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चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को बड़ी राहत, हिमाचल हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्ति आयु घटाने के इरादे को ठहराया गैरकानूनी

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने राज्य सरकार के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को 60 से घटाकर 58 वर्ष करने के सरकार के इरादे को गैरकानूनी करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि सभी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी चाहे वे 10 मई 2001 से पहले या बाद में नियुक्त हुए हों 60 वर्ष की आयु तक सेवा जारी रखने के हकदार हैं।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Sat, 09 Nov 2024 09:43 AM (IST)
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चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु घटाने का इरादे को हाई कोर्ट ने बताया असंवैधानिक (फाइल फोटो)
विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को 60 की जगह 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त करने के प्रदेश सरकार के इरादे को गैरकानूनी ठहराया है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने हाई कोर्ट की खंडपीठ द्वारा इस बाबत दिए निर्णय को दोहराते हुए कहा कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी चाहे 10 मई, 2001 से पहले या 10 मई, 2001 के बाद नौकरी में लगा हो, वह 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक सेवा जारी रखने का अधिकार रखता है।

इनकी याचिका पर कोर्ट ने दिया फैसला

कोर्ट ने याचिकाकर्ता नारो देवी को 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त करने के सरकार के इरादे को गलत माना और प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता को उस महीने के अंतिम दिन तक सेवा जारी रखने की अनुमति दें, जिसमें वह सेवानिवृत्ति की 60 वर्ष की आयु प्राप्त करेगी।

हाई कोर्ट की खंडपीठ ने सेवानिवृत्ति आयु को लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को बड़ी राहत दी थी। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए थे कि सभी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 60 वर्ष की आयु पूरी करने पर ही सेवानिवृत्त किया जाए।

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से भेदभाव गैरकानूनी- हाई कोर्ट

हाई कोर्ट ने व्यवस्था देते हुए स्पष्ट किया था कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से सेवानिवृत्ति की आयु को लेकर किया जा रहा भेदभाव गैरकानूनी है। इसलिए जो भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी 10 मई, 2001 के बाद सरकारी सेवाओं में लगे हैं उन्हें भी अब 60 वर्ष की आयु पूरी करने पर सेवानिवृत्त किया जाएगा।

कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए थे कि जिन कर्मचारियों को 60 वर्ष की आयु से पहले सेवानिवृत्त कर दिया गया है, उन्हें नौकरी के लिए वापस बुलाए और 60 वर्ष की आयु पूरी करने पर ही सेवानिवृत्त करे।

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छात्रा निष्कासन मामले पर 11 नवंबर को होगी सुनवाई

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में शिमला के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस कालेज संजौली से निष्कासित की गई छात्रा से जुड़ा मामला सोमवार के लिए टल गया। इस मामले पर फैसले के लिए गठित अनुशासन समिति ने अतिरिक्त समय मांगा था। कोर्ट ने सोमवार तक फैसला लेने के आदेश दिए हैं।

न्यायाधीश संदीप शर्मा ने प्रार्थी छात्रा की याचिका पर सुनवाई के बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) को कमेटी की रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश भी दिए। मामले की सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि विश्वविद्यालय ने इस मामले में एक अनुशासनात्मक कमेटी का गठन किया है।

यह कमेटी छात्रा का मामला और इस संबंध में संजौली कॉलेज की रिपोर्ट को देखेगी। कोई भी अंतिम फैसला लेने से पहले कालेज और प्रार्थी छात्रा को सुना जाएगा।

कोर्ट ने कहा था कि कॉलेज प्रशासन के विवादित निर्णय से छात्रा का एक साल बर्बाद हो सकता है, इसलिए कमेटी को इस मामले में शीघ्रता से निर्णय लेने की जरूरत है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 11 नवंबर को निर्धारित की है।

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