Himachal Rains: अवैध डंपिंग, खराब ड्रेनेज सिस्टम और कंक्रीट के जंगल... हिमाचल में इन वजहों से मची भयंकर तबाही
हिमाचल में इस साल मानसूनी बारिश ने भयंकर तबाही मचाई। ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरों में 70 प्रतिशत अधिक नुकसान आंका जा रहा है। इस नुकसान की वजह सबसे बड़ी वजह है अवैध डंपिंग खराब ड्रेनेज सिस्टम और कंक्रीट के जंगल। ये खुलासा प्रदेश सरकार द्वारा गठित की गई तकनीकी समिति की जांच में हुआ है। प्रदेश में करीब 8500 करोड़ का नुकसान हुआ है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। Himachal Disaster News देवभूमि हिमाचल प्रदेश में मानसून के दौरान सबसे ज्यादा तबाही का कारण अवैध डंपिंग, ड्रेनेज सिस्टम की विफलता और छतों का खुला छोड़ा पानी बना। भारी वर्षा के बाद अवैध डंपिंग ने भूस्खलन से भवनों और लोगों को अपनी चपेट में ले लिया जो तबाही के लिए जिम्मेदार बना।
ड्रेनेज के बेहतर न होने से पानी रुकने के बाद उसने नालों और खड्डों का रूप ले लिया। ये खुलासा प्रदेश सरकार द्वारा गठित की गई तकनीकी समिति की जांच में सामने आया है। हालांकि, अभी समिति द्वारा नुकसान के कारणों और उपायों को लेकर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।
प्रदेश में हुए नुकसान में ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा सबसे अधिक नुकसान शहरी क्षेत्रों में हुआ है और ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरों में 70 प्रतिशत अधिक नुकसान आंका जा रहा है। चौंकाने वाले तथ्य ये भी हैं कि जिन क्षेत्रों में बहुत अधिक वर्षा हुई है उनकी अपेक्षा कंक्रीट के जंगल और बेतरतीब बने मकानों, अवैध डंपिंग वाले स्थानों पर हुआ है। इस बरसात में अब तक करीब 8500 करोड़ के नुकसान का आकलन किया गया है। इसके दस हजार करोड़ से भी बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
केलंग में 72 वर्षों का, रोहड़ू में 57 वर्षों का वर्षा का रिकॉर्ड
जुलाई में चौबीस घंटों में सबसे अधिक वर्षा का लाहौल स्पीति के केलंग का 72 वर्षों का, जिला शिमला के रोहड़ू में 57 वर्षों का और सिरमौर के पच्छाद में 50 वर्षों का पुराना सबसे अधिक वर्षा का रिकॉर्ड टूटा। मनाली में 1971 में जुलाई माह में सबसे अधिक वर्षा का रिकॉर्ड टूटा। जुलाई और अगस्त माह के दौरान जब-जब तबाही हुई तब एक से दो घंटों के दौरान इतने मेघ बरसे कि 65 से 120 मीलीमीटर तक वर्षा दर्ज की गई है।
मानसून में कहां कितनी वर्षा
प्रदेश में सामान्य से 41 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई है। सबसे अधिक वर्षा कांगड़ा में 1570.9 मिलीमीटर के करीब जो सामान्य से 19 प्रतिशत अधिक है। जबकि सिरमौर में 1569.4 जो सामान्य से 66 प्रतशित अधिक दर्ज की गई है। प्रतिशतता के आधार पर प्रदेश में सबसे अधिक सोलन में 1444.5 मिलीमीटर जो सामान्य से 111 प्रतिशत और शिमला में 987.5 मिलीमीटर जो सामान्य से 102 प्रतिशत अधिक दर्ज की गई है।