Himachal Pradesh News: बूढ़े पेड़ और अनियोजित निर्माण बन रहे तबाही का कारण, कैसे बचेगी शिमला की सुंदरता
Himachal Pradesh News शिमला में भूस्खलन की वजह बूढ़े पेड़ और अनियोजित निर्माण बने हुए हैं। शहर ने इतनी तबाही कभी नहीं देखी कि चार दिन में साढ़े पांच सौ पेड़ गिर जाएं और कई गिरने वाले हैं। हुमंजिला भवन भरभरा कर गिर जाएं। जमीन इतनी कमजोर हो जाए कि दरारें साफ दिखने लगें। बीते पांच दिन में 22 लोगों की मौत और कुछ लापता हैं।
शिमला, रोहित नागपाल: ठंडी-ठंडी शिमले री सड़कां जिंदे....आकाशवाणी से जब लोकगायिका शांति बिष्ट की आवाज में यह गीत गूंजता था तो अचानक देवदार कौंध जाते थे...वे भवन कौंध जाते थे जो शहर की शान हुआ करते थे। पर अब शहर दरक रहा है। तीन दिन में 50 भवन खाली करवाए गए हैं। पहाड़ों की रानी स्मार्ट सिटी तो नहीं बन सकी, शहरी विकास कैसा नहीं होना चाहिए, इसका उदाहरण अवश्य बन चुकी है।
भरभरा कर गिर रहे बहुमंजिला भवन
शहर ने इतनी तबाही कभी नहीं देखी कि चार दिन में साढ़े पांच सौ पेड़ गिर जाएं और कई गिरने वाले हों... बहुमंजिला भवन भरभरा कर गिर जाएं। जमीन इतनी कमजोर हो जाए कि दरारें साफ दिखने लगें। बीते पांच दिन में 22 लोगों की मौत और कुछ लापता हैं।
शहर पर जनसंख्या के साथ वाहनों का बोझ बढ़ा है जबकि अनियोजित निर्माण में प्रयोग की जाने वाली एक्स्केवेटर जैसी भारी मशीनरी की धमक भी विनाशक सिद्ध हुई है। देवदार की औसत आयु एक सौ बीस वर्ष होती है।
अंग्रेजों के लगाए देवदार अपनी आयु कर चुके पूरी
इस दृष्टि से अंग्रेजों के लगाए देवदार अपनी आयु पूरी कर चुके हैं। पेड़ों का गिरना इसलिए अधिक चर्चा में आ रहा है क्योंकि फागली और कृष्णानगर क्षेत्र में हादसे बेशक भूस्खलन से हुए पर मूल कारण पेड़ों का गिरना ही है, क्योंकि एक पेड़ जब भी गिरता है, अकेला नहीं गिरता।
साफ तौर पर पेड़ों के गिरने के कारण सात लोगों की जान गई है। इस सबके साथ ड्रेनेज सिस्टम की बुरी तरह अनदेखी करना भी महंगा पड़ा है। अनियोजित विकास के कारण उगे कंक्रीट के जंगल के कारण मिट्टी कमजोर हो गई है। एक्स्केवेटर से खोदाई करने पर जमीन 20 से 25 मीटर अंदर तक हिल जाती है।