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Himachal Pradesh News: संस्थान डीनोटिफाई करने पर मुख्य सचिव को नोटिस

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कांग्रेस सरकार की ओर से भाजपा सरकार के कार्यकाल में खोले गए संस्थानों व कार्यालयों को डीनोटिफाई करने के आदेश को चुनौती देने से जुड़े मामले में मुख्य सचिव और जीएडी के सचिव को नोटिस जारी किया है।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Thu, 05 Jan 2023 10:33 AM (IST)
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संस्थान डीनोटिफाई करने पर मुख्य सचिव को नोटिस
शिमला, विधि संवाददाता : हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कांग्रेस सरकार की ओर से भाजपा सरकार के कार्यकाल में खोले गए संस्थानों व कार्यालयों को डीनोटिफाई करने के आदेश को चुनौती देने से जुड़े मामले में मुख्य सचिव और जीएडी (सामान्य प्रशासन विभाग) के सचिव को नोटिस जारी किया है। प्रार्थी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं लोकसभा सदस्य सुरेश कश्यप ने कैबिनेट का गठन किए बिना पूर्व सरकार के निर्णयों को रद करने के विरुद्ध याचिका दायर की है। मुख्य न्यायाधीश एए सईद व ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान यह आदेश दिए।

पूर्व सरकार के सभी निर्णय कानून के दायरे में रहकर लिए

याचिका में कहा कि कैबिनेट के फैसले को कैबिनेट ही रद करने की शक्ति रखती है। नई सरकार की ओर से जारी प्रशासनिक आदेशों से कैबिनेट के निर्णयों को निरस्त नहीं किया सकता। याचिका में दलील दी गई है कि नई सरकार ने संवैधानिक प्रविधानों के विपरीत कार्य किया है। प्रार्थी ने राज्य सरकार के 12 दिसंबर को जारी प्रशासनिक आदेश को निरस्त करने की मांग की है। प्रार्थी का कहना है कि पूर्व सरकार ने सभी निर्णय कैबिनेट के माध्यम से कानून के दायरे में रहकर लिए थे। 12 दिसंबर को नई सरकार ने मेडिकल कालेजों को छोड़ सभी विभागों के अधिकारियों को दिए सेवाविस्तार को समाप्त करने के आदेश पारित किये।

संस्थानों में की जा रही भर्तियों को नहीं छेड़ा

निगमों व बोर्डों के अध्यक्षों व उपाध्यक्षों, सदस्यों व कमेटियों तथा शहरी निकायों में सदस्यों की नियुक्तियों को रद कर दिया। हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन आयोग को छोड़कर सभी सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों और निकायों में चल रही भर्ती प्रक्रिया को रोक दिया है। मेडिकल कालेजों और संस्थानों में की जा रही भर्तियों को नहीं छेड़ा गया। यही नहीं, जिन अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले किए गए थे, उन पर अमल न किए जाने का निर्णय लिया गया। प्रार्थी ने नई सरकार पर द्वेष की भावना से कार्य करने का आरोप लगाया है।

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