूटी करना अधिकार'

हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता नारो देवी को 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त करने के सरकार के इरादे को गलत माना और प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता को उस महीने के अंतिम दिन तक सेवा जारी रखने की अनुमति दें जिसमें वह सेवानिवृत्ति की 60 वर्ष की आयु प्राप्त करेगी।

उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सेवानिवृत्ति आयु को लेकर चतुर्थ श्रेणी (Group D Employee) कर्मचारियों को बड़ी राहत दी थी। हिमाचल हाई कोर्ट ने सुक्खू सरकार (Sukhu Government) को आदेश दिए थे कि सभी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 60 वर्ष की आयु पूरा करने पर ही सेवानिवृत किया जाए।

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60 साल की उम्र में होता है रिटायरमेंट

हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए स्पष्ट किया था कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से सेवानिवृत्ति की आयु को लेकर किया जा रहा भेदभाव गैर-कानूनी है। इसलिए जो भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी 10 मई 2001 के बाद सरकारी सेवाओं में लगे है उन्हें भी अब 60 वर्ष की आयु पूरी करने पर सेवानिवृत्त किया जाएगा।

हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए थे कि जिन कर्मचारियों को 60 वर्ष की आयु से पहले रिटायर कर दिया गया है उन्हें वापस नौकरी के लिए वापस बुलाए और उन्हें 60 वर्ष की आयु पूरी करने पर ही रिटायर करे। प्रार्थी ने इन आदेशों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उसे 60 वर्ष की आयु तक सेवा जारी रखने के आदेशों की मांग की थी।

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