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Himachal News: आर्थिक संकट नया नहीं, 44 साल से कर्ज के बोझ तले दबा है हिमाचल; CM सुक्खू के कड़े फैसले दिलाएंगे राहत?

Himachal Pradesh News हिमाचल प्रदेश में पहली बार ऐसा नहीं हो रहा कि प्रदेश आर्थिक वित्तीय संकट से गुजर रहा है। प्रदेश कर्ज के तले तो पिछले 44 साल से जूझ रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य को इस संकट से बाहर निकालने के लिए कई कदम उठाए हैं। क्या ये कदम कारगर साबित होंगे? जानिए इस लेख में।

By Parkash Bhardwaj Edited By: Prince Sharma Updated: Fri, 13 Sep 2024 05:40 PM (IST)
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Himachal Pradesh News: कर्ज नया नहीं, सालों से ऋण लेता आ रहा है हिमाचल प्रदेश
प्रकाश भारद्वाज, शिमला। हिमाचल प्रदेश का आर्थिक संकट कोई एक-दो वर्ष पहले शुरू नहीं हुआ, इसकी नींव तो एक दशक पहले पड़ गई थी। हां, सामना वर्तमान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार को करना पड़ा है। यदि सरकार ने नीम की कड़वाहट जैसे साहसिक कदम उठाए तो ही राज्य को इससे बाहर निकाला जा सकेगा।

सरकार की ओर से उठाए जा रहे और निकट भविष्य में उठाए जाने वाले सुधारवादी निर्णयों का जनता को समर्थन करना पड़ेगा। तभी प्रदेश को गंभीर आर्थिक संकट के चक्रव्यूह से बाहर निकालने में सफलता प्राप्त होगी। कर्मचारियों का वेतन और पेंशनर्ज की पेंशन पहली को बैंक खातों में नहीं आने से तनिक भी चिंतित होने की जरूरत नहीं है।

सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों को मिलने वाले मासिक वेतन की तुलना निजी क्षेत्र या फिर कॉरपोरेट सेक्टर के साथ की जाए तो प्रत्येक माह के पहले सप्ताह में ही मिलती है। ऐसे में कर्मचारियों और पेंशनर्ज को नई तारीख मस्तिष्क पर दर्ज करनी होगी।

यदि प्रदेश की बिगड़ती वित्तीय स्थिति की बात की जाए तो इसकी शुरूआत जून, 2022 में जीएसटी मुआवजा धनराशि मिलना बंद होने से मानी जा सकती है। उसके बाद बारी आती है, प्रदेश सरकार को राजस्व घाटा अनुदान के तहत हर महीने मिलने वाली धनराशि की।

पिछले वित्त वर्ष में हर महीने आठ सौ करोड़ की धनराशि राहत प्राप्त हुआ करती थी, लेकिन वर्तमान वित्त वर्ष में ये धनराशि भी घटकर 565 करोड़ रुपये सिमट गई। इसके उपाय में सरकार ने अपने वेतन भी दो महीने को विलंबित कर दिए हैं।

र साल विभिन्न योजनाओं के तहत दी जाने वाली उपदान की धनराशि 2100 करोड़ तक पहुंचती है। पिछले एक साल के दौरान 125 यूनिट निशुल्क बिजली की एवज में 1248 करोड़ खर्च हुए थे।

प्रति व्यक्ति आय की स्थिति

प्रदेश सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय में वर्ष दर वर्ष वृद्धि का क्रम बना हुआ है। कोरोना काल के दो वर्ष में साढ़े तीन लाख सरकारी और अर्ध-सरकारी कर्मचारियों को छोड़ दिया जाए तो प्रदेश की 70 लाख से अधिक की जनसंख्या के लिए संकट का दौर था। इस विषय में अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग कई तरह के मानकों के साथ बाजार मूल्य का आकलन करके प्रति व्यक्ति आय निकालकर सामने रख देता है।

प्रति व्यक्ति आय

  • 2019-20: 186559 रुपये
  • 2020-21: 177924 रुपये
  • 2021-22: 202171 रुपये
  • 2022-23: 222227 रुपये
  • 2023-24: 235199 रुपये प्रस्तावित

पिछली सरकार में लिया गया फैसला

  • 1993-1998, वीरभद्र सरकार, छह हजार करोड़,10 हजार करोड़
  • 1998-2003, धूमल सरकार, सात हजार करोड़,17658.40 करोड़
  • 2003-2007, वीरभद्र सरकार, 6500 करोड़, 23151.39 करोड़
  • 2007-2012, धूमल सरकार, 8291 करोड़, 31442.56 करोड़
  • 2012-2017, वीरभद्र सरकार, 19330 करोड़, 50772.88 करोड़
  • 2017 से 2022, जयराम सरकार,1 8548 करोड़, 69320 करोड़
  • 2022 से अब तक, सुखविंदर सिंह सुक्खू, 19269 करोड़, 88589 करोड़ पहुंच चुका है।

हमने प्रदेश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने का बीड़ा उठाया है। उस दिशा में उठाए गए कदमों से सरकार ने एक साल के भीतर ढाई हजार करोड़ का अतिरिक्त राजस्व जुटाया है। गत वर्ष राज्य ने अभूतपूर्व प्राकृतिक आपदा का सामना किया और केंद्र सरकार अपने आकलन के बावजूद राज्य को 9200 करोड़ देने को तैयार नहीं है। खैर, फिर सभी सरकार और आम जनता आर्थिक संकट से पार पाने के लिए वित्तीय अनुशासन की राह पर चल रहे हैं।

- सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुख्यमंत्री।

सरकार को आत्म मंथन करना चाहिए, मुख्य संसदीय सचिवों के साथ-साथ निगम-बोर्डों में नेताओं की फौज। जिस किसी को कैबिनेट रैंक के साथ मोटी धनराशि का वेतन दिया जा रहा है। मंत्रियों के आलीशान कार्यालय बनाने पर दस करोड़ खर्च हो चुके हैं, इसी तरह के खर्च रोकने का बिलकुल भी प्रयास नहीं किया जा रहा है। प्रदेश के इतिहास में पहला अवसर है कि कर्मचारियों व पेंशनर्ज को समय पर वेतन-पेंशन नहीं मिला।

- जयराम ठाकुर, पूर्व मुख्यमंत्री।

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